Home » Archives by category » Article » Satire (Page 4)

बक्रबुद्धिक आँखि सेहो खुजि गेल (नैतिक कथा)
बक्रबुद्धिक आँखि सेहो खुजि गेलैक! (नैतिक कथा) – प्रवीण नारायण चौधरी सुबुद्धि आ बक्रबुद्धि एक्कहि गामक दुइ बरोबरि उम्रक युवा छल। सुबुद्धि अपन नामहि अनुरूप सुन्दर कार्य मे ध्यान दैत छल। बक्रबुद्धि अपने जतेक काज करय से बक्रे आ सुबुद्धिक काजक कूचर्चा ओकर खास काज मे सँ एक छलैक। भैर गामक लोक केँ पता छलैक […]

अप्रील फूल बनाया – दिल्ली वला विमलजी भैया
अप्रील फूल – विमल जी मिश्रा भोरे भोरे नोत भेटल त, मोंछ पर देलौं हाथ। बता रौ भुटवा, बिनु एकादशी की छीयै एहेन बात॥ सुनु यौ बाबा कौबला छलै, माँ केलथि उपवास। तीन साल सँ लटकल भैया, एहि बेर केलक पास॥ कॉलेज जेतै डीग्री लेतै, नोकरी कें भेल आस। बहुत दिन सँ घर पर बैसल, […]

कतेक रंगक लोकः सम-सामयिक विचार
कतेक रंगक लोक….. – प्रवीण नारायण चौधरी होली थिकैक। रंग-अबीर केर कतेको रंग देखाएत अछि। दृश्य कतेक रंग – अदृश्य सेहो बहुते रंग। अपन रंग जँ नहि जमल तऽ भांगक संग जमाओल कतेक रंग। ठीक छैक। होली पर रंगक फुहार – अबीर-गुलाल – सब ठीक छैक। मुदा जीवनक आर दिन मे रंगक पकड़ कमजोर […]

आब जेहेन लागए, मुदा हास्य थीक आ सेहो होली विशेष
फगुआ-विशेष किछु रचना – अमर नाथ झा, महरैल, मधुबनी। खटमधूर मनुखक जीवन भेलइ उस्सठ, रहलइ नै किछु लास्य हास के बूझय गारि सम , गारि लगइ जनु हास्य । जेकरा नहिं सामर्थ्य हो , अपनहुं पर हँसबाक से अधिकारी कथमपि नै दोसर घर धँसबाक। व्यंग-मुस्सरिक असरि हो एतबे,जते सहसगर बुन्न मोन विदीर्ण करइ नहिं किछुओ,अंग-माथ […]

राजा आ रफ्फूः गप्पी मैथिल समाज लेल नैतिक कथा
राजा आ रफ्फू – प्रवीण नारायण चौधरी एकटा बड पैघ गप्पी राजा छलाह आ हुनकर दरबारियो सब लगभग सबटा तेहने वीर गप्पी सब छल। राजा केँ जखन राजकाज सँ फूर्सत भे जाएत छलन्हि तखन अपन गप्पी दरबारिया सब संग बैसिकय गप्प छाँटय लागथि। आब गप्पी राजा आ गप्पी दरबारी… खूब तूकबन्दी चलैत छलैक। तरह-तरह केर […]

खण्डी बुद्धिक मैथिल आ ओकर संस्थाक हालत पर कथा
गामक होरी उत्सव दुइ ठाम होयत (भाग १) – प्रवीण नारायण चौधरी “सुने रे मंगना, सुन रे ढोलना… सुनय जो – सुनय जो!!” नगबा हल्ला करैत – जोर-जोर सँ चिचियैत मुशहरी मे सब केँ जगबैत कहय लागल। लोक सब ओकर आवाज सुनि-सुनि एहि कनकनीवला जाड़मे सुजनी तर सँ निकैल गाँती बन्हने, कियो-कियो सुजनी-केथरी देहे […]

मैथिली चुटकुलाः पहलवान भौजी
हास्य-व्यंग्यः पहलवान भौउजी – संकलनः सरोज झा (फेसबुकः https://www.facebook.com/saroj.jha.3139241) भोरे भोर अजय भाय केकरो सँ झगड़ा कय केँ घर आपस आयल रहैथ। मोन बड़े खौंझायल रहैन। अजय भाय केर कनियां जिनका दिअर सब चौल करैत ‘पहलवान भौउजी’ कहैत छलाह, ओ भौउजी बुझबैत हुनका कहलखीन, “पूजा कएल करू! बड़का सॅ बड़का झंझटि हंटि जाएत छैक।” अजय भाय: अहुँक बाप […]

एक्सीलेन्ट सिक्स मानव सेवाः एकांकी हास्य सँ सीख
यथार्थ पर आधारित एकटा एकांकी – समाचार पठेबाक एकटा नव आयाम – मुम्बई सँ प्रकाश कमती, २२ जनबरी, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद लेल खास!! शीर्षक :- “व्हाट्सऐप सँ गाम धैर” (गुलटन काका अपन भातिज फुलचनमा सँ कहैत) गुलटन काका – धुर परेशान भय गेलौं…। फुलचनमा – कि भेल काका यौ..? गुलटन काका – बौआ इ फेसबुक, […]

चुनावी चस्का: झुन झुना रे झुन झुना
गीत – विमल जी मिश्र झुन झुना रे झुन झुना, झुन झुना रे झुन झुना! आठ नबम्बर बाद मे देखब, कतेक गेलै जहल थाना! झुन झुना रे झुन झुना…… कतेक कटोरा लऽ कें बैसत, कतेक बेचत राम दाना, झुन झुना रे झुन झुना…. कतेक बेचलक खेत पथारी, कतेक बेचलक गहना, कतेक कर्जा बर्जा […]

चुनावी व्यंग्य: काका-भतीजा केर वार्ता
काका हौ!! कि भेलौ? देखय छहक? हमरा पंडिजी कहइ यऽ? आरौ तोरी के! पंडितक बेटा छिहीन आ पंडिजी कहि देलकौ तऽ कि भऽ गेलइ रौ? नञ हौ! देखय नय छहक जे आइ-काल्हि पंडिजी भेने लालू खेहारैत छैक से? चुप खच्चर! लालूक बापक दिन छैक जे तोरा किछ कहतौक? कतय ओ पटना मे आ तू मिथिला […]