नव वर्ष पर मिथिला मे दहेज प्रथा पर ललित केर दू टूक बात

lalit ghy2मिथिला मे दहेज

– ललित कुमार झा, सीतामढी। हालः गुवाहाटी

भारद्वाज गोत्रीय मैथिल ब्राह्मण, पचास बसंत हम पार ।
शिक्षक गणित’क आओर कवि, तें अनुभवी हमर आधार ॥

सामाजिक जीवनक काव्यात्मक, गणित करबाक अभ्यस्त ।
दहेज’क मादे किछु कहब, सुनू मैथिल समाज समस्त ॥
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विवाह मिलन दू खानदान’क, भविष्य निर्माण’क आयोजित हर्ष ।
मानव सभ्यता’क सुंदरतम संस्कार, जीवनक सर्वोत्तम उत्कर्ष ॥
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ई थिक महान पर्व जीवन केर, दू तरहक डी.एन.ए. केर मिलान ।
वंशक मान सम्मान बढावय, भविष्य मे एहि मिलनक संतान ॥
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माता-पिता’क पैघ दायित्व जे, होअए वर-वधूक उत्कृष्ट मिलान ।
प्रकृति प्रवृति परिवेश आदि केर, प्राथमिकता दए करी अनुसंधान ॥
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पुत्रक स्वर्णिम भविष्य हेतु, चुनय जे पुत्रक जीवन-साथी ।
वएह पिता होइछ बुद्धिमान, दहेज-लोभी त’ पुत्र-हित घाती ॥
पुत्रक सही जीवन संगिनी, पिताक इएह होअए मनोरथ ।
संस्कारी पोता-पोती संग खेलए, एहन नहिं त’ जीवन अकारथ ॥
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अनावश्यक माथापच्ची दहेज, संतानक ख़ुशीमे ई अछि बाधक ।
सुफल त’ भेटि नञि रहल, दहेज-पापी बनैत छी नाहक ॥
समय केर रफ्तार मे संवेग किछु, बदलल-बदलल सन अछि ।
पुरना प्रथा जे छल सम्मानित, कूप्रथा बनि अटकल सन अछि ॥
ई अटकल पूजन जड़त्व थिक, जड़ता थिक मूर्खताक बाप ।
बुझु अपन दायित्व महत्व, शीघ्र भगाउ ई दहेज अभिशाप ॥