संपन्न भेल राम-जानकी विवाहपंचमी मे विवाहोत्सव

sujeet-jha3राम-जानकी विवाहपञ्चमी विशेष: जानकी समान अर्धांगिनी पाबि धन्य भेलाह रघुवर

– सुजीत कुमार झा, जनकपुर। दिसम्बर ५, २०१६.

कोने नगरके सिन्दुरिया सिन्दुर बेचए आयल हे
आ हे कोन नगरके कुमारी सिन्दुर बेसाहल हे ॥
अयोध्या नगरके सिन्दुरिया सिन्दुर बेचए आयल हे
आ हे जनक नगरके कुमारी सिन्दुर बेसाहल हे ॥

ram-janaki-vivahotsav1ई गीत सिनदुरदानक अछि आर एहि गीतक संग किशोरीजी भगवान रामक भऽ गेलीह । मिथिला दरबारमे अबेर रातिधरि चहल-पहल होएत रहल । ढोल नगारा बजैत रहल । कि बरियाती कि सरियाती सभ नाचएमे मग्न छलथि । पण्डितजी सभ संसारक सर्वोत्कृष्ट जोड़ीक विवाहमे वैदिक मन्त्र पढि रहल छलाह ।

शास्त्रसभक अनुसार अगहन मासमे शुक्ल पक्षक पञ्चमी तिथि कऽ श्रीसीतारामक विवाह भेल छल । तेँ आजुक दिनकेँ विवाह पञ्चमीक नामसँ सेहो जानल जाएत अछि । बहुतो पण्डितसभक कहब छन्हि जे श्रीराम आ सीताक कुल ३६ मे सँ ३६ गुण एक दोसरसँ मिलल छल । आइयो जाहि वर-वधुकेर पूरा ३६ गुण मिलैत अछि तिनका पण्डित सभ भगवान द्वारा बनाओल श्रेष्ठ जोड़ीक रुपमे मानल करैत छथि, एहेन जोड़ी केँ सीतारामक जोड़ी कहल जाएछ ।

ram-janaki-vivahotsav2रंगभूमि मैदानमे रवि दिन स्वयंवर सम्पन्न भेल आ शोभायात्राक बाद राम जानकी केँ विवाहक मड़वापर बैसाओल गेलनि । जहिना त्रेता युगमे जनकजी कन्यादान कएने रहथि ठीक ओहिना अहुबेर भेल । जनकजी अर्थात् जानकी मन्दिरक महन्थ राम तपेश्वर दास वैष्णव माता जानकीक कन्यादानमे सहभागी छलथि । जनकपुरमे तऽ एक दिन पहिनहिसँ दियावाती मनाओल जा रहल छल । दिपावलीमे कि दीप बारल गेल, विवाहपञ्चमीक दिपावली तऽ आओर बृहत छल । बेटी विवाहमे सेहो दिपावली देखि अयोध्याक बरियातीसभ गदगद छल ।

मिथिलाञ्चलमे एकसँ एक गीत गाइन सभ छथि । मुदा ओहुमे सर्वश्रेष्ठ जे छथि हुनके बजाओल गेलनि । प्रसिद्ध मैथिली गायिका रञ्जना झा गीतक बागडोर सम्हारने छलीह । जहिना जहिना विध समाप्त होइत छल ओहिना-ओहिना गीत हुनक शुरु भऽ जाएत छल । मिथिलामे विवाहक गीतक अभाव थोड़बे छैक, विद्यापतिसँ लऽ कऽ अखनधरि हजारो गीतकारसभ भेलाह रञ्जना कहलीह । सियाकेर राम सिरियलमे गाबि कय जतेक चर्चित किऐक नहि भेल होइथ मुदा रामजानकीक विवाह उत्सवमे गीत गाबि कय आई ओहो धन्य भऽ गेल छथि ।

ram-janaki-vivahotsav3विवाह सँ पहिनहि सीताजी श्रीरामकेँ पतिक रूपमे स्वीकार कऽ लेने छलीह । दुनू पहिल बेर राजा जनककेर पुष्पवाटिकामे एक-दोसर केँ नजरि पड़ल यानि भेट भेल छलथि । ओहिठाम सीताजी विवाहसँ पहिनहि गौरी पूजन कऽ हुनकासँ सुखी वैवाहिक जीवनक कामना करैत आबि रहल छलीह आर रामचन्द्रजी अपन भाइ लक्ष्मणक संग पुष्प तोड़ए आएल छलथि मुदा प्रथमहि भेटमे रामजी आ सीताजी एक दोसरकेँ पसन्द कऽ चुकल छलथि ।

श्रीरामायणक एहि दोहा अनुसार, “मन जाहि राचेउ मिलेहि सो वर सहज सुंदर साँवरो । करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो ॥ एहि भांति गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषीं अली । तुलसी भवानिहि पूजी पुनि–पुनि मुदित मन मंदिर चली ॥” – श्रीरामजीकेँ देखलाक बाद देवी सीता माता गौरीक पूजन करैत समय मोन-मने हुनकासँ विनती करैत छथि जे पतिक रुपमे हुनका श्रीराम प्राप्त होइथ । माता गौरी हुनका आशीष दैत छथिन जे हुनका पतिक रूपमे श्रीराम अवश्य प्राप्त हेताह । धनुष भंग कऽ श्री सीताराम विवाह बंधनमे बन्हाएल छलथि ।

ram-janaki-vivahotsav4एम्हर विवाहक राति कि एक दिन पहिनहिसँ जनकपुर सुतल नहि अछि । संसारक सर्वश्रेष्ठ वरकेर एक दिन प्रतिक्षेमे बित गेल आ दोसर राति विवाहमे । कन्यादानमे सहभागी जानकी मन्दिरक महन्थ राम तपेश्वर दास वैष्णव कहैत छथि, “ओहिठाम बैसला मात्रसँ अपन जीवन धन्य भऽ गेल अछि । लगैत अछि आब एहिसँ बडका उपलब्धि आओर किछु नहि अछि ।”

मिथिलाञ्चलमे विवाहक क्रममे जतेक विध अपनाओल जाएत अछि ओतेक अहुमे अपनाओल गेल । कोनो विध नहि छुटए एहि वास्ते जनकजी आ स्वयं सुनयना सक्रिय छलैथ । सुनयना कखनो गीत गाइन लग जाएत छलीह तऽ कखनो विवाह भऽ रहल मड़वापर । विवाह देखबाक लेल ओहिठाम उपस्थित स्त्रीगणसभकेँ सेहो सेवा सत्कारमे कोनो कमी नहि हुअए सेहो सब सम्हारि रहल छलीह ।

ram-janaki-vivahotsav5बरियातीसभ सेहो बहुत रुचि पूर्वक विवाह देख रहल छलथि । बरियातीमे भारतक श्रेष्ठतम् साधुसभ सेहो रहथि । हुनकासभकेँ रञ्जना झाक टोली डहकन गाबि गरियौने सेहो रहथि । एहि गारिकेँ ओ सभ बढियाँ जेकाँ बुझैत छथि । बहुत आनन्दित छलथि ।

विवाहक बाद भोजनभात भेल । जे मिथिलामे भेल ओ अयोध्यामे कहाँसँ हएत । दशरथजी गदगद छलथि । हुनका कहाँ भूख लागल छल । चारु बेटाकेँ संसारक सर्वश्रेष्ठ दूलहिनसभसँ विवाह भेल । फेर किशोरीजी तऽ किशोरीजी छथि ।
दशरथजी जनकजीकेँ पहिने सचेत करा देलखीन जे हमरा आब किछु नहि चाही हम धन्य भऽ गेलहुँ । भगवान रामक चेहरापर सेहो प्रसन्नताक भाव देखबामे आबि रहल छल । जतेक अवतार लेने होएथ मुदा एहन विवाह कोनोमे नहि । रघुवर जानकीसन कन्या पाबि धन्य भऽ गेल छथि । मिथिला सेहो धन्य अछि रघुवरसन दूलहा (जमाय) पाबिकय । शिवकुमार झा टिल्लुक गीत एहनेमे रचाएल हएत ।

ram-janaki-vivahotsav6आजु पुरल मनोरथ मिथिला के
मिथिला के हो मोरा मिथिला के
भेंटलथि रघुवर बेटी अचला के !
परिछन कयलनि माय सुनयना
करती दान भरल छनि नयना
सरयू वरन संग कमला के
भेंटलथि रघुवर बेटी अचला के !