मिथिलाक एक कर्मठ सपुत धीरज चन्द्र झा केर याद मे दहेज मुक्त मिथिलाक नेतृत्वक संस्मरण

श्रद्धाञ्जलि सुमनः स्व. धीरज चन्द्र झा

– पंकज झा, अध्यक्ष, दहेज मुक्त मिथिला, भारत

“क्षण मे क्षणाक भेल, समाजसेवी आ आयकर अधिकारी धीरज बाबू क्षणहि मे चलि गेलाः पंकज झा – दमुमि अध्यक्ष”

हिन्दी मे एकटा कहाबत छैक जे हृदय केँ टीस मारैत अछिः
 
“बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई
इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया”
 
संसार में जौं कोनो सच छैक त सब सँ पैघ यैह जे एक न एक दिन सब लोक केँ ई शरीर त्यागिकय परमेश्वर केर पास चलि जेबाक छैक, मुदा जखन असमय कियो चलि जाएत छैथ तऽ घोर दुःख और उदासी जेकाँ पूरा माहौल सून्न बनि जाएत अछि. ओना त आना-जाना ईश्वर केर द्वारा रचल एहि संसार में लागल रहैत छै, मुदा किछु लोक जिनका भगवान विशेष काज सँ एहि पृथ्वी पर पठबैत छथिन ओहि तरहक लोक में आई हमरा लोकनि जिनकर बड बेसी कमी महसूस कय रहल छी ओ थिकाह बनगाँव (सहरसा) केर मूल निवासी आदरणीय स्वर्गीय धीरज चन्द्र झा.
 
बनगाँव केर डॉ सुभाषचन्द्र झा जे कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज केर चिकित्सक छलाह हुनक पुत्र स्व धीरज चन्द्र झा अपन शिक्षा-दिक्षा दरभंगे सँ केने छलाह. बचपन सँ तेजस्वी आ जुझारू छवि केर व्यक्तित्व छलाह ओ. समाज एवं गाम केर प्रति हिनका मे अगाध सिनेह धिये-पुता सँ देखल गेल छल. तेजस्वी हेबाक कारण आसानी सँ भारत सरकार केर आयकर विभाग में अधिकारीक पद केँ सेहो सुशोभित कएलनि. और समयानुकूल प्रगति पथ पर हर क्षेत्र मे अग्रसर रहला.
 
एकटा हिंदी फिल्म केर गीत मोन पड़ैत अछि, “अपने लिए जिये तो क्या जिये, ऐ दिल तू जी ज़माने के लिये”, एहि गीत केँ यथार्थ चित्रण अगर बुझावक हो तऽ ओ व्यक्तित्व छलाह धीरज जी. सदैव समाज केर वास्ते समर्पित एहन व्यक्ति जे अपन व्यक्तिगत जीवन में सफल आ सुयोग्य भेलाक बादो समाज लेल तत्पर आ समर्पित रहबाक हुनका सतति-सख रहैन. ओना देखल जाएत छैक जे यदि कोनो व्यक्ति व्यक्तिगत जीवन में सफलता हासिल करैत अछि तऽ ओ अपना आप में किछु बेसिये रिजर्व (सीमित) भऽ जाएत अछि, मुदा धीरज जी केर व्यक्तित्व एकदम भिन्न छलैन. ओ सामाजिक काज लेल अपन पारिवारिक काज केँ छोड़ियोकय सामाजिक कार्य केँ प्राथमिकता आ बेसी महत्व दैत छलाह.
 
कहल जाएत छैक जे भगवान कोनो एक आदमी में सब गुण नहि दैत छथिन. मुदा धीरज जी एहि मामिला मे एकटा अपवाद छलाह। ओ एहन व्यक्ति छलाह जे एकटा नीक पुत्र, एकटा नीक पिता, एकटा नीक पति, एकटा नीक भाई, एकटा नीक मित्र संग सब तरहक सम्बन्ध लेल भरपूर जिम्मेदारी केर वहन करैत हरेक सम्बन्ध लेल नीक व्यक्ति बनि जीवन निभौलनि. जतय धरि स्मरण मे अछि जे आइ धरि कोनो एहन व्यक्ति नहि भेटल जिनका मोन मे धीरज जी के प्रति राग-द्वेष हो. एकटा सम्पूर्ण व्यक्ति जे बुझना जाएत अछि ईश्वरहि केर भेजल विशेष अवतार छलाह.
 
हिनकर सामाजिक प्रतिष्ठाक जियैत प्रमाण आइयो न्यू मुंबई केर नेरुल में राजेंद्र भवन (बिहार भवन) केर निर्माण अपना आप में सब किछु कहैत अछि. हिनकर कुशल नेतृत्व क्षमता, तेजस्वी व्यवहार, अनुशासित दैनिकी – ई सब सद्गुण हिनका मे गजब केर आकर्षण निहित कएने छल. हालहि में मैथिल समन्वय समिति केर मंच द्वारा हिनकहि संयोजन में समाज केर मूल समस्या उपयुक्त वर-वधू केर खोज लेल वर-वधू परिचय सम्मेलनक आयोजन भेल मुम्बई में, जेकर सराहना सम्पूर्ण भारत में नई बल्कि सम्पूर्ण विश्व केर मैथिल समाज द्वारा कयल गेल.
 
एहेन चिरस्मरणीय व्यक्तित्वक विषय में लिखबाक लेल अनंत पोथी कम पड़ि जायत. हिनकर कमी केँ पूरा करब असंभव बुझाएत अछि. हिनक मध्यायू में निधन सम्पूर्ण समाजक लेल अपूरणीय क्षति थिक. मुदा विधाता केर विधान केँ कियो नहि बुझैत अछि, शायद ईश्वर सेहो हिनकर कमी केँ कतहु आरे ठाम अनुभव कएलनि आर पृथ्वीलोक सँ असमय हिनका ओत्तहि प्रतिस्थापित कय देलैन. परमेश्वर हुनका सद्गति अवस्स देथिन. धीरज भाई भले आब एहि संसार सँ चल गेला मुदा ओ अपन कीर्ति सँ एहन छाप छोड़ि गेलाह जे युग-युगांतर धरि लोक केर मोन में ओ बसल रहता.