“मिथिलाक पाहुन”
-- पीताम्बरी देवी।
पाहुन के दरवजा पर देख के मोन खुशि से भरि उठैत अछि...
“अतिथि देवो भव:”
-- सरिता झा।
उपनिषद के एकटा वाक्यांश "अतिथि देवो भवः " पर आधारित अतिथि सत्कारक...
” अतिथि आ आतिथेय केर मर्यादा”
-- आभा झा।
अपन मिथिला के लोक पाहुन सत्कार लेल प्रसिद्ध अछि।अतिथि सत्कार पारिवारिक...
“पाहुनक मान आ घरबैयाक ध्यान राखलासँ ई संबंध बनल रहैत छै”
-- कृति नारायण झा।
"मंगलमय दिन आजु हे पाहुन छथि आयल। धन्य धन्य जागल भाग हे मन...
“जिम्मेवार नेनपन”
-- झा पंकज।
एकटा बालक रहैथ। हुनक बच्चाक ५ साल रईसी स बीतल। पिता जी आ...
“विश्वास – जीवन के सबसँ पैघ आधार”
-- कृति नारायण झा।
एक गोटे माता रानी केँ परम भक्त छल। ओ बहुत प्रेम भाव सँ माता...
“ज्ञानक गप्प बच्चोसँ सीखल जा सकैए”
-- आभा झा।
आइ भोरेसँ शीला भनसा घर मे भानस करय मे लागल छलीह। हुनकर सात बरखक बेटी पलक...
“सरकारी जमाए”
-- प्रियम्बदा कुमारी।
"आर पंडितजी, लड़का करैत की छथिन?''
जजमान, लड़का दिल्ली में कुनु पैघ कम्पनी में, ओ कथी कहय...
“पुनर्विवाह- पुनर्जीवन”
-- कृति नारायण झा।
विधवा पुनर्विवाहक औचित्य के सम्बन्ध में कहल जा सकैत अछि जे हमर सभक समाज पढि लिखि कऽ...
“सोच बदलबाक आवश्यकता अछि”
-- आभा झा।
पुनर्विवाह: जरूरत सोच बदलै के
अपन समाज एतेक पढ़ल-लिखल भेलाक बादो पुनर्विवाह के अपन समाज में स्थापित...