हमर आस्थाक मुख्य केन्द्रः दुर्गास्थान कुर्सों

हमर आस्थाक मुख्य केन्द्र

– प्रवीण नारायण चौधरी

durga-maअदौकाल सँ धर्म केर निर्वाह करब विवेकशील मानवक परिचय मे देखल जाएत अछि। यैह परंपरा हमरो सब मिथिलाक जनमानस लेल आइ धरि सर्वोपरि अछि। जाहि कोनो गाम मे छी आ कि कोनो आने ठाम मे छी, अपन आस्थाक मूल केन्द्र धार्मिक स्थल मे निहित रखने छी। दरभंगा जिला कुर्सों गाम मे स्थापित अति प्राचीन दुर्गा भगवतीक स्थान हमर आस्थाक मुख्य केन्द्र थीक। एहि स्थल पर बाल्यकाल सँ सब किछु सिखबाक-बुझबाक अवसर प्राप्त भेल जे मनुष्य मे अपन जीवन निर्माण हेतु आवश्यक होएत छैक, आर कुर्सों ड्योढि संरक्षक परिवारक एक सदस्यक रूप मे अपन योगदान देबाक सौभाग्य सेहो भेटल। एहि स्थानक चमक-दमक सँ निजी चमक-दमक मे आस्था कार्यशक्ति आ प्रेरणाक रूप मे काज करैत अछि। प्रस्तुत फोटो मे भगवतीक सिंहासन सब सँ बायाँ भागमे देख सकैत छी जाहि मे दसभुजा दुर्गाक अतिरिक्त अन्य देवीक मूर्ति अछि, बीच मे त्रिभुवनपति स्वामी लक्ष्मीनारायण भगवान् अपन विभिन्न अंशावतार सहित विराजमान छथि आ सबसँ दायाँ सूर्यनारायण व अन्य देवतादिक मूर्ति सुशोभित अछि। भगवतीस्थान – दुर्गास्थान सँ प्रचलित ई दिव्य स्थान पर हजारों जनमानस नित्य भगवतीक दर्शन हेतु पूर्ण आस्थाक संग अबैत छथि। दूर-दूर सँ ओहेन भक्तमान-आस्थावान व्यक्ति सेहो एतय अबैत छथि जिनकर कबुला भगवती पूरा कएने रहैत छथि। अहाँ आइ ई पढब, काल्हि पहुँचब, भगवतीक दर्शन करब आ आशीर्वादित होयब आ फेर स्वस्फूर्त जाएते रहब, यैह सिद्धान्त एतुका विशिष्टता रहल अछि। संसार भरिक सैकड़ों-हजारों धार्मिक स्थलपर हम जायब, मुदा जैड़ मे देवी दुर्गा मात्र छथि, सब हिनकहि प्रेरणा सँ संभव होएत अछि।

भोरे ब्रह्म-मुहुर्त सँ एतय भगवतीक आराधना मे भक्तक भीड़ लागि जाएत अछि। कुर्सों, नदियामी, हनुमाननगर, गोरखा, दसौत, ठेंगहा, मछैता, महिया, दादपट्टी, मदरिया, बैका, जयदेवपट्टी, पर्री, आमारही, आदि आसपासक सब गाम सँ भक्त नियमित पूजा-पाठ लेल एतय पहुँचैत छथि। भगवतीक महिमा महान छन्हि आर सब कियो न्यायोचित आशीर्वाद प्राप्ति करैत अपन गहिंर आस्था देवी दुर्गाक एहि भव्य मन्दिर मे रखैत अछि। विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, मुण्डन-संस्कार, भजन-कीर्तन, कुमारि-ब्राह्मण भोजन, पातैर आदिक आयोजन एतुका नित्य व्यवहार थीक। संध्याक आरतीक विशिष्टता आ सुमनोहर स्वरूपक वर्णन शब्द मे करब असहज बुझाएत अछि, बस सिहरैत देह एतबे कहि सकैत छी जे एहि विशेष काल मे मानू भगवती स्वयं अपन दिव्य उपस्थिति रखैत छथि आर समस्त ग्रामीण आस्थावान भक्त सब सँ एक-एक कय केँ भेंटघांट करैत छथि – सभक हालचाल पूछैत छथि – नीक मार्ग देखबैत छथि आर सब केँ प्रसाद सहित घर-गृहस्थी मे मस्त रहि कार्य करबाक लेल प्रेरित करैत छथि। जय शिव प्रिये शंकर प्रिये जय मंगले मंगल करू – यैह विनती पूर्ण भाव सँ गाबिकय सब भक्त भगवतीक विनती करैत पुनः अपन घर-गृहस्थीक कार्य मे लागि जाएत अछि। एहि इलाका मे भगवतीक प्रभाव प्रत्यक्षे देखाएत अछि। स्थल केर जागृतिक चर्चे कि करू – बस एक बेर उपस्थित होएत देरी नव सँ नव लोक, अन्जानो लोक केँ ई अनुभूति भऽ जाएत छैक जे एतय भगवतीक दिव्य उपस्थिति अछि। हुनक शक्तिक प्रादुर्भाव सँ कियो अपना केँ वंचित नहि राखि सकैत अछि। एखनहु एतेक बात लिखैत घड़ी मानू ओ साक्षात् अपने विहुँसैत हमरा ओतबे टा के बच्चा रूप मे दुलार दय रहली अछि जतेक टा सँ हम भगवती केँ जानि सकलहुँ। धन्य भेलहुँ जे भगवतीक सान्निध्य मे जन्म भेटल। विशेष आग्रह अपने सब सँ जे यदि गाम मे छी – या गाम जाएब – तऽ एतय जरुर पहुँचिकय भगवतीक आशीर्वाद ग्रहण करब।

हरिः हरः!!