मैथिली फिल्म उद्योग आर हितरक्षा लेल संगठनक जरुरत

सर्वेक्षण

वर्ष २०१७ केँ मैथिली फिल्म लेल क्रान्तिक वर्ष सिद्ध करबाक लेल आरम्भिक दौड़ मे किछु महत्वपूर्ण सवाल पर आम राय केर संकलन आवश्यक अछि। ताहि लेल मैथिली जिन्दाबाद मार्फत अपने पाठक व विज्ञजन सभक राय समेटबाक लेल ई सर्वेक्षण राखल जा रहल अछि। पढला उपरान्त अपन विचार राखी से अनुरोध अछि।

भूमिकाः

chhaura agatti chhauri bhagavati posterभारत आ नेपाल दुनू भागक मिथिला मे मनोरंजनक एकटा विलक्षण साधन अछि ‘मैथिली फिल्म’। ओना त ५० वर्ष सँ बेसी अबधि धरि एहि पर काज होएत आयल अछि, परन्तु गोल्डेन डेज – स्वर्णिम समय एखनहु एबा लेल बाकिये देखि एकर सामर्थ्य केँ नकारल नहि जा सकैत अछि। संभावनाक प्रचूरता रहितो चुनौती कम नहि छैक। हलाँकि मैथिली फिल्म केर चुम्बकीय आकर्षण एतेक अधिक छैक जे लगानीकर्ता बेर-बेर हारलाक बादो फेर-फेर लगानी करय लेल आगू एबा सँ चूकैत नहि छथि। तखन मात्र आ मात्र चुनौती केँ कम करबाक लेल गहन चिन्तन सँ समाधान निकलबाक संभावना देखल जा रहल अछि।

२०१७ मैथिली फिल्मक क्रान्ति वर्षः सर्वेक्षण
 
विश्व भरि मे संगठन बनाकय संघर्ष केँ शक्तिशाली बनायल जाएछ, तखन मैथिली फिल्मक संगठन सशक्त कियैक नहि? – सवाल नंबर १
 
मैथिली फिल्म मे सेहो एकटा न्युनतम् मापदंड होयब आवश्यक – यानि कलाकार लेल पारिश्रमिक आ भत्ताक एकटा न्युनतम् सीमा जरुर हो, पटकथा लेखन, गीतकार, संगीतकार आ विभिन्न भूमिका मे अपन योगदान देनिहारक नाम यदि फिल्म मे उचित ढंग सँ नहि राखल जाय तऽ ओहेन अनुचित-अन्यायपूर्ण व्यवहार केर समाधान लेल सेहो मैथिली फिल्म उद्योग संगठन द्वारा उचित समाधान निकालल जा सकैत अछि।
 
सेंसर केर काज सेहो बहुत महत्वपूर्ण होएत छैक फिल्म मे। संगठन यदि सशक्त बनत तऽ सेंसर सँ उचित मापदंडपर काज लेल जा सकैत छैक। सब सँ पैघ समस्या पूँजी निवेशक देखल जा रहल अछि, एहि समस्या पर सेहो सामूहिक आवाज बुलंद केला सँ न्युनतम ब्याज भुगतान पर बैंक सँ ऋण उपलब्ध करेबा मे संगठन मात्र विकल्प देखा रहल अछि। निर्माताक अभाव – पूँजी निवेशक समस्या केर समाधान फिल्म उद्योगी स्वयं पूरा कय सकैत अछि।
 
संगठन आरो हितकारी सरोकार पर नजरि राखि सकैत अछि। हम एहि सम्बन्ध मे बहुत जानकार लोक नहि छी। लेकिन वर्ष २०१७ मे एहि विषय पर अभियान संचालन लेल संकल्पित छी। किछु विशेषज्ञ केँ एहि पोस्ट मे टैग कय रहल छी, कृपया अपन विचार सँ उपरोक्त विषय पर प्रकाश दी।