कथा-पिहानी सँ मूर्तवान वाचस्पति – सूत्रधार रत्नेश्वर बाबूक परिचय

विशिष्ट व्यक्तित्व परिचयः रत्नेश्वर झा, अध्यक्ष, वाचस्पति स्मारक मंच, ठाढी

सच छैक जे कीर्तिवान पुरुष केर लक्षण आर सँ भिन्न होएत छैक। ओकर बौद्धिक बल आ पुरुषार्थ एतेक तेज – एहेन दिव्य होएत छैक जे केहनो चुनौतीपूर्ण कार्य केँ हँसिते-हँसिते पूरा कय दैछ, जे देखि हजारों-हजार लोक बस दंग टा पड़ि सकैछ। ई सब दृढ विचार आ कर्मठ कर्तब्यपरायणता सँ प्राप्त होएत अछि जेना हम अनुभव करैत छी। दर्शक दीर्घा मे बैसल वाचस्पति स्मारक मंचक पदाधिकारी लोकनि, दाहिना सँ पहिल रत्नेश्वर झा।
 
विश्व मानचित्र पर अत्यधिक प्रभावित करयवला गाम – मिथिलाक मधुबनी जिलाक ठाढी गाम, अन्धराठाढी वा वाचस्पतिनगर उपनाम सँ सेहो प्रचलित गाम केर निवासी करीब ५० वर्षीय रत्नेश्वर झा केर व्यक्तित्व हमरा सब दिन बहुत प्रभावित केलक। पैछला वर्ष मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल, पटना मे हिनके सनक आ ओतबे प्रभावशाली व्यक्तित्व संतोष बाबू संग भेंट भेलाह। चर्चा चलल जे विश्वप्रसिद्ध विद्वान् वाचस्पति मिश्र केर स्मृति मे हुनकर मूर्ति अनावरण कार्यक्रम करबाक अछि ठाढी मे हुनकहि डीह पर, वर्तमान समय मे ई आयोजन कोन तर्ज पर कएल जेबाक चाही। चर्चा केलहुँ हमरा लोकनि। अपन-अपन विचार रखलहुँ। आर १६ मार्च २०१६ केँ ओ दिन आबि गेल जे ठाढी मे भव्य समारोहक आयोजन कएल गेल। पूर्वहि कएल नियार अनुरूप दर्जनों विद्वान् आ मैथिली साहित्यकार-कवि लोकनिक भव्य जमघट लागल। रत्नेश्वर बाबूक मंच संचालन आ विषय पर संबोधन मे दृष्टिसंपन्नता आ परिपक्वताक नीक बोध भेटैत रहल।
 
पेशा सँ प्रबंधन-व्यवस्थापन अधिकारी डेयरी प्रोजेक्ट (वर्तमान समस्तीपुर, पूर्व कार्यस्थल आरा) मे, अपने सनक ओहदेदार व्यक्तित्व लेल कोनो कार्य संयोजनक बेस अनुभव होयब स्वाभाविके छैक, लेकिन १२०० वर्ष पूर्वक महान व्यक्तिक व्यक्तित्व ओ कृतित्व केँ कथा-पिहानी सँ निकालि मूर्तवान स्वरूप मे परिणति देब – एहि कठिन कार्य केँ करबाक जिम्मेवारी ग्रहण करैत रत्नेश्वर बाबू अपन बड़-बुजुर्ग आ सहयात्री बंधु-बांधव संग कतेको तर-ऊपर चुनौती आ बाधा सब केँ नंघैत आखिरकार ठाढी गाम केँ विश्व मानचित्रपर वाचस्पति मिश्रक छूछ कथा सँ बहुत ऊपर मूर्ति आ मन्दिर बनाकय स्थापित कय देलाह। कार्यक्रम मे जाहि तरहें ओ संबोधन केलनि ताहि सँ सेहो स्पष्ट रूपरेखा यैह निकलल जे मात्र मूर्ति लगेनाय हुनकर लक्ष्य नहि छल, बल्कि मूर्ति सँ प्रेरणा आजुक युग मे सेहो भेटय ताहि लेल वर्तमान युगक शोधार्थी छात्र लोकनि वास्ते वाचस्पति डीह आ वाचस्पतिक स्मृति मे बनाओल गेल भवनपर शोधकार्य हेतु आवासक इन्तजाम, पुस्तकालय, अध्ययन व शोधकेन्द्र केर रूप मे ई स्थान आगुओ काजक सिद्ध हो।
 
एहि वर्ष पुनः भामती-वाचस्पति उद्यान मे वाचस्पति स्मृति पर्व समारोहक आयोजन रत्नेश्वर झा केर संयोजन मे संपन्न भेल अछि। ठीक १६ मार्च केँ स्मृति दिवस केर आयोजन सोशल मीडिया सँ एतेक लोकप्रियता हासिल कएलक अछि जे लोकमानस मे वाचस्पति मिश्रक व्यक्तित्व ओ कृतित्व केर स्मरण लेल ई तारीख स्थापित भऽ गेल हो। एहि वर्ष सेहो रत्नेश्वर बाबू कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालयक कुलपति महोदय केँ आमंत्रित कएलनि, कुलपति महोदय भले नहि आबि सकलाह कोनो कारणवश, मुदा ओतय सँ वेद, धर्म, व्याकरण, दर्शन, साहित्य आदि विभिन्न संकाय (विधा) सँ आयल विद्वान् लोकनि केँ फेर सँ संदेश देल गेल जे वाचस्पति स्मारक मंच केर भितरी इच्छा यैह छैक जे संस्कृत शिक्षा पद्धति केँ बेस मजबूत बनाओल जाय। ठाढी गाम मे गंभीर शोधकर्ता सब लेल विश्वविद्यालय द्वारा एकटा केन्द्रक संचालन कएल जाय। पता नहि, पधारल विद्वान् सब रत्नेश्वर बाबू व समस्त आयोजक समितिक मूल आह्वान धरि कान देलनि वा नहि, आ कि मंच केँ मात्र विद्वता प्रदर्शन करबाक एकटा माध्यम बुझलनि…. लेकिन एहि लेखक माध्यम सँ हम स्पष्ट करय लेल चाहब जे आयोजनक दूरदृष्टि केँ हम सब बुझी। ठाढी गाम मे एखनहु एहेन-एहेन विद्वान् आ पूर्वजक संग्रहित ज्ञान (पाण्डुलिपि ओ पोथीक रूपमे) सुरक्षित अछि जतय शोधार्थी लोकनि पहुँचता त निश्चित लाभान्वित हेताह। रत्नेश्वर बाबू अपन मंच-संचालनक संग विषय प्रवेश संबोधन मार्फत मैथिली साहित्यकार ओ लेखक लोकनि सँ सेहो एहि मूल उद्देश्य प्रति जनमानस केँ साकांक्ष करबाक आह्वान कएने छलाह, जाहि लेल हम सब अपन कलम आ लेखनी सँ चहुंदिश प्रसार करी।
 
वाचस्पतिक अमरकृति ‘भामती’ जेकाँ समस्त ठाढी ग्रामवासी आ मिथिलावासी एहि महान आ अनुपम कीर्ति सँ सुपरिचित होएथ, ई प्रयास हम सब गोटे करी।
 

हरिः हरः!!