नेपालक अर्थतंत्र मे प्रवासी कमौआ पुतक योगदान

विदेशी मुद्राक आर्जन मे प्रवासी कमौआ पुतक योगदान!!

pravasi kamauwa pootपहिल बेर जखन पिताक आँखि सँ दूर परदेश जयबाक बेर आयल तैयो पिता येन-केन-प्रकारेन बाहर नहि जाय आ घरे पर रहय सय्ह चाहैत कोनो-न-कोनो बहन्ना मे रोकि लैत छलाह। पता नहि कतेक स्नेह छलन्हि – आ से बात आब स्वयं बाप बनिकय हमहुँ बुझैत छियैक जे संतान कतेक प्रियगर होइत छैक। एहि बेर जखन बेटीकेँ दिल्ली मे पढबाक लेल एडमिसन करेलाक बाद घूरैत रही तऽ ओ कानय लागल आ फेर हमरा अपने कोंढ फाटय लागल। सच मे, सन्तान सँ दूर होयबाक समय बड कठिनाह होइत छैक कोनो माता-पिता लेल। मुदा से बात ताहि दिन मे नहि बुझैत छलियैक। गाम छोड़बाक लेल आतूर रही, शहरक चमक जे गोटेक-आधेक बेर सिनेमाक सिल्भर स्क्रीन पर देखायल छल ओ बजा रहल छल या फेर विभिन्न उपन्यासक हजारों पन्ना मे वर्णित शहर आ शहरी संस्कृति प्रति जागल एकटा जिज्ञासा शहर जयबाक लेल प्रेरित कय रहल छल… जेना-तेना गाम सँ बाहर जयबाक लेल आदरणीय पिताक अवहेलना तक करय लेल बेचैन रही। ओम्हर पिताक प्रेमक गहिराई आब बुझि पबैत छी एक पिताक अनुभूति स्वयं भोगलाक बाद… कियैक ओ बेर-बेर रोकि रहल छलाह।

आइ अपन परदेशी मित्र सह अनुज बिन्देश्वर ठाकुर कतार सँ लिखलैन अछि जे ओतूका अगस्तक गर्मी बड मारूख होइत छैक। एखन ओतय तापमान ४५-५० डिग्री सेल्सियस छैक। आइ स्वयं बिन्देश्वर गर्मी मे बेहोश भऽ गेल छलाह। हुनका एतबो होश नहि रहि गेल छलन्हि जे किछु बुझि पबितथि। ओ धन्यवाद केला जे कियो हुनका तुरन्त प्राथमिक उपचार करैत मानव-सेवा केलनि, हुनकर जान बचौलनि। होश मे अबिते बिन्देश्वर पहिल काज केला जे अपन फेसबुक अपडेट द्वारा एहि जानलेवा विकराल गर्मीक विषय मे आरो सब गोटा केँ सचेत केलनि। ‘जान बचय तऽ लाख उपाय’ – जियैत रहब तऽ कतहु कमायब, परिवार पोसि लेब। बिन्देश्वर समान लाखों लोक खाड़ी मुलुक मे एहने गर्मी मे काज करैत छथि। एतय स्वदेश मे लोक हुनका सब प्रति एकटा एहेन भावना रखैत अछि जे ओ सब स्वदेश मे रोजी नहि कय परदेश जाइत छथि, डलर मे पाइ कमेबाक लोभ सँ। मुदा ई डलर कतेक महंग छैक – एहि मे कतेक प्रकारक दर्द छिपल छैक – ई बात प्रवासक जहरीला दर्द केँ भोगनिहारे टा जनैत अछि।

एकटा कथा मे बिन्देश्वर लिखने छलाह – प्रवासी डलर कमेनिहारक दर्द… परदेश मे भेट रहल पीड़ा आ स्वदेश मे बिगैड़ रहल परिवार… बिलैट रहल संतान… उजैड़ रहल बसल-बसायल परिवार… अनेको विकृतिक विकार सबहक उल्लेख छलह हुनकर ओहि आलेख मे। बेर-बेर मोन पड़ैत अछि ओ बात सब। मुदा दोसर दिशि लहक-चहक केर चमक-दमक मे ई सब बात बिसरा जाइत अछि, याद रहैत अछि डलर केर धमक टा। ए डलर बराबर एक सौ दस रुपैया मोहर – भारु ६७-६८ टाका पर काँटा चलि गेल अछि। हुनका सबकेँ डलरो सँ बेसी कीमती दिनार आ आरो विभिन्न रूप मे अरबी पैसा सब भेटैत छन्हि। नेपाल मे विदेशी मुद्राक आर्जन नेपाली प्रवासी मजदूर केर कमाई मुख्य मानल जाइत छैक। एतुका अर्थतंत्र मे आयात केर भारी माँग लेल विदेशी मुद्राक पूर्ति निर्यात सँ कहियो पूरा नहि होइवला छैक, कारण आयात आ निर्यात केर रेशियो १०:१ यानि १० भाग आयात तऽ १ भाग निर्यात। ताहू सँ कम कहि सकैत छी। ऊपर सँ एतय उत्पादनक माहौल तऽ जथाभावी बन्दीक चपेट मे ओहिना दम तोड़ने रहैत छैक। बिजली सेहो नहि छैक जे विकसित उद्योग केर भरपूर संचालन ओहि भरपर होइक। जंगल, जल आ जमीन केर उपयोगिता सँ बहुत बेसी चर्चा विदेशी मुद्राक आर्जन एतय होइते छैक। मुदा ओकर मोल कोन मेहनति आ कतेक रिस्की चैलेन्ज केँ मीट केलाक बाद होइत छैक, ओ बिन्देश्वरक एकटा छोट मुदा अत्यन्त महत्वपूर्ण सावधानी-सूचना सँ भेटैत अछि।

बात एत्तहि कहाँ रुकैत अछि। विदेशी मुद्राक आर्जनक पाछू आरो बड-बड रास कहानी सब सुनबा लेल आर-आर मित्र सब सँ भेटैत अछि। खाड़ी मुलुक मे तऽ उत्पादनशीलताक स्रोत-साधन एतेक छैक जाहि मे रोजगार भेटैत छैक नेपाली केँ वा आन-आन गरीब मुलुक जेना भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान आदिक जनताकेँ; लेकिन जखन एहि गरीब मुलुकक गरीब जनता पश्चिमी देश व अन्य विकसित देश जाइत अछि तऽ रोजगारक प्रकृति सेहो अत्यन्त दयनीय अवस्था मे रहबाक लेल मजबूर करैत छैक। कतहु होटलक वेटर बनय पड़ैत छैक, कतहु पेट्रोल पंपक पंपमैन आ कतहु सेक्योरिटी गार्ड – ताहू सब सँ बदतर अवस्थाक रोजगारी जेना स्वीपर, क्लीनर, चरबाहा, आदि बनिकय विदेशी मुद्राक आर्जन करैत अपन, अपन परिवार आ अपन देश लेल सेवादान करय पड़ैत छैक। एहि विदेशी मुद्राक बदौलत राष्ट्र केर अर्थतन्त्र संतुलित रहि पबैत छैक, ताहि लेल यैह प्रवासी कमौआ पुत केर पसीनाक कीमत केँ अंक मे आंकब नहिये संभव आ नहिये जायज हेतैक। बस नमन करी ओहि पुत केँ, बनबैत अछि सब मूल्य, बढबैत अछि सब मान!!

मैथिली जिन्दाबाद!!

हरि: हर:!!