गरीबीक पाछाँक मूल कारण कि?

गरीबी और जातियता

gareebimithila janjaatiएक समाचार पढलहुँ जे दरभंगाक बेनीपुर मे बिडियो आ पंचायती राज प्रतिनिधि बीच एकटा बैठक कैल गेल, बिहार राज्य मे एकटा नवका आयोग बनायल गेल अछि, सवर्ण राज्य आयोग तेकरे निर्देशन पर एकटा प्रपत्र दैत बिडियो द्वारा कहल गेल अछि जे अपना-अपना पंचायत सँ एहेन सवर्ण जातिक लोक केर नाम देल जाउ जेकर वार्षिक आय ६० हजार रुपया सँ कम होइक।

‘बाप बड़ा ना भैया – सबसे बड़ा रुपैया’ – टाका अपन पूर्णरूप मे प्रकट होमय लागल अछि। आध्यात्म युग केर अन्त एहि भौतिकवादी युग सँ होइत देखाय लागल अछि। युग-परिवर्तन होयबाक समय बहुत तरहक प्रलय या विनाशकारी घटना-परिघटनाक बात जे सुनैत रही तेकर एकटा नमूना वर्तमान राज्य संचालन पद्धति मे सेहो देखाय लागल अछि।

पहिने पिछड़ापण केँ आधार मानि पिछड़ल जातिक सूची बनाय आरक्षण देनाय, फेर ओहि आरक्षण मे धीरे-धीरे अपन क्षुद्र राजनीतिक गोटी लाल करबाक लेल बढोत्तरी करैत समाजकेँ कतेको वर्ग मे बाँटि देनाय – दलित, महादलित, अनुसूचित जाति/जनजाति, आदि कतेको प्रकारक वर्गीकरण सँ नव जातिय व्यवस्थापन करैत वर्तमान गणतांत्रिक संरचना केँ पृष्ठपोषण करैत संविधान द्वारा शासनक व्यवस्था मे ‘सरकारी सुविधा’ केर बन्दरबाँट कैल जाइछ। सरकारी खरात केर बँटवारा हेतु राज्य संचालनक जिम्मेवार मंत्री सँ लैत निम्न स्तरक चमचा‍-बेलचा तक बस एतबी फेराक मे रहैत अछि जे अपन पेशा पर कतहु खराब असर नहि पड़य।

एहि क्रम मे आब एकटा आरो सुदृढ डेग उठल अछि जे जाति भले उच्च छैक, आमदनी न्युन छैक तऽ ओकरा पर सरकारक विशेष ध्यानाकर्षण होयब जरुरी छैक, तैँ सवर्ण मे सेहो उच्च आ निम्न बीच एकटा डढिर तनबाक कार्य प्रारंभ भऽ गेल आब। ऐगला चुनाव मे सवर्ण हेतु आयोग बनौनिहार अपन पीठ अपनहि सँ ठोकत आ लाभार्थी सबहक वोट लूटबाक पूर्ण दावेदार रूप मे प्रस्तुत होयत।

आर्थिक अवस्था या जातिय संस्कार अनुसार अगड़ा-पिछड़ापण अनुरूप आरक्षण व्यवस्था हो या सरकारी खरातक वितरण केर भिन्न-भिन्न प्रकार – यदि जनकल्याणक उद्देश्य रहैत तऽ आइ कतेको दशक निकैल गेलाक बादो गरीबीक निवारण अवश्य भेल रहैत। तखन समस्याक जैड़ कि आ एहि पर सरकारक ध्यान कियैक नहि जा रहल छैक, ई एकटा गंभीर विषय – एकटा गंभीर चुनौती रूप मे समाजक सोझाँ प्रकट भेल बुझैछ। कि संघीय प्रणाली मे सरकार चुनबाक जे आधार छैक ओ कहीं बाध्य तऽ नहि कय रहल छैक एहेन राज्य-संचालनक प्रारूप आख्तियार करबाक लेल, बेर-बेर एहेन किछु प्रश्न दिशि ध्यान जा रहल अछि।

गामक एक दृश्य मोन पड़ि रहल अछि, एहि तस्वीर केँ गौर सँ देखू। आइयो देशक बड पैघ जनसंख्या ओतबे गरीब, ओतबे असहाय, ओतबे अशिक्षित आ मानवीय मूल्य सँ ओतबे दूर देखा रहल अछि। विभेद प्रकृति द्वारा सूर्य, चन्द्रमा, जल, जंगल, जमीन मे शायद नहि कैल गेलैक अछि, एकरा पर स्वामित्व आ संचालनक जिम्मेवार हम मानव स्वयं कतहु न कतहु विभेदकारी सोच रखैत छी।

फोटो सौजन्य: अरविन्द श्रीवास्तव, मधेपुरा (फोटोग्राफी – मलयाली कवि जी आर कवियुर, कैम्प: मधेपुरा, मिथिला)