मिथिला आन्दोलनः आलोचना सँ सीखबाक जरुरत

नेता बिन्देसरक कथा

– प्रवीण नारायण चौधरी (अक्टुबर ४, २०१३ मे लिखल एक कथा)

andi partyबिन्देसर बच्चे सऽ बड कुशाग्र बुद्धिक छल। मिडिल स्कूलमें पढैत समयसँ कालिजके पढाइ तक परीक्षाक फीस, ट्युशनक फीस, बटखर्चा, पुस्तक कीनबाक खर्च आ सभ बात के इन्तजाम लेल ओ माता-पितासँ पाइ नहि लऽ अंडी फर तोडि आ सुखाय अंडी बिया बेचि, कागज पर चित्र काढि हटिया पर बेचि, मुंज घास उपाडि सिक्कीक मौनी-पौती बनाय तेकरा बेचि आ विभिन्न बुद्धि सँ अपन जोगार निकैल लैत छल।

ओकरा में बहु प्रतिभा देखि लोक सभ चारू कात खूब प्रशंसा करैत छलैक। मुदा बिन्देसर में अपन प्रशंसाकेँ पचबैक गुण विकसित नहि भऽ सकलैक आ ओ क्रमश: घमंडमें अपन बौद्धिक क्षमताकेँ सर्वमान्य बुझि साधारण जनमानस सँ कनेक हँटल-कटल रहय लागल छल। कतहु यदि केओ किछु कारणवश समय माँगैत छलैक तऽ ओ ई देखय जे अपन जोगार सेट होयत तखनहि सटब नहि तऽ अनेरौ लेल समय नहि देबैक। लोक सभ कारण पूछैत छलैक तऽ बादमें ओ कहि दैक जे कोनो दोसर महत्त्वपूर्ण कार्य के चलते ओ नहि आबि सकल।

बिन्देसरके एक मित्र बड अभिन्न छलैक, गँधराज! ओ कनेक राजनीतिक पार्टीसँ जुडल लोक सेहो छल। बिन्देसरक गुण सभसँ प्रभावित ओकरा ओ एमएलए के टिकट दियेबाक सिफारिश केलकैक आ अपन पार्टी सऽ चुनाव लडबा देलकैक। संयोगवश बिन्देसर तेसर स्थानपर रहि गेल आ चुनाव हारि गेल।

आब ओकरामें नेतागिरी करबाक धून सवार भऽ गेल छलैक। ओ आब अपने समान काजुल मुदा अन्तर्मुखी आत्मप्रशंसी सभकेँ ताकि-ताकि अपन छवि बनाबय लागल छल। कतहु कोनो सभा करय तऽ अपन परिचय देबाक लेल ओ अपन बाल्यावस्थासँ कैल गेल कतेको बहादुरीपूर्ण कार्यक विवरण दैत लोक सभकेँ गरीबी सँ डरेबाक लेल नहि वरन् अपना भैर जोगार लेल सदिखन मेहनत करबाक सीख दैत छलैक।

एहि तरहें आब बिन्देसरकेँ बुझेलैक जे क्षेत्र नीक बनि गेल अछि आ ऐगला चुनावमें जीत पक्का अछि। लेकिन दोसर बेर ओ पार्टी टिकट नहि देलकैक। बिन्देसर अपन नया पार्टी खोलि लेलक – अखिल भारतीय मंडी पार्टी आ चुनावी नारा देलकैक जे “मेहनत अपन, ताकत अपन! जीत अपन, राज अपन!!”

ऐगला चुनावमें बिन्देसर बस किछुवे मतसँ चुनाव जीति गेल। प्रमुख दल सभक उमीदवार सभक आपसी वोट कटुआ राजनीति ओकरा भाग्यशाली बना देलकैक। बिन्देसर विधानसभा पहुँचि गेल। जखन आ जहिया बजबाक बेर अबैक तऽ ओ अपन बचपन सँ जवानी धरिक कौशलता मंडीमें अंडी बेचय सऽ लऽ के कला-कुशलताक विकास के उपमा दैत परियोजना विकास करबाक ओकालति करय।

मुख्यमंत्री आ उपस्थित नेतागण सभ ओकर मुँहें सहज उदाहरण सुनि काफी आनन्दित होइथ आ बिन्देसरके माँग पर अंडी वृक्षारोपण अभियान परियोजना पास कय देलकैक जाहि सँ सभ विद्यार्थी अंडीक गाछ उगाबय आ अंडीक कारोबार करय, माता-पितासँ कोनो खर्च नहि लऽ सकैत छल से व्यवस्था भेलैक। समूचा क्षेत्र गनगना गेलैक। बिन्देसरके क्षेत्रमें आब चारू कात अंडी-अंडी!! माय-बाप सभ सेहो खुश! विद्यार्थी युवा सभ सेहो प्रसन्न!! अंडीक ब्यापार खूब चलय लगलैक। सालाना आमदनी सभकेँ अपन खर्च निकालबाक कला प्रदान कय देने छलैक। बिन्देसर चमैक चुकल छल।

एहि बीच ओकर पार्टीक संगठन विस्तार के बात पर एक अधिवेशन कैल जेबाक बात भेलैक। बिन्देसर अपन पार्टीमें जुडबाक आह्वान करैत अंडीक मंडीसँ लोक सभकेँ अयबाक लेल कहलकैक। अंडीक पैकार सभ चन्दा सेहो नीक जेकाँ देलकैक। आ बिन्देसरक अध्यक्षतामें अधिवेशन सफलतापूर्वक सम्पन्न भेलैक। आब बिन्देसर अखिल भारतीय मंडी पार्टी सँ २०१४ के संसदीय चुनाव सेहो लडबाक लेल तैयार अछि।

एहि बेर ओकर एजेन्डा छैक स्वतंत्र मंडी राजके माँग, अंडी-ब्यापारीक बोल-भरोस छैक जे जी-जान लगा देबैक आ चुनावमें कम से कम १० गो साँसद जरुर जितेबैक। बिन्देसरके सफलतामें एक खास महत्त्वपूर्ण राज ई छैक जे ओ केवल अन्तर्मुखी लोक केँ अपन पार्टीमें स्थान दैत छैक। जे बहिर्मुखी आ अंडी छोडि आरो कोनो बात केलक आ कि ओकरा ओ बारि देबाक अनुशासनात्मक कार्रबाई करैत छैक।

चर्चा तऽ एतेक तक छैक जे ऐगला किछु वर्षमें बिन्देसर भारतक प्रधानमंत्री तक बनि जायत, कारण अंडीक कमाइ आ स्वरोजगारक उपाय काफी लोकप्रिय भऽ रहल छैक। अंडीक तेल डिजल के जगह काज करतैक आ अरबसँ तेल आयात करबाक जरुरत नहि, विदेशी मुद्राक खजाना तोडबाक आवश्यकता नहि।

बिन्देसर समान नेता मात्र एहि देशके कल्याण कय सकैत अछि, कारण नैतिकता-फैतिकता ओकरा लेल किछु नहि, बस ओकर सूत्र छैक जे विरोध केनिहार के बारि दियौक, जीत पक्का अछि। मंडी राज बनबे करत, मंडी भाषा चलबे करत।

जय मंडी राज! जय भारत!!

हरि: हर:!!

(उपरोक्त कथा संगठनविहीन मिथिला आन्दोलनी पर लिखल गेल छल – बिना संगठन निर्माण केने कोनो प्रयास मात्र अपन पीठ ठोकबाक धरि सफल भऽ सकैत अछि, नहि कि ओ कहियो कोनो जुग मे परिणाममुखी!)