मिथिलाक सरोकार आर विभिन्न विकास केर मुद्दा: बाढिक समस्या – जलव्यवस्थापन मे कमजोरी

कृपानन्द झा, दिल्ली। सितम्बर २६, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

koshi 2008भारत स्वतंत्र भेना लगभग ७ दसक बितय लेल जा रहल अछि, मुदा मिथिलाक आर्थिक अवस्था दिन-दिन दयनीय होइत जा रहल अछि। एहि दिशा मे मंथन होयब परम आवश्यक अछि जे आखिर कि कारण छैक जाहि सँ एकटा अति प्राचीन आ संपन्न सभ्यता केर विकास कएनिहार मैथिलजन केँ आइ एहेन विपन्न अवस्था मे राखल जा रहल अछि। आउ, एक-एक कय किछु मुद्दा पर ध्यान दी। बात करी बाढिक समस्या पर, निदान लेल अपनाओल गेल तौर-तरीका आ निष्कर्षत: कि भेटल क्षेत्रक जनता केँ।

कोसी मे जलप्रलय आयल छल २००८ मे, कुसहा तटबंध (नेपाली मिथिलाक भूभागमे) टूटल छल आ पूर्वी मिथिलाक लाखों लोक बेघर भेल, हजारों लोक प्रलयक शिकार बनल। कुल ३३ लाख लोक प्रभावित भेल। ५ जिला: सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया व पुर्णिया मुख्य रूप सँ प्रभावित रहल। एकर भयावहता एहेन छल जाहि सँ ‘राष्ट्रीय आपदा’ तक घोषित कैल गेल छल। राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यवेक्षक सबहक हुजुम उतैर गेल छल जमीनी प्रलय केर ताण्डव देखबाक लेल, पीड़ित केँ राहत पहुँचेबाक लेल आ रक्षा करबाक हर उपाय करबाक लेल देशक सेनाक संग कान्ह-सँ-कान्ह जोड़िकय बाढि-प्रभावित धरि राहत पहुँचेबाक कार्य लेल लोक सब काज केने छल।

एहि दरम्यान एकटा राहत टोली व पत्रकार सहित दिल्ली सँ प्रभावित क्षेत्रक दौराक समय प्रत्यक्ष देखलहुँ जे दूध पर आश्रित धियापुता लेल शिविर मे दूधहु केर व्यवस्था नहि छल, निरीह एवं असहाय माय सब बच्चा केँ बौंसबाक लेल आँटा घोरिकय पियबैत छलीह। कृषि भूमि ऊसर भऽ गेल। गामक गाम उजैड़ गेल। कहल गेल जे एहि पाँचो जिलाक पुनर्वास कार्यक्रम अन्तर्गत पुनर्स्थापित कैल जायत। कि भेलैक ओहि पुनर्स्थापनक? आइ आठम वर्ष बितय लेल जा रहलैक अछि, कतय सूतल अछि एहि क्षेत्रक जनप्रतिनिधि आ कियैक नहि कैल गेल पुनर्स्थापनाक कार्य? एहि चुनाव मे फेर सँ एहि मुख्य सरोकार केँ मुद्दा बनाओल जेबाक चाही।

संगहि, स्वतंत्रताक बाद अपनाओल गेल विभिन्न बाढिक निदान आ ताहि सँ प्राप्त नाफा व नोकसान केर हिसाब जोड़ब आवश्यक अछि। जलस्रोत केर व्यवस्थापन न कृषि लेल अनुकूल भेल, नहिये पनबिजली लेल, नहिये जलमार्ग केर स्थापना लेल जाहि सँ वैकल्पिक परिवहन मार्ग व रोजगार मे वृद्धि होइत। न आधारभूत संरचनाक विकास पर केकरो नजरि गेल, न कोनो दीर्घकालीक परियोजना विकास पर, एतेक तक जे सोचो नहि अभरल जे एहि क्षेत्र मे जलव्यवस्थापन प्रति हेबाक चाही। बातहि-बात मे समय बितल जा रहल अछि। पूर्वक विकसित कोसी बराज आ भीमनगर पावर प्लान्ट केर क्षमता घटबे कैल, बढबाक तऽ प्रश्ने नहि उठैत अछि। सिंचाई लेल बनल नहर भथायल से संभव अछि, एहि सँ उपनहर केर मात्रा बढबैत कृषक केँ लाभ पहुँचेबाक कोनो नव योजना तक लागू नहि कैल गेल। एहि सब विन्दु पर वर्तमान चुनाव मे मुद्दा बनय आ जनमानस एहि दिशा मे निर्णय करैत मतदान करैथ।