डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन जन्म जयन्ति मधुबनी मे ७ जनबरी केँ
विशिष्ट व्यक्तित्वः मिथिला-मैथिली केँ विश्व पटल पर पहुँचेनिहार डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन
मैथिली भाषा ओ साहित्यक प्रख्यात अभियानी भाइ अजित आजाद हाल मधुबनी मे रहि रहल छथि। अपन पटना प्रवास सँ मिथिलाक मूल धरती पर हुनका एलाक बाद सँ मैथिली भाषा ओ मिथिला संस्कृतिक उत्थान निरंतर प्रगतिशील बनि रहल अछि। एहि क्रम मे आगामी ७ जनबरी केँ मधुबनी मे ‘ग्रियर्सन जन्म जयन्ति दिवस’ केर रूप मे मनाओल जेबाक समाचार ओ आमंत्रण देलनि अछि।
निश्चित रूप सँ जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन केँ मैथिलीभाषी एकटा अमर विभूतिक रूप मे गनैत छन्हि। कारण हुनकर वृहत् कार्य सँ मैथिली नहि मात्र भारत मे स्वतंत्र अस्मिताक रूप मे स्थापित भेल, बल्कि विश्व भाषा परिवार मे सेहो उल्लेखणीय स्थान ग्रहण करबाक योग्य बनल। मैथिल विद्वान् ओना तऽ बहुते भेलाह, छलाह… लेकिन महामहोपाध्याय बनबाक लेल मैथिली भाषाक योगदान ताहि समय धरि प्रमाणिक तौर पर कि छल ताहि मे विद्यापतिक बाद गोटेके नाम लेबा योग्य भेटैत अछि। ओ चाहे चन्दा झा होइथ, लाल दास होइथ या फेर दृश्य-अदृश्य अन्य कोनो मैथिल विद्वान् स्वयं अपन मातृभाषा केँ स्थापित करबाक लेल कतेक केलनि वा नहि केलनि से ज्ञात नहि अछि, धरि डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन द्वारा स्थापित कार्य मे बिहारी भाषाक रूप मे मैथिलीक वर्णन नीक जेकाँ भेटैत अछि। मैथिलीक व्याकरण सेहो ओ अपन ७ भाषाक व्याकरण मे समेटला ताहि सँ सेहो मैथिली केँ स्थापित करबाक सामर्थ्य भेटल प्रतीत होइछ। संगहि, डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन १८७५ ई. मे मधुबनीक एसडीओ सेहो छलाह आर विद्वत् कार्य मे काफी रुचि रखबाक कारणे मिथिलाक विद्वान् सब संग सामीप्यता रहला सँ ओ काफी लोकप्रिय अंग्रेजिया साहेब छलाह। किछु ताहि लोकप्रियता सँ मधुबनी मे हुनका नाम पर आइ धरि ‘गिलेशन बाजार’ कायम अछि। आर, एहि बेर मधुबनीक पवित्र भूमि पर हुनक जन्म जयन्ति दिवस मनेबाक ई निर्णय स्वागत योग्य अछि।
आउ, डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन केर अगाध – अविस्मरणीय योगदान आ व्यक्तित्वक विशिष्टता सँ परिचित होयबाक प्रयास करैत छी।
डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन एक आयरीश विद्वान – आइसीएस (इंडियन सिविल सर्विस) आर भारतक बंगाल सरकार मे १९७३ ई. सँ कार्यरत भेलाह जिनका ताहि समयक बंगाल प्रान्त अन्तर्गत मिथिलाक्षेत्र मे पदभार ग्रहण कराओल गेल छल।
हिनक जन्म ७ जनबरी १८५१ (आयरलैन्ड) मृत्यु मार्च ९, १९४१ (युके) में भेलनि। कुशाग्र छात्र शुरुए सँ गणित आ भारतीय भाषा संस्कृत एवं हिन्दी आदि मे रुचि रखैत छलाह, कहल जाएछ।
अक्टुबर १८७३ ई. मे बंगाल आबि ईस्ट इंडिया कंपनी नियोक्ता लेल भारतीय सिविल सेवा मे योगदान शुरु केलनि। १८९८ ई. धरि विभिन्न कार्यभार व पद सम्हारलैन। मधुबनी मे १८७५ ई. मे एसडीओ पद पर कार्यरत छलाह। लोकप्रियता मिलनसारिता सँ, विद्वान् व्यक्तिक संगत करब हिनकर खास गुण छल। आइयो हिनकहि नाम पर मधुबनी मे ‘गिलेशन बाजार’ अछि।
हिनका द्वारा मिथिलाक्षेत्रक विभिन्न जानकारी सबहक प्रस्तुतिकरण पत्र जे १८७७ मे प्रकाशित कैल गेल ओहि सँ प्रसिद्धि प्रसार होयब शुरु भेल। १८८३-८७ केर समयावधि मे बिहारी भाषा व बोलीक ७ टा व्याकरणक संयुक्त प्रकाशन, पुनः १८८५ मे बिहार पीजैन्ट लाईफ मे गृहस्थक जीवन पर शोध-विचार केर प्रकाशन सँ भारतक भारतीयता केँ जैड़ सहित विस्तृत रूप मे प्रस्तुत करब काफी लोकप्रियता हासिल करेलकनि। तदोपरान्त हिन्दी भाषाक शोध करैत काश्मीरी भाषा सहित पर कार्य करब हिनक विशेषता मे शामिल अछि।
१८९८ ई. सँ लगातार ३० वर्ष धरि ८००० पृष्ठक कुल १९ वोल्युम (भाग) ‘लिंग्विस्टिक सर्वे अफ इंडिया’ मे भारतीय भाषा पर शोध व प्रकाशन कार्य करैत विश्वविख्यात बनि गेलाह। १८९८ ई. सँ भारतीय भाषा केर सर्वक्षण कार्यारम्भ करैत १९०३ ई. सँ १९२८ ई. धरि लिंग्विस्टिक सर्वे अफ इंडिया केर अनेकानेक भाग (वोल्युम) केर प्रकाशन – कुल ३६४ भाषा आर बोली पर शोध आलेख रखलनि।
१९०३ ई. सँ अपन गृहनगर कैम्बरली सँ कार्य करैत रहला। १९१६-३२ केर बीच काश्मीरी भाषाक शब्दकोश पर कार्य करैत प्रकाशन पूरा केलैन। १९१२ मे नाइट पद सँ सम्मानित भेलाह।
महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह कल्याणी फाउन्डेशन द्वारा प्रकाशित मिथिलेश कुमार झा द्वारा संग्रहित-संपादित पोथी – ग्लिम्प्सेज अफ मिथिला एण्ड मैथिलीः द कोरेस्पोन्डेन्सेज अफ जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन’ मे मैथिली भाषा आर मिथिला संस्कृतिक संग डा. ग्रियर्सनक व्यक्तिगत अनुभव सहितक व्याख्या-वर्णन भेटैत अछि। मैथिली-मिथिला लेल खास रूप सँ स्मृति मे राखल जाएछ।
हालहि प्रधानमंत्री मोदी केर आयरलैन्ड केर यात्रा पर हिनकर हस्तलिखित पाण्डुलिपि उपहारक तौर पर दैत हुनक विज्ञ योगदानक कद्र भारत मे आइयो उच्च स्थान पर रहबाक बात स्थापित करब। थामस ओल्धाम तथा जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन समान दुइ प्रसिद्ध आयरीश विद्वान् द्वारा भारत प्रति कैल गेल उत्कृष्ट महत्वपूर्ण कार्य केँ भारत आइयो ओतबे कद्र करैत अछि, यैह भावना प्रधानमंत्री मोदी द्वारा व्यक्त कैल गेल। थामस ओल्धम (१८१६ – १८७८) जिनका १८५० मे बंगाल सरकार अन्तर्गत भूगर्भीय सर्वेक्षण लेल नियुक्त कैल गेल छल। जखन कि ग्रियर्सन केँ १८७३ मे बंगाल सरकार अन्तर्गत प्रशासकीय कार्य लेल नियुक्ति भेल छल, परन्तु हुनक रुचिक विषय देखैत भारतीय भाषा सर्वेक्षण लेल १८९८ मे जिम्मेवारी सौंपल गेल छल। थामस द्वारा भारतीय खनिज संपदाक मानचित्र आदि बनायल गेल छल। एहि तरहें प्रधानमंत्री मोदी यैह दुइ महान् व्यक्तित्व केँ अपन संछिप्त आयरलैन्ड यात्रा पर चर्चा केलनि आर ऐतिहासिक योगदान सँ वर्तमान समयक आपसी द्विपक्षीय संबंधक वृहत् आयाम पर सेहो बात आगाँ बढौलनि।
१९८९ सँ डा. ग्रियर्सन अवार्ड हिन्दी भाषाक विदेश मे उत्थान केनिहार स्रष्टा केँ देल जेबाक निर्णय केन्द्रिय हिन्दी संस्थान द्वारा – पहिल अवार्ड १९९४ मे डा. लोथर लुत्स केँ। ई सम्मान राष्ट्रपतिक हाथ सँ दियेबाक स्थापित परंपरा।
अनेक रास कृति – द पिसाका लैंग्वेज अफ नार्थ वेस्टर्न इंडिया, ए डिक्सनरी अफ काश्मीरी लैंग्वेज, बिहार पीजैन्ट लाईफ, सेवेन ग्रामर्स अफ द डायालेक्ट्स एण्ड सब-डायालेक्ट्स अफ बिहार, एसियाटिक सोसाइटी अफ बंगाल, इत्यादिक संग भारतक निर्माण मे हिनकर योगदान अविस्मरणीय अछि।
हिनकर जन्म-जयन्ति दिवस यानि ७ जनबरी मिथिलावासीक स्मृति मे अनबाक लेल आदरणीय अजित भाइ सहित समस्त आयोजनकर्ताकेँ हमर नमन!!
हरिः हरः!!
Apr 22, 2020 - 4:06 pm
Badd nik jankari…delau..Apnek koti koti dhanyvad