मैथिली भाषा-साहित्य मे स्वयंसेवी सृजनकर्मीक अकूत भंडार अछि

लेखक परिचयः पप्पू कुमार ठाकुर

मैथिलीक सेवा आ परमार्थ-पुरुषार्थक उपलब्धि

मैथिली भाषा-साहित्यक सेवाक लाभ सामान्य दृष्टि सँ देखल जाय तँ कोनो खास नहि देखायत, लेकिन गहींर दृष्टि रखनिहार एहि मर्म केँ नीक सँ बुझैत अहर्निश एहि भाषा लेल सृजनकर्म करैत छथि। एहि मे भेटयवला आत्मसन्तोष केर परमानन्द एकमात्र सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि होइछ जे सर्वसाधारण पर्यन्त बुझि सकैत अछि। दोसर बात, मैथिली आमजनक भाषा थिक, एहि मे लिखब-पढब माने सर्वसाधारण मिथिलावासीक मनोभावना अनुरूप अपन समय व साधन खर्च करब भेल। एकरा मानव सेवा – माधव सेवाक तर्ज पर सेहो बुझल जाइत अछि। ई त भेल सामान्य लेखनक हिसाब-किताब, दोसर होइछ विज्ञजनक लेखन आर जे साहित्यसेवाक विशेषज्ञ लोक छथि आर उचित शिक्षा हासिल कयला उत्तर समुचित अध्ययन कयलाक बाद मैथिली मे लेखनकार्य करैत छथि, जिनकर एक सँ बढिकय एक महत्वपूर्ण पुस्तक, ग्रन्थ, महाकाव्य आदि सेहो प्रकाशित छन्हि। वर्तमान लेख मे हम फोकस राखय चाहैत छी सर्वसाधारण लेखक द्वारा मैथिली भाषा-साहित्यक सेवा पर।
 
विगत किछु दिन सँ ‘पप्पू कुमार ठाकुर’ द्वारा अपन किछु रचना सब प्रेषित कयल गेल अछि। आउ, आइ एहि लेखकक लेखनी सँ परिचित होइत छी हुनकहि पठाओल किछु लेख सब पढिकयः
 

सर्जक पप्पू कुमार ठाकुर केर लेख-काव्य

(हिनकर लेख मे सम्पादनक कार्य नहि कयल गेल अछि, प्रथम प्रकाशन मे यथावत् लेखक उतार मात्र राखल गेल अछि। उचित परामर्श जनसामान्य सँ भेटतनि से अपेक्षित।)
 

१. विद्यार्थी फेकना

 
गाम में बेचन कक्का बचबा केय नाम रहैन फेकना ! पढ़ाई में फेकना के मोन नई लागै !
 
बेचन कक्का अपना फेकना के नाम लिखाब लेल गेलैथ चौक परहक स्कूल में, हेयो टुनटुन मास्टर सेहेब हमरा फेकना के स्कूल में नाम लिख देल जाऊ !
 
फेकना के पढ़ाई में मोन नई लगै ! आधा रस्ता जाकय दुर्गा मन्दिर होइत पोखरी भीड़ बाटे ओ धिया पूताक संग क्रिकेट खेलि अहिना रोज हाजरी बजा घर चलि आबय !
 
बेचन कक्का अपने मुर्ख छला मुदा धिया पुता के पढ़ा-लिखा केय बड़का आदमी बनेबाक हुनकर सपना छलन्हि ! टोल में बेचन कक्का फेकना के लकय सरकारी स्कूल सँ रिटायर फुलचन (बाबा) मास्टर सेहेब ओई ठन गेला !
 
हे यौ फुलचन बाबा, हे यौ फुलचन बाबा, फुलचन बाबा- की भेलो हौ बेचन एना किये चिचियाई छह ! बेचन कक्का- हे यौ हमर फेकना तीन मास सँ टुनटुन मास्टर सेहेब के स्कूल में जाइये एकरा पुछियौ की सब सिखलके ! फुलचन बाबा फेकना सँ पूछै छथिन की रौ फेकना की सब सिखलें ! फेकना- बाबा हम सब दिन भगवती मन्दिर जाकय पैढ दई छलिये बेचन कक्का अहि रौ फेकना ई की केलें ! फेकना फुलचन बाबा सँ कहै छई , बाबु कहने रहथिन पढ़ लेल तें हम सब दिन जाकय भगवती मंदिर में पैढ दैई छलियैये !
 
फुलचन बाबा – ल जो एकरा ई नई छह पढ़ बला।
 
एक दिन बेचन कक्का मास्टर टुनटुन बाबू के स्कूल गेला हे यौ मास्टर सेहेब एकरा कहुना आँहा सुधाईर दियौ !
 
फेकना बड़ा थेथर रहे ओकरा तखनो पढाई में मोन नई लागै ! एक दिन टुनटुन मास्टर सेहेब घोरन के छत्ता देह पर धकय सौँसे पिट्ठी दु दालि फोरि देलकैन !
 
फेकना के बुढ दाई- आई मस्टरबा के टांटी वला के हम देखबै छियन्हि हमरा पोता के माल-जाल जँका मारलके ओ बड़का पोलिस्टर के गजिया सिया लेता जाहि में हम हुनका दरमाहा देबैन बड़बड़ाईते स्कूल पहुँच गेली !
 
फेकना के दाई- हे यौ टुनटुन मास्टर आँहा की बुझै छियै अपना के हाकिम भ गेलौं हन की हमरा सोन सनक पोता के आँहा माल-जाल जँका डेंगा किये देलियै डर नई होइये की ! टोल समाज में रह के नई अछि की !
 
कोनो विधि फेकना मैट्रिक कक्षा पास केय दिल्ली भाइग गेल ! ओतए ओकर नोकरी एकटा कपड़ा दोकान में लागि गेल ! फेकना नीक टका कमे लागल !
 
मुदा फेकना के बेर-बेर गामक याद आबि जाइ ओ गामक दुर्गा पूजा, क्रिकेट, बाबू, माँ,दोस आर दाईयक दुलार के नहि बिसैर पाबै !
 
एक साल उपरान्त फेकना गाँव गेल ! फेकना आंगन में प्रवेश करैये ओकर दाई जेना कृष्ण सुदामा के मिलन होइये ओहिना पोता के गला लगा केय खुशी भेय कानय लगली जेना फेकना के देखि छाती जुड़ा गेल होईन !
 
गाम में ओकर कतेको दोस सब छले मुदा ओई में सँ सबसँ खास दोस छले चुन्नू कक्का के बेटा विकास ( उर्फ दुलार सँ सब ओकरा बहिरा सेहो कहै)! एक दिन ओकर भेंट विकास (बहिरा) सँ भेल !
 
फेकना – हे रौ बहिरा गाम में की सब करै छे ?
 
बहिरा- हम त मधुबनी में पढाई-लिखाई करै छी ! तों दिल्ली में की करै छे ?
 
फेकना- हम दिल्ली में कपड़ा दोकान में काज करै छी !
 
बहिरा – ऐं रौ फेकना तो आब दिल्लीये कमेबें की पढबो करबें !
 
फेकना- आक्रोश में लाल भेय बहिरा के कहैत अछि हे रौ बहिरा हम तोरा कतेक बेर कहि देलियौ पड़हाई-तरहाई के नाम सँ हमरा माथ दुखे लगैये हमरा लग अई सबके चर्चा नई कर !
 
बहिरा – देख हम तोहर पकीया दोस छियौ पैरह-लिख ले नीक नौकरी हेतौ, समाज में इज्जत प्रतिष्ठा हेतौ आ तोहर त बाबू सेहो नई परहल छथुन हिसाबों दोसरे सँ जोड़ब लेल जाइ छथुन नाना प्रकार के ज्ञान के बात फेकना के कहलक !
 
 
आब फेकना के दिमाग के जेना बत्ती जलि गेल हुये ! ओ अपना बाबूजी लग गेल आर कहलक बाबू जी आब हम दिल्ली नई जेब आब हम परहब फेकना के बाबूजी के त बुझु खुशी के त ठिकाना नई रहे ओकर बात सुनि मोने मोन बेचन कक्का कहै छैथ आई सुरुजदेव केनी उगलखिन !
 
फेकना पढ़ाई में जी तोर मेहनत करय लागल बुझियौ राति-दिन एक केय देलक पढाई में !
 
बेचन कक्का के एक बीघा खेत सेहो बिका गेलनि बेचना के पढेबाक अवधि में !
 
अन्ततोगत्वा फेकना पैढ-लिख सी.ए. बनि गेल ! ओ लाखो करोड़ो में कमे लागल ! एक बीघा के जगह ओ चारि बीघा खेत सेहो कीनलक ! टोल-पड़ोस के कक्का बाबा सब धिया-पुता के तों सब पैढ के बंगौर केलअ देखहक बेचना बेटा फेकना के सी.ए. बनि गेल सी.ए. !
 

२. एना बुझाइ छन्हि हुनका जेना जिनगी अमर अछि !

 
एना बुझाइ छन्हि हुनका जेना जिनगी अमर अछि,
छैथ ओ नेता सौंसे गाम बौवाई अछि !!
 
टोल में जे झगड़ा भेलै भाई -भाई में रगड़ा भेलै,
बड़का भाई कहलकै हेगै माय तों इम्हरे रहि जो !!
 
छोटका कहलकै सदिखन जे रुपैया आ पैसा के
बात करे ओ कही माय बाप सेवा करे !!
 
माय गई खाई छऊ भैया बुवारी आ नीक नई
लगै छन्हि हुनका नून आर सोहारी !!
 
धिया पुता जे हुलकी मारे झट सँ ओकरा दुआरि पठाबे
हे रौ एनी की करै छें बाँहि धैर ओकरा ठोंठियाबे !!
 
एक दिन बड़का भाई के चरलनि जुआरि
छोटका भाई, माय धिया-पुता सभके
हरबहबा लाठी सँ देलनि दौदड़ा फुलाई !!
 
एतबे में पड़ोसी समाद पठेलक नेताजी दौड़ले आयल
एना की भेलौ रे जमुना (बड़का भाई) !!
 
नेताजी रहे बइमान जमुना रहे पाकल शैतान
हे रौ जमुना की भेलौ, जमुना कहलक जुलुम भेल !!
 
जमुना कहे आई जमीन के बखरा करु और नै कुनु
लफड़ा करु !!
 
नेताजी देख जमुना लाख रुपैया चरबह पड़तौ
आ छोटका के नई बतब पड़तौ !!
 
जमुना के देखि नेताजी जी के मोन में लड्डू फुटल,
मोने मोने नेताजी कहैथ आईत हमर मुल्ला फंसल !!
 
नेताजी जी के रहनि खाली एतबे काम ,
हुनका बुझाई जिनगी अमर अछि
बनि जाइ सुच्चा बईमान !!
 

३. हम मिथले में रहबै यौ

 
जनक लली के गाम में
मिथिला के दलान में
हम मिथले में रहबै यौ
हम मिथले में रहबै यौ
 
खुब कमेलौं खुब खटेलौं
दिल्ली, बम्बई आर पंजाब
तैयो नई देखलौं मिथिला सनक
माछ, पान ,मखान आर खेतक
लहलहाइत धान !
हम मिथले में रहबै यौ !
 
बर्गर आर पिज्जा त खुब खेलौं
वेटर सब के टिप देलौं
आ नई बुझलियैक तिलकोरक सन स्वाद
अदौरी, कुमरौरी आर खमहरूवा
कतय चलि गेल यौ मीता
अपना सभक बहिन छैथ सीता !
हम मिथले में रहबै यौ !
 
नई देखलियै मिथिला सन धाम
जतय बहै छैथ कमला, कोशी आर बलान
किसान सभके कल्याण करे
आर मिसिया भैर नई गुमान करे
हम मिथले में रहबै यौ !
 

४.

 
करेजा में मारलक भाला
ई केकरा सँ पैर गेल हमर पाला
जाईत रही परोपकारी में
माईर देलक हमरा बनबाड़ी में
 
नै केलियै ककरो कहियो बेजे
नई जाने अभगला
किये देलक हमरा
एहन कठोर सजे
 
जहिया धरि रहलौं धरा पर
मान- ईमान नई बेचलौं कहियो
संस्कृति केर रक्षा केलियै
साधु संत के कर्तव्य निभेलियै !!
 
 
आ झुंड भैर -भैर आयल ओ सब
माल-मवेशी जँका मरुवा
दौनी केलक जे सब
बड़ कहलियैक हमरा छोड़ि
दे रे बौआ
नई मानलक केय देलक थौआ थौआ !!
 
 
जान बचबै के गोहारो लगेलियै
हाथ पकड़ि हम हिम्मत धेलियै
लागल आब त हमरा लेता बचाय
हमरा की बचेता गट्टा ओत लेलैथ छोड़ाई
आब त हम भेलौं असहाय
दानव सभ हमरा देलक स्वर्ग पठाई !!
 
करेजा में मारलक भाला
ई केकरा सँ पैर गेल हमर पाला
 
 

५.

 
दियके अछि त ज्ञान दी
बाबूजी हमरा सम्मान दी
पैरहि लिखि अहाँक मान बढायब
मायक देल संस्कार के झंडा फहरायब
 
 
नई लेब हम सोना
चानी आर गहना
गाम में नई लगाऊ
हमरा बियाह लेल
आँहा लहना !
 
शिक्षा लेल हम स्कूल जेबै
एकटा रोटी कमे खेबै
हमहु हेबै अपना पैर पर ठार
नई मानबै हम कखनो हार
 
 
शख मनोरथ सेहो पुरायब
काशी विश्वनाथ सेहो घुमायब
जे कहै छैथ बेटी के की करब परहाई
चूल्हि त फुकबे करती दाई !!
 
 
डॉक्टर बनि हम करब कमाल
ओहन लोक के करब इलाज
जे कहै छैथ चूल्हि त फुकबे करती दाई
दहेज में त दिय पड़बे करत पाई !!
 
 
बाबूजी पर हम भार नई बनबै
मेहनत केय हम स्वाबलम्बी बनबै
एकोटा पाई न लागय देबै दहेज
समाज के सेहो करेबै दहेज सँ परहेज !!
 
 
दुनु कुल के मान बढायब
इज्जत प्रतिष्ठा में चारि चाँद लगायब
बाबूजी के नई बनय देबै दहेजक शिकार
स्वाबलम्बी बनि हम देबनि हुनका उपहार !!
 
 
मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ लेखक पप्पू कुमार ठाकुर केँ बहुत रास शुभकामना। मैथिलीक आशीर्वाद सदिखन बनल रहतनि। अपन मातृभाषा आ मातृभूमिक सेवा सँ मेवा सब केँ भेटैत आयल अछि, हम पूर्ण विश्वस्त छी जे हिनकहु खूब नाम आ काम भेटतनि।
 
हरिः हरः!!