बिना रिलीज भेने मिथिला मखान केँ राष्ट्रीय सम्मान कोनाः पढू कारण

मुम्बई, सितम्बर २२, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!

mithila makhan2पहिल मैथिली आ बिहारहु केर प्रथम फिल्म ‘मिथिला मखान’ केँ राष्ट्रीय पुरस्कार सँ सम्मानित कैल जेबाक विदिते अछि। हालहि मैथिली जिन्दाबाद पर निर्देशक नितिन चन्द्रा केर एकटा साक्षात्कार प्रकाशित कैल गेल छल जाहि मे शीर्षक छल जे मिथिला मखान फिल्म शीघ्रे भारत आ नेपाल दुनु ठाम रिलीज कैल जायत। एहि समाचार सँ कतेको लोक केर मन मे द्वंद्व उठल छल जे आखिर ई फिल्म रिलीज सँ पूर्वहि राष्ट्रीय सम्मान (फिल्म अवार्ड) सँ कोना सम्मानित भेल अछि। सुसंयोग सँ निर्देशक नितिन चन्द्रा अपन फेसबुक स्टेटस सँ एहि दुविधाक निराकरण कएलनि अछि।

नितिन नीरा चन्द्रा केर स्टेटस मार्फत कहल गेल अछि, “बहुते लोक दरभंगा, दिल्ली आ मुम्बई, व अन्यत्र सवाल पुछलनि अछि जे मिथिला माखन रिलीज नहि भेल तऽ अवार्ड केना भेटल… हुनका लोकनिक “शक़” दूर कय दी। राष्ट्रीय पुरस्कार भेटबा मे फिल्म केँ सिनेमाघर मे रिलीज़ होयबाक कोनो मतलब नहि होएत छैक। भारत सरकार केर अपन पैनल होएत छैक जे बहुतो तरहक जाँच-निरीक्षण-scrutiny केर बाद कुल ३००-४०० फिल्म मे सँ २०-२५ फिल्म (कम या ज्यादा) केँ विभिन्न श्रेणी मे अवार्ड दैत छैक।”

ओ आगू कहने छथि, “अहाँ कोनो फिल्म बनाउ, कोनो भाषा मे बनाउ और भारत सरकार केर ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ कमिटी द्वारा देल गेल निर्धारित तिथि और स्थान पर पहुचाउ; बस याद रहय जे जनवरीक तेसर सोम या मंगल दिन अन्तिम तारीख होएत छैक और फिल्म ३१ दिसंबर धरि सेंसर बोर्ड द्वारा पारित हेबाक चाही। तखन जौँ अहाँ केँ २०१७ केर अवार्ड मे अपन फिल्म पठेबाक अछि त ३१ दिसंबर, २०१६ धरि ओकर सेंसर होयब अनिवार्य अछि और १७ जनवरी धरि अहाँक फिल्म दिल्ली स्थित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार केर कार्यालय मे पहुँचक चाही । तेकर बाद ओतय उपस्थित पैनल कतेको चरण मे अहाँक फिल्म देखत। आर ताहि सब प्रक्रिया ओ मानदंड पर ठाढ रहि गेलाक बादे अवार्ड देल जेबाक निर्णय लेत।”

नितिन जानकारी करबैत ओहेन फिल्मक नाम सेहो बतौलनि अछि जे रिलीज होयबा सँ पूर्व पहिनहु पुरस्कृत भेल अछि। ओ कहलैन अछि, “कतेको फिल्म एहेन भेलैक अछि जे राष्ट्रीय पुरस्कार भेटलाक बाद रिलीज भेल छैक, जेनाः १. बुधिया (हिंदी), २. शनख्चिल (बंगला), ३. तिथि (कन्नडा), आरो कतेको होयत। हरेक साल होएत छैक।”

एक आरो महत्वपूर्ण बातक जानकारी करबैत नितिन कहलैन जे जँ ओरिया भाषा मे ५ टा फिल्म गेल छैक आर पैनल केँ पांचो पसिन नहि आओत त केकरो सम्मान नहि भेटत। २०१२ मे हम देसवा पठेने रही, हमरा राष्ट्रीय पुरस्कार नहि भेटल छल। जखन कि उम्मीद ओहु बेर रहय । २०१५ मे उम्मीद नहि छल जे हमर फिल्म केँ अवार्ड भेटत, मुदा एकरा अवार्ड भेट गेल। कतेको भाषा मे फिल्म हरेक वर्ष ओतय पहुँचैत अछि मुदा सब साल अवार्ड नहि भेटैत छैक। तैँ सवाल पुछनिहार मित्र लोकनि केँ ई सब जानकारी होयब जरुरी अछि।”