ई नहि देब, ओ नहि देब, तऽ कि देब, ‘बाबाजी का ठुल्लू’??
व्यंग्य प्रसंग
- राकेश झा, ठाढी, मधुबनी।
आइ भोरुकवा मे एकटा सपना देखलौं कि एकटा बाबाजी हमरा लंग ऐला आ कहला जे माँग तोरा कि चाही...
गाम मे देखलहुँ खच्चरहि!! (व्यंग्य प्रसंग)
संस्मरण - सत्य अनुभूति
- संतोष कुमार संतोषी
गाम घर मे देखा पड़ल किछु... खच्चरहि..
से समुच्चा पैढि देल जाउ..
(1) प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सक के रूप में, अपना...
नेतागिरी लेल दिमाग चाही!
नेता बिन्देसरक कथा
- प्रवीण नारायण चौधरी
बिन्देसर बच्चे सऽ बड कुशाग्र बुद्धिक छल। मिडिल स्कूलमे पढैत समयसँ कालिजके पढाइ तक परीक्षाक फीस, ट्युशनक फीस, बटखर्चा,...
मैथिली कथा: भैंसूरक घोघ आ भाभौक योग
कथा
- प्रवीण नारायण चौधरी
भैंसुर केर घोघ, भाभौक योग!!
राम कुमार भैयाक आइ गाम सँ दिल्ली अयला १५ दिन सँ बेसी भऽ गेल छलन्हि। श्याम कुमार...
सात्त्विक इन्सानक राज कहिया बनत?
व्यंग्यवाण
- विमलजी मिश्र, सुपौल, मिथिला
मिथिला आ संपुर्ण बिहार मे,
टिटही, बेंग, गोबरछत्ता केर प्रादुर्भाव,
चुनावी मौसम मे किछु बिशेषे भऽ जायत अछि ।
दु चारि टा'क टोली...
वोटक लेल किछो करबाउ!
वोटक लेल किछो करबाउ!
देखियौ आयल फेर चुनाउ
चाही वोट छूछ नारा लगाउ
पाछूक बात बिसरिये जाउ
आगूक वादा झडी सजबाउ
मतदाताकेर जाति बुझाउ
जाति गुणे ओ वोट गनबाउ
सदन देश...
अपना केँ जराउ, पड़ोसी केँ बचाउ
- प्रवीण नारायण चौधरी
अपन घर के खोजे नहि अन्ना के पुछारि
अपने भ्रष्ट से सोचे नहि सभ्यताके बिसारि!
मिथिला राज बनाबय लेल तेलंगाना के वेट
बारीक पटुआ...
कनियां सँ आइ फेर झगड़ा भऽ गेल!!
कथा
- प्रवीण नारायण चौधरी
(व्यंग्य प्रसंग)
काल्हिये सँ हुनका कहैत छलियैन जे "प्रिये! हमर सब संगीक कनियां जीन्स पहिरैत छैक। सबहक कनियां कनेकबो कनियां सनक बुझाइते...
टाकिंग बिग बट डूईंग नथिंग
खाली बात केनाय, काज नहि केनाय - बिग टाकर्स!
ओझा केँ खाली लंबा-लंबा बात छोड़य वला वाइन भऽ गेल छलनि। बेचारे हरदम देश आ समाजक...
सैँ-बौह केर झगड़ा
व्यंग्य प्रसंग
बात कोन बड़ पैघ छलैक सेहो नहि, बस एतबी टा कहनाय कि 'कतेक नीक होइत जे हमरो बियाह कोनो कोसीक्षेत्रीय मैथिली कन्याक संग...