टेमीक दगनाय मे जतेक कष्ट होएछ ताहि सँ बहुत बेसी कष्ट पत्नी सब वर्दाश्त करैत छथिः आशा

विचार

– आशा झा

प्रसंग मधुश्रावणी में टेमी दागब

हम पहिनहि कह दी जे हम ने अकर विरोधी छी और ने अकर पक्ष के। विरोधी अहि लेल नहि जे हमरा ज्ञान में ई माँ जानकी स संबंधित अछि तैं हमर श्रद्धा और अस्मिता स जुड़ल अछि। आ दोसर जे, ई तकलीफहमरा त बड़ छोट बुझाइत अछि। संपूर्ण जीवनमें मानसिक वा शारीरिक कष्ट, जे अमानुषिक ढ़ंग स देल जाएत छै ताहि के समक्ष। निजी जीवन में हम अपन परंपराक पक्षक छी। धरि आंखि मूनि ने पक्ष ने विरोध कय पबैत छी।

कोनो बेटी के योग्यता आओर इच्छा रहितहुं पढ़ाई छोड़ा देल जाएत छैक। ई मानसिक कष्ट आजीवन ओ भोगैत अछि। नैहर कहै छै, आब सासुर तोहर घर आ सासुर में कोनो भूल चूक वा झंझट पर पतिदेव कंठ पकड़ि घर स बाहर के रास्ता देखा दै छथीन जे जो नैहर! हमरा घर में तोरा लेल जगह नहि छौ। ओहो ओइ स्त्री के जे ब्रत पाबनि आदि कष्ट हुनके जीवन लेल वा ओही घरक सुख शांति लेल करैत छथि। बात-बात पर बुढ़ारियो तक कोनो गल्ती-सही पर माय बाप भाई बहीन केँ गरियेनाइ। बिना कोनो प्रमाण वा संदेहो के चरित्रहीन कहब वा ओहि सूचक शब्द सँ संबोधित करब। इत्यादि बात सब, एहेन बहुत बात छै जाहि समक्ष टेमीक दागब बहुत छोट कष्ट बुझाइत अछि।

हमर आग्रह जे घर परिवार अगल बगल आओर आत्मालोकन करू आर सोचू। पति वा पुत्रक असह्य दुख स पीड़ित पीड़िता केँ आजीवन लांछन देल जाई छै। ओ कष्ट? एक बात और जे चुटुक्का जे बना लेल जाय धरि घरमें कोनो बातक प्रधानता किनकर से त सब गोटे जनिते छी। तथापी कियो भलमानुस जौं पत्नी स विचारे कय कोनो बात करैत छथि हुनका मौगियाह कहल जाई छैन जेना मौगी में जनमब कोनो गारि होइ। 

पहिने त पबनैतिन केँ रातियो में सात्विक भोजन देल जाइत छलैक। धरि आब नबका-नबका व्यवहार सब सुनय में आबि रहल अछि।
हमर एक टा संबंधी नवोढ़ा गर्भवती भय गेल छथि। सामान्यो अवस्था में हुनका प्यास बड़ लगै छनि। हुनकर सासु मां हुनका पंचमी स मधुश्रावणी धरि भोजन त दूर राति में जलो नहि पीबय दय रहल छथिन। आब कहू अइ के की कहल जाय? टेमी पड़ब आ अहि कष्ट में कोन नमहर कष्ट?? तहन मात्र टेमीक विरोधक कोनो अर्थ नहि रहि जाइ छै। टेमी बड़ छोट कष्ट छैक।

जौं तार्किक दृष्टि स देखी त आई जाहि ढंगे ई पूजा भय रहल छै ओहि में ढ़ोंग बेसी आ उपयोगिता शून्यप्राय रहि गेल छै। तहन त पूरा पाबनिये अप्रासंगिक बुझाइत अछि हमरा। उद्देश्यहीन और व्यर्थ! जे अहि व्रतक उद्देश्य छल ओकरे जहन समाप्त कय देल गेलैक तहन ई तामझाम अनटोटले ने। हमरा हिसाबे मात्र टेमी दागब नहि पूरा पाबनियेक प्रथा समाप्त भय जेबाक चाही।

रहल पतिदेवक आयुक बात – त जहन हमर धर्म कहैत अछि जे छठिहार राति जे विधना लिख दै छथीन ओकरा स्वयं ब्रह्मा तक नहि मिटा सकैत छथि तहन अइ व्रतक मतलब??

आ तैयो जौं अल्पायु में पतिदेव प्रयाण कय जाएत छथीन त ओकरो दोख स्त्रिये पर। हम अपना के बहुत भाग्यशाली मानै छी जे पढ़ाई छोड़ि अन्य तकलीफ स ईश्वर हमर रक्षा कयने छथि। धरि कि सब???

ई हमर अपन विचार अछि। अहि विचार मंच पर सभक स्वागत अछि। किनको हमरा विचार स कष्ट भेल होमय त हम करबद्ध क्षमा चाहै छी।
इति।