Home » Archives by category » Article » Satire (Page 7)

ई नहि देब, ओ नहि देब, तऽ कि देब, ‘बाबाजी का ठुल्लू’??
व्यंग्य प्रसंग – राकेश झा, ठाढी, मधुबनी। आइ भोरुकवा मे एकटा सपना देखलौं कि एकटा बाबाजी हमरा लंग ऐला आ कहला जे माँग तोरा कि चाही । आय जे सब मंगबैं से मिल जेतौ, हम अकचका क पुछलौं बाबाजी हमरे पर ई मेहरबानी कियैक । त कहला जो रे मुर्ख तुहीं सब त सबसं पिछ्ङल […]

गाम मे देखलहुँ खच्चरहि!! (व्यंग्य प्रसंग)
संस्मरण – सत्य अनुभूति – संतोष कुमार संतोषी गाम घर मे देखा पड़ल किछु… खच्चरहि.. से समुच्चा पैढि देल जाउ.. (1) प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सक के रूप में, अपना समयानुसार दैनिक लोकक घरे घर जा के उपचार करैत, अपन आय अर्जन मे वृद्धि क रहलौं से नीक….. मुदा अकस्मात् कोनो बीमार लोक के जरूरत परला पर […]

नेतागिरी लेल दिमाग चाही!
नेता बिन्देसरक कथा – प्रवीण नारायण चौधरी बिन्देसर बच्चे सऽ बड कुशाग्र बुद्धिक छल। मिडिल स्कूलमे पढैत समयसँ कालिजके पढाइ तक परीक्षाक फीस, ट्युशनक फीस, बटखर्चा, पुस्तक कीनबाक खर्च आ सभ बात के इन्तजाम लेल ओ माता-पितासँ पाइ नहि लऽ अंडी फर तोडि आ सुखाय अंडी बिया बेचि, कागज पर चित्र काढि हटिया पर बेचि, […]

मैथिली कथा: भैंसूरक घोघ आ भाभौक योग
कथा – प्रवीण नारायण चौधरी भैंसुर केर घोघ, भाभौक योग!! राम कुमार भैयाक आइ गाम सँ दिल्ली अयला १५ दिन सँ बेसी भऽ गेल छलन्हि। श्याम कुमार हुनक छोट भाइ दिल्लिये मे रहैत छल। ओतहि छोट-छिन काज पकड़ि लेने छल। बाबुक मरलाक बाद श्याम कुमार केँ गाम छोड़य पड़ि गेल छलैक। बाबुक अमलियत मे ५-१० […]

सात्त्विक इन्सानक राज कहिया बनत?
व्यंग्यवाण – विमलजी मिश्र, सुपौल, मिथिला मिथिला आ संपुर्ण बिहार मे, टिटही, बेंग, गोबरछत्ता केर प्रादुर्भाव, चुनावी मौसम मे किछु बिशेषे भऽ जायत अछि । दु चारि टा’क टोली बनाकय अपन-अपन राग, गीत आ सोहर सँ लैत ‘राम नाम सत है’ तक, सब किछु अलापनै शुरु कय दैत अछि । भगत रंगा सियार सँ साँठ-गाँठ करैत, […]

वोटक लेल किछो करबाउ!
वोटक लेल किछो करबाउ! देखियौ आयल फेर चुनाउ चाही वोट छूछ नारा लगाउ पाछूक बात बिसरिये जाउ आगूक वादा झडी सजबाउ मतदाताकेर जाति बुझाउ जाति गुणे ओ वोट गनबाउ सदन देश सब एके रंग मैनजन डुगडुगी बजाउ या बम मारू गोली लगबाउ कोहुना लोकक मन फोडाउ नेता माने बनियौटी केनाय नोट लगाउ वोट खसबाउ नियम […]

अपना केँ जराउ, पड़ोसी केँ बचाउ
– प्रवीण नारायण चौधरी अपन घर के खोजे नहि अन्ना के पुछारि अपने भ्रष्ट से सोचे नहि सभ्यताके बिसारि! मिथिला राज बनाबय लेल तेलंगाना के वेट बारीक पटुआ तीत अछि दूरक लगबी रेट! कौआ कुचरय सांझ के खायब नहि आब गुँह भिन्सर फेरो बिसरैत अछि दौड़ि मारय मुँह! मोरक पाँखि पहिरि के नाचि सकय नहि […]

कनियां सँ आइ फेर झगड़ा भऽ गेल!!
कथा – प्रवीण नारायण चौधरी (व्यंग्य प्रसंग) काल्हिये सँ हुनका कहैत छलियैन जे “प्रिये! हमर सब संगीक कनियां जीन्स पहिरैत छैक। सबहक कनियां कनेकबो कनियां सनक बुझाइते नहि छैक। एखनहु जेना छौंड़िये-नौरी जेकाँ कमसिन जबान – फिल्मी हिरोईन समान! से प्रिये! अहाँ सेहो काल्हि हमरा संगे ईन्डिया गेट पर जे घूमय लेल चलब तऽ जीन्स […]

टाकिंग बिग बट डूईंग नथिंग
खाली बात केनाय, काज नहि केनाय – बिग टाकर्स! ओझा केँ खाली लंबा-लंबा बात छोड़य वला वाइन भऽ गेल छलनि। बेचारे हरदम देश आ समाजक चिन्ता मे अपना केँ डूबल रखैत छलाह। जखन देखू तखन लोक सब केँ एलबम देखेनाय शुरु करैत छलाह जे, “फल्लाँ समय फल्लाँ समय फल्लाँ महान काज लेल अति महान विचार […]

सैँ-बौह केर झगड़ा
व्यंग्य प्रसंग बात कोन बड़ पैघ छलैक सेहो नहि, बस एतबी टा कहनाय कि ‘कतेक नीक होइत जे हमरो बियाह कोनो कोसीक्षेत्रीय मैथिली कन्याक संग होइत….’ – एतेक सुनिते कनियैन समूचा घर केँ माथ पर उठा लेली… अन्ट-शन्ट बाजैत गेली… ‘के करितय अहाँ संग बियाह… ओ तऽ हमर बाबुक मति फिरि गेल छलनि… नहि जाइन […]