फेसबुक पर फेसक लफड़ा, बातक रगड़ा बातक झगड़ा

अहाँ सँ किछु विशेष बात करक छल
 
सभक सिनेह अहाँ केँ नसीब नहि होयत सहजहि, एहि लेल अहाँ कनिकबो सोच मे नहि पड़ू। सच छैक जे अहाँ केँ ई खराब लागत, मोन अन्दर सऽ तड़पैत रहत, लेकिन तैयो वांछित प्रेमक परिमाण अपेक्षा अनुरूप नहि भऽ सकैत छैक। ताहि सँ एतेक मानिकय चलल करू जे ई प्रकृति केर नियम थिकैक। सभक सब आश पूरब कोनो जरूरी नहि छैक।
 
एक बात आर! अहाँ केँ सभक सिनेह नहि भेटल ताहि सँ अहाँ सेहो दोसरक हिस्साक प्रेम मे कटौती करबाक आदति बनेनाय शुरू करब, ई अहाँ केँ सूट नहि करत आर ई अहाँ लेल हितकारी सेहो नहि होयत। जँ, अहाँ समदरसी नहि बनब, स्वयं प्रति विद्वेष भावना रखनिहार लोकहु लेल जँ प्रेमक परिमाण मे कटौती करब, तऽ एहि सँ अहाँक प्रकृति बदमिजाज आ क्रोधी मनुष्य वला होयबाक खतरा मे फँसत। ताहि लेल अपन प्रेम बिना कोनो विभेद केने सभक लेल देल करू।
 
काल्हि एक गोट मित्र संग चर्चा चलि रहल छल जे फल्लाँ-फल्लाँ भाइ सब केँ देखैत छियन्हि जे ओ सब जल्दी सँ दोसरक विचार केँ ठीक सँ सुनितो नहि छथिन। युग अनुसार पैघक कर्तव्य बनैत छैक जे कम सँ कम अपना सँ छोट आ कमजोरहु व्यक्ति केँ उचित रूप सँ अपन बात रखबाक अवसर देल करय… मुदा से वातावरण मैथिली भाषा-साहित्य केर बहुतो पुरोधा लोकनि मे कमी छन्हि। असल बात ई छलैक जे ओ मित्र किछु-किछु लेखन कार्य आरम्भ कयलनि आर अपेक्षा ई रखैत छथि जे हुनकर ओहि लेख-विचार केँ सब कियो पढय, बुझय आ नीक या बेजा से प्रतिक्रिया दैत प्रोत्साहन अथवा आर बेसी नीक लेखन लेल आवश्यक सुझाव देथि।
 
फेसबुक एकटा नीक मंच छैक, मानल। अहाँ लिखलहुँ आ तकनीकी तौर पर अहाँ सँ जुड़ल लोक ओ देखलनि, देखिकय कतेक लोक पढलनि, कतेक नहियो पढलनि। लोक पढलनि वा नहि ई बात अहाँ केना बुझबैक? ई बात बुझबाक लेल पाठकक प्रतिक्रिया आ अहाँक लेख पर उपस्थिति आभासी संसार सँ यथार्थ धरातल धरि केर भेंटघांट मे मात्र अहाँ केँ पता लागत। कय गोट तकनीकी पक्ष सब सेहो छैक। अहाँ कोन तरहक कन्टेन्ट्स वला पोस्ट लिखैत वा फोटो वा वीडियो केर रूप मे शेयर करैत छी, ताहि मे केकर कतेक इन्टरेस्ट छैक, ताहि गुणे व्युज भेटैत छैक। आभासी संसार सँ जखन अहाँ आगू बढिकय यथार्थ संसार मे सेहो चिन्हल-बुझल-पढल जाय लागब, अहाँक कृत्ति स्वस्फूर्त सफल भेल बुझि सकैत छी।
 
अहाँ एक सृजनकर्मीक रूप मे अपन कार्य पर ध्यान दैत रहू। एखनहिं एक मैथिल युवा कार्टूनिस्ट अपन किछु असन्तोष कोनो वरीय कर्मी आ मिथिलासेवीक सम्बन्ध मे कहि रहल छलाह। वरीय कर्मी द्वारा किछु सवाल ठाढ कयल गेल अछि, श्लील आ अश्लील केर व्युज पर लक्षित आर ताहि मे युवा कार्टूनिस्ट केर कृत्ति केँ अश्लील मानि ओकर बेसी व्युज होयबाक कारण दर्शक सँ शिकायत राखल गेल अछि। सच यैह छैक जे आजुक समय मे बहुत रास गम्भीर आ आवश्यक चीज लोक केँ देखबाक-बुझबाक समय नहि छैक, आर छोट-छोट व्यंग्य आ प्रस्तुति मार्फत जँ छोट-छोट सन्देश देल जा रहल अछि त ओ बेसी देखल-पढल-बुझल जाइत अछि। एहि द्वारे गम्भीर वेत्ता सब जँ बीतय लागथि जे हमर काजक सराहना लोक नहि कय रहल अछि, ई वेत्ताक अपन मानसिक कमजोरी केँ देखबैत अछि।
 
हमर पत्नी आइ एकटा उदाहरण दैत कहली, राधाजीक विरह केँ देखबयवला २ गोट रचना जेकर हम आइ भावानुवाद कयलहुँ से बहुत कम लाइक्स पाबि सकल… यानि बहुत कम बेर पढल गेल, ओ बुझलथि। यथार्थतः ई बिल्कुल गलत छैक जे लाइक्स केर संख्या कम भेला सँ ओ कम बेर पढल गेल। बल्कि ओ गम्भीर आ लोकक आस्था सँ जुड़ल सामग्री रहबाक कारण कतेको लोक पढियोकय उपस्थिति देखेबाक लेल औपचारिक लाइक करब जरूरी नहि बुझि बस देल गेल सन्देश ग्रहण कयलनि। ओ असल प्रेम थिक। देखौआ प्रेम त प्रेम अछिये, मुदा जे बिन देखौआ अछि ओकर संवेदनशीलता देखौआ सँ बहुत बेसी होइत अछि। ई हमर मनोभाव सदिखन रहल अछि। लाइक्स लेल वा कमेन्ट्स लेल हम कथमपि लेखन कार्य नहि करैत छी। गम्भीर पाठक जरूर चाही।
 
हरिः हरः!!