मिथिलाक ऐतिहासिकता मे मधेपुराक इतिहासपुरुष लोकदेव “खेदन महाराज”

मिथिलाक ऐतिहासिकता मे लोकदेव “खेदन महाराज”

– मूल आलेखः डा. लक्ष्मी प्रसाद श्रीवास्तव, भावानुवादः प्रवीण नारायण चौधरी
 
११ शताब्दी मे मधेपुरा सँ लगभग १० कि.मी. पूब-दक्षिण सुखानसन गामवासी एक प्रसिद्ध लोकदेव भेलाह ‘खेदन महाराज’। शिवदत्त मंडल केर धर्मपत्नी धनावतीक कोखि केँ नेहाल कयकेँ कीर्तिमूर्धन्य जीवन आर लोककल्याणकारी मृत्यु केँ अवगाहन कयकेँ आवेश-विग्रह सँ लोकपूजित होमयवला ‘खेदन महाराज’ सेवक आर भगताइन सब मे लोकबंद्य छथि। एतय शब्द ‘अवगाहन’ तथा ‘आवेश-विग्रह सँ लोकपूजित’ होयबाक बात तखन स्पष्ट होयत जखन खेदन महाराज द्वारा लोककल्याण वास्ते मृत्यु केँ गला लगेबाक आर फेर सूक्ष्म शरीर सँ अपन मौजूदगी जीवन उपरान्तो रहबाक बात केँ हम सब आगाँ मनन करब।
 
पूर्वी मिथिलाक अहिराना कुल मे खेदन महाराजक आराधना आइयो धरि कएल जाएछ। मिथिलाक लोकपरंपरा मे चमत्कारी महापुरुषक चरित-गान करबाक परंपरा रहल अछि। लोकदेव खेदन महाराजक चरित-गान सेहो विभिन्न भगैत मे भेटैत अछि। गोलमा-गोविन्दपुर निवासी मांगैन मंडलक बेटी ‘निरसू’ सँ हिनक विवाहक चर्चा एहने एक भगैत गीत मे भेटैत अछि, संगहि हिनकर बहिन मंगलादेवी आ बहनोई मनसा मंडलक अलावे पित्ती रामदत्त आ देवदत्त केर संदर्भ सेहो एहि चरित मे पड़ैत अछि।
 
हिनकर कुलदेवी ‘गहीलमाता’ छलखिन। शक्तिक पूजारी, संयमी आ महाबली खेदन महाराक मित्र छलाह – ‘कारू खिरहरि’। दुनू सुरहा जंगल मे संगे महीस चरायल करैथ। विदिते अछि जे कारू खिरहरि सेहो एक अवतारी पुरुष मिथिलाक पावन भूमि पर लोकदेवकेर रूप मे पूजित छथि, जिनकर कृपा सदिखन घर-गृहस्थी मे सहयोग करयवला माल-मवेशीक स्वास्थ्य सहित खेत-खरिहान मे मेहनत-मजूरी सँ जीवनयापन कएनिहार लोक-समाजपर आइ धरि प्रभावकारी होयबाक आस्था प्रचलित अछि। खेदन महाराज आ कारू खिरहरिक मित्रताक चर्चा सेहो एहि भगैत सब मे बखूबी गान कएल जेबाक परंपरा रहल। दुनू महापुरुष ओहि समयक भयानक जंगल आर ताहि मे रहयवला खतरनाक बाघ सँ लोक-समाजक रक्षा करबाक प्रण लेने छलाह।
 
महाबली खेदन महाराजक एहि बल, हिम्मत, आ समाजक हितचिन्तन केर मर्यादाक कारण प्रतिद्वंद्वी ओगरी महाराज हिनका सँ ईर्ष्या करैत छलाह। बाद मे ओगरी महाराजक चर्चा सेहो अलग सँ करब। मिथिलाक ऐतिहासिकता मे जनश्रुति आधारित अनेको तथ्यक आधार पर ठाढ एहि तरहक लोकपुरुष सभक जीवन सँ हमरा लोकनि बहुत किछु सिखैत छी, संगहि अपन बाप-पुरखाक सोझाँ रहल कठिनाईपूर्ण जीवनक अवस्था पर सेहो मनन करैत अपना लेल एक उर्जावान सम्बल ठाढ करैत छी। ओगरी महाराज खेदन केर बध करबाक योजना बनौलनि आर ताहि मे धनाहिल नामक मित्र केँ सेहो सहयोगी बनौलनि।
 
अपन मायाशक्ति सँ एकटा बाघिन प्रकट करैत ओकरा संगे लय केँ ओगरी महाराज आ धनाहिल सुरहा वन जतय खेदन आ कारू रहि रहल छलाह, ओतय पहुँचैत छथि। ताहि समय खेदन सूतल छलाह। सूतल खेदन केँ जगेबाक विभिन्न प्रयास करितो धनाहिल विफल रहलाक बाद ओतय सँ घुरि जाएत छथि, कारण सुतल लोक केँ बध करब हुनका उचित नहि बुझेलनि। मुदा फेर सँ ओगरी महाराजक बातक प्रभाव मे आबि ओ खेदन महाराज केँ जगबैत छथि, मायाक बाघिन हुनका ऊपर आक्रमण करैत छन्हि आर खेदन अपन बल सँ ओहि बाघिन केँ मारि दैत छथिन। एतबा नहि! आब खेदन त ताकि-ताकि केँ बाघ प्रजाति पर आक्रमणक सिलसिला चला बैसैत छथि – हिनकर आतंक सँ बाघ सब ओ जंगल छोड़िकय भागि जाएत अछि।
 
एक बेर खेदन एक गर्भिणी बाघिन केर प्रहार सँ मुर्च्छित भऽ गेलाह, लेकिन ओ बाघिन ओहि दिन अपने भागि गेल। मुदा दोसरे दिन मे खेदन पुनः अपन बाघ सफाया अभियान मे ‘टेंगराहा चौर’ (मधेपुरा) मे बाघिन सँ युद्ध करैत मारल गेलाह। हुनकर मृत-शरीर गाम आनल गेलनि। चिताक अग्निक लपेट मे पुत्रक शरीर जरैत देखि माय धनावती ओहि चिता मे कूदि गेली। तखनहि पुत्र खेदनक दिव्य आत्माक आवाज आयल, “माय! तोहर रौंओं नहि जरतौक। तोहर बेटाक स्थूल शरीर भले जैर जाउक, मुदा ओ अपन सूक्ष्म शरीर सँ तोरे लग रहिकय लोककल्याणक काज करैत रहतौक।” ई सुनि माय छाती पाथर कयकेँ शान्त भेलीह।
 
खेदनक दिव्य-अद्भुत प्रभावक कारण हुनकर अनेको पूजास्थल बनल, जे मधेपुरा जिलान्तर्गत राजपुर, भर्राही, सादिकपुर, जीरबा-मधेली, मनहरा, साहूगढ, गौरीपुर, हरिपुर (कला), भेलाही आदि स्थान मे अद्यतन अछि। राजपुर-गह्वर केर पीपरक गाछ तर हुनक स्थानक अवहेलना सँ दरभंगा महाराजक हाथी आर महावत केँ जे दुःख भोगय पड़ल छल, ताहि सँ चकित भऽ कय महाराज चारि बीघा जमीनक जागीर दैत ओहि लोकदेवक पूजा आर सम्मान केँ लोक मे प्रतिष्ठित कएलाह।
 
एहि मिथिलाक वर्तमान पीढी मे एहि सब तरहक लोकश्रुति गाथाक सार्थक प्रभाव पड़ब बहुत जरुरी अछि, कारण आजुक समय मे लोकसमाज आपस मे जाति-धर्मक नाम पर जेना विभाजित अछि ताहि सँ अपन पैर पर अपनहि सँ कुरहरि मारि मिथिलाक अलौकिक आ विशिष्ट पहिचान पर खतरा बनि गेल अछि। उम्मीद करब जे एहि तरहक आलेख सँ हमरा लोकनि अपन पूर्वजक वीरतापूर्ण इतिहास केँ बुझि सकब आर एहि मिथिला मे भेटल जन्म केँ सकारात्मक दिशा मे अग्रसर करब।
 
हरिः हरः!!