वाह! पगला बाबु!

    वाह! पगला बाबु! अहाँक जतेक सराहना हो ओ कम होयत!! ई कोनो नवका रोग नहि पगलाक – ओ सब दिन अहिना करैत रहल। ओ तऽ पहिने ओकरा पीठ पर सवारी कसल रहैत छलैक तऽ यथार्थ कार्य करैत छल। फूइस बाजनाय तऽ ओकर कला छैक। गीदरक कथा नहि बिसरू। समाचार पढि लैत छल आ अपनहि टा केँ होशियार माननिहार पगला दोसर केँ फूद्दू मानि गौंआँ सबकेँ सुनाबय लेल मोबाइल पर अनेरौ जोर-जोर सँ बात करय – “हँ! मंत्री जी! ओ काज करा देलियैक जे कहने रही?” ओम्हर सँ कोनो बात तक नहि भऽ रहल छैक। फोन डायलो नहि कैल गेल छैक। लेकिन गौंआँ ई बात बुझय जे पगला बड होशगर युवा छी, खरखाहीं लूटय लेल ओ अनेरौ हँसय, बाजय, आ जेना सहिये मे बात कय रहल हो तेना एक्टिंग करय। थोड़े बीचे तऽ लोक केँ होइक जे पगला सहिये मे बड़ा गंभीर लोक आ काजक लोक अछि। मुदा ओहि दिन पोल खुइल गेलैक जहिया ओ कहलकैक जे बुढबन सँ लऽ के मियाँटोल तक स्टेट हाइवे मे लिंक रोड हमरे कहला पर सिद्दिकी जी बनबौलनि। संयोग देखियौक जे ओ रोड बनल छलैक प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना सँ, जे लगभग सब पेपर आ न्युज सुननिहार केँ पता पहिने चलि गेल छलैक। तथापि, पगला केँ के बुझाबय गेल… सब कहलकैक! “वाह!! पगला बाबु! अहाँक काजक जतेक सराहना हो ओ कम होयत।’ हरि: हर:!!