कथाकार सुजीत झाक नवका मैथिली कथाः मीना कुमारी

मैथिली कथाः मीना कुमारी

– सुजीत कुमार झा, जनकपुरधाम

meena kumariओ समय भोरक छल, मुदा फेकनकेँ हुनके बड़का बेटा प्रदीप आ छोटका उदित बहुत कड़ैक कऽ धमकौलक, एकरबाद खोपड़ी लग-पासक समय गरमा गेल छल । फेकन आश्चर्यमे छला । दुनू बेटा हुनक कमाइसँ किनल गेल टाटा सुमोमे बैसि कऽ धरधरबैत निकलि गेल ।

फेकनकेँ नाचए गाबएकेँ लऽ कऽ बेटाक ई व्यवहार बराबर देखएमे अबैत छल । मुदा आई जाहि प्रकारे हुनकासँग व्यवहार कएल गेल एकर आशा फेकनकेँ नहि रहन्हि ।

मुदा फेकन तऽ फेकने छथि । हुनका किछु नहि चाही । दुःख पड़ल वा सुख मात्र गएता आ नचता । तुरन्ते सभ किछु बिसैरि कऽ फेकन हरमुनिया उठौलन्हि आ भगबतीक गीत शुरु कऽ देलन्हि ।

फेकन गरीब माएबापक असगरुवा बेटा छला । बच्चेसँ हुनका गाबएकेँ सख छलन्हि । महिसक पीठपर बैसि कऽ जखन फेकन मुक्त कण्ठसँ आलाप लैत छलथि तखन जेना लगैत छल महिसक पीठ नहि राजाक दरबार हुए आ ओ स्वयं फेकन नहि तानसेन रहथि । गाबएकेँ भूत सवार एहि प्रकार रहन्हि, फेकन घरसँ भागि कऽ एकटा नाच पार्टीमे सहभागी भऽगेला ।

किछु दिनक प्रशिक्षणक बाद नाचक पक्का नचनियाँ बनि गेलथि ।

सर्लाहीक मलंगवामे उचित लालजीक बेटीक विवाहमे फेकन पहिलबेर पूरे मेकअपक संग स्टेजपर उतरल रहथि । माछ आ रसगुल्लाक बीचमे फेकन बरीयातीसभकेँ एहि प्रकारसँ मोन मोहलन्हि एकरबाद ओ एरियामे, दोसर नाच पार्टीक कार्यक्रम नहि देखाएल ।

फेकन अपन जीवनक ओ पहिल बेजोड़ प्रस्तुतिक अन्तिममे जखन ‘इन्ही लोगो ने ले लिन्हा दुपट्टा मेरा…’ गेला तऽ लड़काक काका उचित लालजी संगे अपने मञ्चपर चलि अएला आ खूब नाच कएलन्हि ।

लड़काक काका हरिओनक अपन पाँच कठ्ठा जमीन फेकनकेँ नाम कऽ देलन्हि । संगहि फेकनक नाम मीना कुमारी राखि देलन्हि ।

लोक बुझि गेल छल जे लड़काक काका आई होशमे नहि छथि ।

फेकनक नामक संगहि ओ नाच पार्टीक नाम ‘मीना कुमारी नाच पार्टी’ भऽ गेल । लोक अपन घरक विवाह उपनयनमे मीना कुमारीक नाच कराबएमे अपन शान बुझए लागल । ओहि समयमे नहि जाइन कतेको व्यक्ति कबुला पूरा भेला पर रामजी, दूर्गाजी आ हनुमानजीक आगाँ मीना कुमारीसँ नाच करौलन्हि ।

समयक संग फेकनक नाम आ प्रतिष्ठा बढ़ैत गेल । कतेको पीढ़ीसँ आबि रहल दरिद्रता दूर भऽ रहल छल । नाचक मेनेजरक बेटीसँ फेकनक विवाह भेलन्हि । अपने विवाहमे फेकन पहिने खूब मोनसँ नचला, तकरबादे विवाहक बेदीपर बैसलथि ।

समयक संग फेकनक घरमे दूटा बेटा आ एकटा बेटीसँ भरि गेल छल । फेकनक मीना कुमारी नाच पार्टीक प्रतिष्ठा बढि़ते जा रहल छल । लोक कहैत अछि उचित लाल एकबेर काठमाण्डूसँ आएल नेताकेँ प्रसन्न करबाक लेल नवलपुरमे मीना कुमारीक नाच करबौलन्हि जकर पुरस्कार स्वरुप उचित लालजीकेँ एमपीकेँ टिकट देल गेल छल ।

आब फेकन बहुत व्यस्त रहए लागल छलथि ।

नाचे हुनका लेल सभ किछु छल । बच्चा बड़का भेल । दुनू बेटाक विवाह भेल, फेकन एहि विवाह सभमे पाहुने जकाँ सहभागी भेल रहथि । ओना यदि फेकन स्मरण करैत छथि तऽ बहुत कठिनसँ बहुत बात स्मरण अबैत छन्हि । जखन हुनकर बाबूजीक निधन भेलन्हि तऽ सिरहाक रामपुरमे नाचि रहल रहथि । मायक मृत्यु भेलन्हि तऽ जयनगरक एकटा वकीलक घरपर शोहर गाबि रहल रहथि । आ जखन हुनक कनियाँ हुनकर जीवनसँ जा रहल छलीह तखन जलेश्वरक एकटा नेताजीक कनियाँक स्वागतमे बधाई गाबि रहल रहथि ।

फेकनक बड़का बेटा प्रदीप फेकनेकेँ रुपैया पानि जकाँ बहा कऽ जिल्ला विकास समितिक इलाका सदस्य आ छोट बेटा उदित गाविस अध्यक्ष भेल छल ।

बेटासभक सामाजिक हैसियत बदैलि गेल अछि । आब ओकरासभकेँ फेकनक नाच गान बढि़या नहि लगैत अछि । ओसभ नचनियाँक बेटा कहब पसिन नहि करैत अछि । ओसभ एहिकेँ लऽ कऽ अपन बाबूकेँ बेर–बेर सम्झबैत रहैत अछि । फेकन, बेटाक गाइर सुनैत छला आ नचैत छला । परेशान भऽ कऽ बेटा हुनका हुनके बनाएल घरसँ बाहर कऽ देने अछि । बिना कोनो शिकायतकेँ फेकन गामक चौक लग एकटा खोपड़ी बना कऽ रहए लागल छथि । ओ ओतहिसँ नाचक सौख पूरा करैत छथि ।

नाचक कमाइसँ ५ गाममे जमीन किनने रहथि आ घर बनौलन्हि आ सभ किछु छोडि़ देलन्हि जेना छलहे नहि आब । मात्र एकटा अभिलाशा रहि गेल छन्हि जे बेटीक विवाह भऽ जाए आ अन्तिम समयधरि नचैत गबैत रही ।

बेटाक विवाह फेकनक धनक बलपर भऽ गेल । मुदा लड़कीक विवाह फेकनक नाच गान बाधा बनि गेल अछि । इहे बात छल जे प्रदीप आ उदितक नजरिमे फेकनकेँ साँप बना देने छल । फेकनकेँ अपन प्रतिष्ठापर कलंक मानैत दुनू बेटा हुनकापर बराबर अपन तामस उतारैत रहैत अछि ।

फेकन बुझि नहि पाबि रहल छथि नहि जाइन कतेको बेटीक विवाहमे नाचैत रहैत छथि मुदा हुनके बेटीक विवाह नचनियाँ होएब बाधा कोना भऽ गेल ? प्रदीप तऽ तामसमे आब फेकन पर हाथ उठाबए लागल अछि । फेकन चुपचाप मारि खाइत छथि आ असगरे पड़लापर खूब कानैतो छथि ।

आब फेकन स्टेजपर अपन बेटीकेँ विवाहक तपस्या करैत छथि तऽ लोककेँ लगैत अछि जे फेकन नाचि रहल छथि । आराधना करैत छथि तऽ लोककेँ लगैत अछि फेकन पाठ खेला रहल छथि, अपन बेटीक दुःखमे कानैत छथि तऽ लोककेँ लगैत अछि फेकन गाबि रहल छथि ।

बेटीक विवाहक बात कतहुँ बनि नहि रहल अछि । एहि बातकेँ लऽ कऽ फेकनक बेटासभ हुनकासँ पूरापूरी सम्बन्ध तोडि़ लेने अछि । आ फेकन बहुत असगरे भऽ गेल छथि ।

कोनो तरहेँ प्रदीप पड़ोसक जिल्लामे अपन बहिनक विवाहक बात चलौलक । ओ लड़कावालासभसँ कहलक जे लड़कीकेँ माय बाबू दुनू मरि गेल अछि । लड़कावाला बिना माय बापक लड़कीकेँ दयासँ बुझू वा बढि़या तिलकक खातिर मुदा तैयार भऽ गेल रहथि ।

विवाहक बात तए कऽ बेटासभ सीधे फेकनक खोपड़ी लग आएल । प्रदीप बहुत तमसा कऽ सम्झौलक, ‘विवाहसँ कोनो मतलब नहि रखिहऽ । लड़काबलासँ कहि देल गेल अछि जे लड़कीक माय बाप मरि गेल अछि …।’

फेकनकेँ ई बात सुनिते करेन्ट जकाँ लागल । ओ एतेक धरि बजलथि, ‘हम तऽ जीबिते छी, तखने उदित गरदनि पकडि़ लेलक, ‘तो मरबहक मुदा हमरासभकेँ मारि कऽ…..’

फेकनकेँ गला अबरुद्ध भऽ गेल रहन्हि उदित तामसमे छल ।

‘तोहर इच्छा की छह बेटीकेँ जीवन भरि कुमारिए रखबहक, नचनियाँक बेटा बनि कऽ तऽ हमसभ जीबि रहल छी मुदा नचनियाँक बेटीसँ किओ विवाह नहि करतह ।’ ई कहैत उदित फेकनक पेटमे जोड़सँ लात मारलक ।

फेकन दर्दसँ हुकरए लगलथि । आई बहुत दिनक बाद फेकनकेँ अपन माय बाबू स्मरण आबि रहल छलन्हि ।

प्रदीप फेकनकेँ घसीटैत खोपड़ीसँ बाहर निकालि देलक । फेर एक–एक कऽ नाचक सभ सामान खोपड़ीक बीचमे जमा करए लागल । नाल, नगारा, हरमुनियम, नाचक पर्दा, कपड़ासभ किछु । अन्तमे उदित फेकनकेँ मेकअप बक्स उठौलक जकर जादूसँ मीना कुमारीमे बदलि जाइत छलथि । फेकन अपन आँखि मुनि लेलथि । प्रदीप खोपड़ीमे आगि लगा देलक । अन्तमे तमसाकऽ उदित ओ बक्साकेँ आगिमे फेकि देलक । फेकनक चेतना शुन्य भऽ गेलन्हि ओ अपन जीवनक एक–एक आशाकेँ छाउरमे बदलैत देखि रहल छलाह । एकरबाद किओ फेकनकेँ नचैत गबैत की बात, बातो करैत नहि देखलक । लोकक मोनमे आब मीना कुमारीक नाच पार्टीक बात इतिहास मात्र रहि गेल छल ।

लड़काबलाकेँ घरमे तिलककेँ तैयारी भऽ रहल छल । तिलकसँ पहिने जलपानक कार्यक्रम शुरु भेल । मन्त्रोच्चारणक बीच जहिना तिलक लगाबए लेल उठल ओहिना लड़काक बाबा प्रदीपकेँ टोकलक,‘ एखन कनि रुकू पहिने हमर एकटा सर्त पूरा करए पड़त ।’

प्रदीप घबड़ा गेल । ‘देब लेबक सभ बात भऽ गेल छैक तखन आब केहन सर्त ?’
बाबा बजला, ‘हमर असगरुवा पोता अछि एकर जन्मपर एकर दाई कौबुला कएने छल, पहिने ओकरा अहाँ पूरा करएकेँ वचन दिअ तखने विवाह हएत ।’

प्रदीप अपन पैसाक बलपर बाजल, ‘बाबा अपन शर्त कहल जाओ, गाड़ी घोड़ाबला बात छैक की ?’

बाबा अपन अभिमानक सँंग कहला, ‘शर्त ई अछि हमर पोताक विवाहमे मीना कुमारीक नाच होएबाक चाही ।’

प्रदीप आ उदित एक दोसर दिस ताकए लागल । ओकरा फुराइए नहि रहल छल कि कहल जाए । फेर बाबा बजला, ‘अपनेकेँ स्टेजक व्यवस्था मात्र करए पड़त मीना कुमारीकेँ हम अपने सट्टा देब ।’

कनी कालक बाद तिलकक काज शुरु भऽ गेल ।