चुनावी व्यंग्य: काका-भतीजा केर वार्ता

chacha bhatijaकाका हौ!!

कि भेलौ?

देखय छहक? हमरा पंडिजी कहइ यऽ?

आरौ तोरी के! पंडितक बेटा छिहीन आ पंडिजी कहि देलकौ तऽ कि भऽ गेलइ रौ?

नञ हौ! देखय नय छहक जे आइ-काल्हि पंडिजी भेने लालू खेहारैत छैक से?

चुप खच्चर! लालूक बापक दिन छैक जे तोरा किछ कहतौक? कतय ओ पटना मे आ तू मिथिला मे! चुप रह।

नञ हौ! देखय नय छहक जे लालूक एजेन्ट अपनो सब के गाम मे पसरल छैक से?

गामक लोक गामक हेतैक आ कि पटनिया लालू क संग देतैक?

एह! तहूँ एते पैघ भऽ क किछो नहि बुझय छहक जेना?

कि नहि बुझैत छियैक रौ?

देखलहक नय जे पहिने कहलकय ‘भूराबाल साफ करो’, तऽ अपनो गाम के लोक सब पंडिजी सब केँ देखकय नाक-मुंह टेढ करैत रहैक से? लालू के चढेने चैढ जाइ छय सब गोटे।

से जे रहितय तऽ फेर लालू हाइरे क मुंह देखितय? देखलें नहि जे कोना हारल छल?

एह! कि बात करय छह! आब तऽ ओहो जे एक गोट नेता रहय जे लालू के जबाब दैत छल – जातीयता के मुद्दा हँटा देने छल… जेकरा तूँ कहैत छलहक बिसपिपरी से सहिये मे बिसपिपरी बनिकय सब केँ बिन्ह लेलकह। आब तऽ नीतीश आ लालू संगे छह। आब के रोकतय लालू के?

नहि रौ! आब ओकर जंगलराजक बात सब लोक बुझि गेल अछि। नीतीश केर तऽ आरो हालत केहेन भेल से नहि देखलहीन जे लोक सब चप्पल-जुत्ता बरसाबैत छलैक। जे जनता के मान-सम्मान सँ धोखा करत ओकरा एक-न-एक दिन जाहे पड़त जहन्नुम मे।

से तूँ कहैत छहक। अपन गामक चारूकात जे पंडिजी केर अलावे लोक सब छैक ओ तऽ फेरो कहैत छैक जे अपन बेरादर के साथ रहब।

कथी के बेरादर रौ? कतय राजा भोज आ कतय गंगू तेली! ओकरा नेता मानिकय वोट देला से केकरा आइ २५ वर्ष मे कि भेट गेलैक से देखा? सबहक धियापुता तऽ परदेशे धेने छौक। केकरो खेत मे एतेक उपजो नहि छौक जे गामहि के अन्न आ पानि सऽ काज चलि जेतौक।

वोट बेर मे सब बात लोक बिसैर जाएत छैक हौ काका। गामक लोक मे सेहो फूट आबि जाएत छैक। आर घड़ी भले एकता भेटि जेतह, मुदा वोट अबिते गामक मैनजन सब अपन-अपन टोलबैयाक वोट बेच अबैत छैक। आ ओ मैनजन करय छय वोटक ठीकेदारी। ओकरा खूब पाइ आ दारू भेटय छय। बस, ओ अपन-अपन टोलक वोट बेचलक आ फेर जखन ओ दलालीवला पाइ खत्म भेल तखन गामहि मे लोक सब केँ टोपी पहिरेनाय चालू केलक। कहियो पंचायतक पाइ लूटलक, कहियो केकरो काज करेबाक भरोस दैत ओकरा सँ पाइ झिटलक… आ अहिना तऽ चलैत छय अय नेता मैनजन सबहक काज।

एहि बेर से सब नहि हेतैक। एहि बेर सब केँ बुद्धि आबि गेलैक जे एना अपन कीमती वोट जातिक नाम पर बेचब अपन बेटी बेचब समान होइ छय। तूँ चिन्ता नहि करे। पण्डिजी छँ तऽ पण्डिजी नाहैत कर्म करे। बाकी भगवान् छथिन, ओ देखथून।

हरि: हर:!!