मैथिल सर्जक परिचयः अशोक कुमार सहनी

विशिष्ट व्यक्तित्व परिचयः अशोक कुमार सहनी – मैथिली कवि एवं ‘अप्पन मिथिला’ अभियानी
ashok sahaniप्रवासी मैथिल सर्जकसबमे चित परिचित नाम अछि – अशोक कुमार सहनी ।
 
नेपालक सिरहा जिल्लाके लहान नगरपालिका वाड नं ४ रघुनाथपुर घर रहल अशोक जी वैदेशिक रोजगारीक शिलशिलामे एखन दोहा क़तारक एकटा कम्पनीमे कार्यरत छथि ।
 
प्रवासमे रहियोक’ अपन माटि -पानि आ मातृभाषा लेल सदैव तत्पर रहनिहार अशोक जी जतबे कुशल सर्जक छथि ओतबे प्रतिभाशाली व्यतित्व सेहो । हेल्लो मिथिला निरन्तर सुननिहार सबके पते होएत जे हिनक रचनासब बराबर संचालक श्री धीरेन्द्र प्रेमर्षि जी द्वारा कार्यक्रममे प्रशारण आ प्रशंसा होइत रहैत अछि ।
एकर अतिरिक्त अशोक जी विभिन्न मैथिली पेजसब सेहो चला’ रहल अछि । जाँहिमे सम्पूर्ण मैथिल सर्जक-स्रष्टा सबहक रचनाके कलात्मक आ आकर्षक ढंगमे सर्वसाधारण समक्ष साँझा करैत छथि । अपन मिथिला,अपन मधेश,अपन मिथिलाञ्चल आदि आदि पेजसब द्वारा अपन लगायत अन्य रचनाकारसबहक रचना राखब तथा देशक समसामायिक गतिबिधीके अपन पेजसब मार्फत जनताके जानकारी कराएब हिनका द्वारा कएल गेल सराहनिय काज अछि । हालहिमे प्रकाशोन्मुख एलबम -“चहटगर चटनी” मे हिनका द्वारा लिखल गीत सार्वजनिक होएत ।
 
 
त लिअ अपनहूं सब अशोक जीक ई चेतनायुक्त रचना पढल जाओ ।
 
१. दहेजक’ गीत
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हेयौ भैया कहिया तक दहेजक’ लेल बेटीके चढेवै वलिदान यौं !
जागू जागू यौं भैया मिथिलावासी सब बेटियोके करू सम्मान यौं !!
बेटा जन्मैए तँ’ करै छी भोज भतेर, बेटी जन्मिते पिटै छी कपाड यौं !
किए करै छी यौ मिथिलावासी एकें खुन संगमे दुईटा ब्यवहार यौं !!
देखूं दुनियांमे बेटीए सँ बढिरहल छै सबहक कुलक’ जाहान यौं
जागू जागू यौ भैया …… ………
 
यौ जतेक दर्द बेटा हैत अछि ओतबही तँ भेल बेटियो जन्मावै में !
त’ कहूं यौ मैथिलजन किये चुप छी बेटा सरह बेटीके अपनावै में !!
देखूं देखुं यौ मिथिलावासी बेटी सँ चम्कै घरआंगन दलान यौं
जागू जागू यौ भैया….. ….. …..
 
बेटाके भेजैत छी निजि स्कुलमें, बेटीके सरकारी स्कुल यौं !
बेटाके लेल सोचैत छी बनेवै डाक्टर, भलें बेटी रहेए अनपढ यौं !!
बेटीयो पs विश्वास कsके देखूं बेटियो उडायत अंतरिक्षमे विमान यौ
जागू जागू यौ भैया …… ……. …
 
सुनु सुनु यौ मैथिल मिथिलावासी अशोक केर यी बात यौं !
सब मिलि संकल्प करू जे करबै दहेज सँ मिथिलाके आजाद यौं !!
धिया बचाएके यौ भैया जोगावै जाउ अप्पन मान सम्मान यौं
जागू जागू यौ भैया.. ……. ……. .
 
२. हम रहिक’ परदेशमे रखलौं मिथिलाके लाज यौं
 
हम सोचलौं खतम नें भ’जाय मिथिला संस्कार यौ
हमरा याद आबै छल अपन पाग,पान,मखान यौं
भोज भात आमक’ गाछी आ खेत खरिहान यौ
हम रहि परदेशमे…. ……..
 
हम नहीं देखलौं परदेशमें गाय भैसक’ बथान यौ
पोखरी महाड पऽ चुल्हा जरैत पाकैत पकमान यौ
हम रहि परदेशमे…. ……
 
हम याद केलौं परदेशमें तिसी,कुम्हौरी,मुरौरी यौ
डोका,कोकडा, माछ,सम्हारिक’ राखल उक्की संठी यौ
हम रहि परदेशमे…… …..