गुरु ‘अमरजी’ केँ याद करैत

संकलन

शिक्षक दिवसपर साहित्यिक पुरोधा चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’ केँ समर्पित

– मनोज चौधरी, रुद्रपुर (हालः रायपुर, छत्तीसगढ)

chandranath-mishra-amar“शिक्षक दिवस” केर अवसर पर चरण स्पर्श आदरणिय गुरुदेव (पंडित श्री चंद्रनाथ मिश्र”अमरजी”) कें, आशीर्वादक अनुभव “पीठ पर मुक्काक थाप” संग करैत, गुरुदेव जी कें बहुत बहुत शुभकामना, सदैव स्वस्थ, मन सँ आनंदित आ अर्थ सँ परिपूर्ण रहथि हमर गुरुदेव ! कोटि कोटि प्रणाम, गुरुदेव जी कें !

अहाँ सबहक समक्ष अपन गुरुदेवजी क एकटा सुन्दर रचना ,आई शिक्षक दिवसक अवसर पर समर्पित क रहल छी!

गुरु ब्रम्हा गुरु र्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरा: !
गुरशाक्षात परमब्रम्ह: तस्मै श्री गुरुवे नमः !!
अखंड मंडलाकारम व्याप्तां येन चारा चरम !
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः !!

लुच्चा सबकें पड़ल प्रयोजन।
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मौगी सब मर्दाना चाही,
गाम गाममे थाना चाही,
पूर्ण बिलैंती बाना चाही,
रुचिगर फिल्मी गाना चाही।

सदा काँखतर कैंची चाही,
लेन – देन हथपैंची चाही,
टापि छापि हो, गाँज अड़ा हो
नहि माङुर तँ गैंची चाही।

हाथ न कखनहु खाली चाही,
भोरे चाहक प्याली चाही,
जठरानल धधकैत रहओ
मुँहमे धरि पानक लाली चाही।

अरसल – परसल थारी चाही,
काज न कोनो भारी चाही,
सीट-साट आ फीट-फाट लय
सबटा माल उधारी चाही।

जान बँचय लय बेढ़ो चाही,
पैघक संग लसेढ़ो चाही,
बरु परोक्षमे गारि पढ़ओ
सोझाँमे मानओ बातक ओजन
लुच्चा सबकें यैह प्रयोजन।

रचना:- 1970