नेनपन मे टायर गाडी के रोमाचकारी यात्रा

यात्रा संस्मरणः बचपन आ टायरगाड़ीक यात्रा

– वाणी भरद्वाज

बात तहिया के अछि जहिया हमर उमर सात वा आठ बरष रहल होयत. दादी गाम हमर नवानी अछि. पीसी के बौआ भेल छलैन्ह. बच्चा के सेहंता मे जबरदस्ती दादी लग रूकि गेलहु. ओतय पहिने एक टा आर पीसी (मामा बाबा के बेटी) जे हमरा सं पाच बरष पैघ रहल हेतीह से छलैथ. बच्चा जाति द्वि – चारि दिन मे मोनो भरि गेल. आब रोज दादी के कही जे हम अपन माँ-पापा लग जायब. मुदा ओतय कियो पुरूष नहि छलाह जे हमरा कोईलख क द अबितैथ. तहिया यात्रा कठिनाह होइत छल. तामे मामा बाबा गाम सं पीसी के ल जाए लेल टायर गाडी आयल.  हमहु जिद्द क देलहु जे संगे जायब. कियैक त विजयी सं कनिये दूर कोईलख जतय हमर घर छल. बेस. प्रात भेने पीसी आ हम टायर गाडी पर बैसि, ओछौन बिछौन क बिदा भेलहु. कनि काल बैसैत छलहूँ, कनी काल गप्प सरक्का तखन कनी दूरक यात्रा होइत छल. गाम सं मामा बाबा के गाम करीबन पच्चीस किलोमीटर रहल हेतैक. दिन भरक यात्रा कहुना बितेबाक रहैक. हम कनि उकट्ठी रही. कनी कनी काल मे हम टायर गाडी सं नीचा उतरि क रोड कात मे खसल गिट्टी चुनी, तहिया गोटरस खेल हमसब खेलैत रही ओहि मे जतेक नीक गोटी ततेक नीक जीत. गिट्टी चुनै मे टायर गाडी आगू बढि जायत छल फेर दौड़ि क चढलहुँ. एहिना यात्रा बीतल जा रहल छल. दुपहरिया मे बिदेसर स्थान सं गुजरि रहल छलहुँ, ओहि दिन मेला लागल छलैक. किछु खाय के समान आ मैट के यो-यो जाहि मे रबड लागल रहैत छलैक से किनलहुँ. कनि काल मे रैयमा-कोठिया गाम आयल. बच्चा सब काते काते खेल रहल छल. हम ओहि यो यो सं निशान लगा क मारि आ बैसजाइत छलहुँ. जे कनि बलिहार रहैत छल तकरा सं टायर गाडी सं उतरि फरिछेलहुँ फेर आबि क बैस गेलहुँ. भरि रास्ता ओ हरबाहा सेहो परेशाने रहल. मुदा उपाये कोन छलैक. साँझ होइत होइत हम सब मामा बाबा के गाम विजयी पहुँच गेलहुँ. पहुँचिते टायर गाड़ीबला कहलक, ‘हम तोरा पहुँचाबय कोईलख नहि जेबौ. भरि रास्ता बड बदमाशी केले हँ’. तामे हमरा पिताजी देखा गेला, कोनो मरीज केँ देखय ओतय आयल छलाह. दौड़ि क हुनका लग चलि गेलहुँ. किछुए काल मे माँ लग सेहो पहुँच गेलहुँ. माँ हमरा अचानक देख हतप्रभ छल. हम अलगे खुश छलहुँ.