मिथिलाक प्रसिद्धि मे गोनू झा सेहो एक अविस्मरणीय स्तम्भ

गोनू झा – एक छोट परिचय
 
भरवाड़ा गाम (दरभंगा) निवासी गोनू झा तेरहम शताब्दी (ईस्वी संवत) मे भेल प्रतिव्युत्पन्नमतित्व सम्पन्न एक बहुचर्चित व्यक्तित्वक धनी छलाह गोनू झा।
 
सिंहवारा प्रखंड कार्यालय परिसर मे मे हिनकर प्रशस्तिक शिलालेख सेहो विद्यमान अछि। एहि लोक पुरुष मे गज्जब सूझ, विलक्षण प्रतिभा, त्वरित निर्णय लेबाक सामर्थ्य, अक्खड़पन, बौद्धिक चमत्कार सँ केकरो हारि मानय लेल बाध्य कय देबाक अति विशिष्ट कला, तहिना हास-परिहास संग खुलिकय खेलेनिहार – एहेन-एहेन अनेक गुण-धर्म-विशेषता सँ सम्पन्न व्यक्तित्व ‘गोनू झा’ मिथिलाक घर-घर मे प्रचलित आ चर्चित छथि।
 
हिनक समकालीन टेकारी राज्य (गया) केर साकलद्विपी ब्राह्मण देवन मिश्र केर चर्चा सेहो कएल जाएछ, जिनकर बुद्धि-प्रखरता और अक्खड़पन केर कथा सेहो बहुत प्रसिद्ध अछि। गोनू झा संग हिनक बौद्धिक-स्पर्धा करबाक चर्चा मगधवासी सभक बीच काफी प्रचलित अछि।
 
मिथिला मे गोनू झा सँ जुड़ल बहुत रास खिस्सा पिहानी बुढ-पुरान सभक मुंहे सुनय लेल भेटैत अछि। कतेको कथा मौलिक आर कतेको बनौआ – मौलिक कथा ओ जाहि मे अत्यधिक समानता अलगो-अलग स्थान पर सुनला सँ भेटत, जखन कि बनौआ खिस्सा धिया-पुता केँ रिझबय लेल गोनू झा केर नाम प्रयोग करैत अपने सँ बनाकय कहैत देखाएत अछि। गोनू झा केर कथा हिन्दी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य आर विभिन्न अन्य भारतीय भाषाक साहित्य मार्फत वैश्विक बनि गेल कहब अतिश्योक्ति नहि होयत। मिथिलाक विभिन्न प्रसिद्धि मे गोनू झा सेहो एकटा मापदंड तय करैत छथि, ईहो यथार्थ थिक।
 
हरिः हरः!!