“मातृशक्ति”

463
ममता झा

ममता झा।

आई महिलाक जीवन के याद करैत छी जे, अपने हर क्षेत्र में अप्पन प्रसिद्धि सऽ अप्पन कुलक नाम रौशन करैत ऑगा बढल छैथ ओहन महिला पर नाज अई।
सचमुच ! हे मातृ शक्ति अहाँक नमन।भारत माता की जय,जिनकर धरा पर अनगिनत विदूषी, बीरांगना, सहनशील,मृदुमाषी,भारतीय नारी जन्म लेलैन।अई धरा के समस्त रचना सृष्टी के नमन।नारी के रचना अतुलनीय अई।नारी माँ,बहिन,पत्नी,प्रिया सब संबंध निभाबैत अपन पहचान बनेने छैथ।

आई जीवन आ व्यवसाय के प्रायः सब क्षेत्रों में स्त्री पुरूष के संगही टा नई र्बाल्क उनका सॅ ऑगा बढ़ैत जा रहल छैथ।
ऐहन कोनो क्षेत्र नई अई जत महिला नई पहूंच पायल छैथ ।

हमार देश के राष्ट्रपति नारी रहैत ,प्रधान मंत्री नारी रहैत ,देश की राज्यपाल नारी रहैत ,नारी राजदूत छैथ।नारी अखिल भारतीय शाशण सेवा में अति अच्च स्थान प्राप्त करिकऽ एस . डी .ओ , डी.ओ
कलक्टर,कमिशनर,डॉक्टर,इंजीनियर,वकील,जज सब बनल छैथ।अन्य पैध पैध पद पर आसीन भक परचम लहरा रहल छैथ।
कहै के तात्पर्य अछि कि वर्तमान समय में पुरुष आ स्त्री के शिक्षा के आब कोई पृथक सीमा नई रही गेल,ने कोनो पृथक कार्य क्षेत्र।

कोमल छी, कमजोर नई शक्ति के नाम त नारी अई,
जग के जीवन देब वाली,मौतों अहाँ स हारल अई।

अंत में हम कहब कि ,कहावत अई women is the root of all creatures.

एक स्त्री के देब वाला उपहार में सबस बेहतरीन वस्तु अई…. सब स्त्री के सम्मान।मातृत्व सॅ लक पारिवारिक समाजिक मर्यादा के धूरी नारी छैथ ।ताँ लक नारी के सम्मान अस्तित्व और व्यक्तित्व अहम अई अतः नारी के सम्मान दिय जे नईदैत छी।