हत्यारा पति

कथा 

– प्रवीण नारायण चौधरी

killer husbandफूलियाक नबे-नब बियाह भेल छलैक। आइ-काल्हि रेबाज मोताबिक भूखना संगे बियाह होइते देरी ओकरा आँखि मे बम्बइ जेबाक चमक देखल जा सकैत छलैक। गाम मे कतेक दिन सँ हिया जरल जेकाँ भऽ गेल छलैक। आब ओकर संगी बेचो आ बुधनी सेहो अपना घरबला संगे बम्बइये मे रहि हीरा कटिंग उद्योग मे काज करैत छलैक। ओहि संगीक लाट मे फूलियाक बियाह भूखना संगे ठीक भेल छलैक। बात-कथा आ लेन-देन सबटा बम्बइये के झोपड़पट्टीक खोली मे ठीक भेल छलैक। बम्बइ फूलियाक अहू लेल जेबाक छलैक जे बेचो आ बुधनी संग-संग लमनचूस केँ पन्नी मोड़यवला ठीकेदारीक काज मे ओकरो सहभागिता होइतैक आ ओकर पैनगर बुद्धिक प्रभाव सँ बेचो आ बुधनी केँ कम सऽ हिसाबक झमेला स्कूले मे सिखयकाल जेकाँ खतम भऽ जइतैक। सब अन्दरे-अन्दर निर्णीत रहैक जे भूखना के बियाह फूलिया सँ करेलाक बाद कोना-कोना आ कि-कि हेतैक। शहर मे प्रवासक जीवन ओतेक सहज नहि छैक। धिया-पुता होइते देरी ओकरा बस्ता आ किताबक संग नीक विद्यालय पठेनाय… सबटा चुनौती लेल प्लान करय पड़ैत छैक।… मुदा फूलिया जखन बम्बइ गेल तऽ कि सब भेलैक…

सोचब एक होयत किछु आर – मैन प्रोपोजेज गड डिस्पोजेज! फूलियाक शैँ एहेन हेतैक जे फूलिया संग मुंबई मे रहबाक किछु अलगे तरीका सोचने हेतैक ई बात बेचो आ बुधनीक बुद्धि मे नहि अयलैक। भूखना मे पाइ कमेबाक भूख रहैक आ ओकरा कोठी मे किछु धंधावाली सब सँ सेहो संग भऽ गेल छलैक। बम्बइ मे ई रोग बड खतरनाक छैक। खास कय झूग्गी वस्ती मे व्यस्त शहरक व्यस्त पतिक परोक्ष मे गाम सँ आयल कतेको गरीब आ असहायक बेटीकेँ पाइ कमेबाक प्रलोभन मे केहन-केहन यातना झेलय पड़ैत छैक तेकर महीन वर्णन कोनो एकटा कथा मात्र मे करब संभव नहि छैक।

पति परमेश्वर होइत छैक ई बात अपन मूल भूमि मिथिला मे सब सिखैत अछि। एक सँ बढिकय एक संस्कार – पतिक पूजा लेल, पति प्रति समर्पण लेल आ पतिक पाछू सदिखन शक्तिस्वरूपा दूर्गा बनि रक्षक बनब – ई सब तालिम लगभग गामहि सँ प्राप्त फूलिया कतेको रास सपनाक संग समस्तीपुर मे गाड़ी पकड़ि लेलक। टीवी पर देखने छलैक जे होरोइन सब कोना हिरो संग सटिकय बैसैत अछि, कोना लोकलाज सँ ऊपर अपन सैँयाँक बाँहि मे झूलैत अछि… फूलिया गाम सँ बाहर, शहरो मे लोक-समाज सँ बाहर आब ट्रेन मे पति संग अछि। पतिक प्रसन्नता लेल ओ किछु करय लेल तैयार अछि। बम्बइ पहुँचित फूलिया संग गृह-प्रवेशक छोट-छिन रस्म बेचो-बुधनी आ ओकर परिवार सब मिलिकय केलक। किछु दिन मे गृहस्थी शहरक जीवन संग रैम गेलैक।

भूखना जाहि धंधावाली संग फँसल छल तेकरा सेहो ई बात पता लागि गेलैक जे ओ गाम सँ बियाह कय कनिया सहित लौटि आयल अछि। धंधावाली केँ जयह हजार-बजार भूखना सँ भेटैत छलैक… ओह से आब नहि भेटतैक तेकर चिन्ता नहि छैक… बल्कि ओ सोचि रहल अछि जे भूखनाक कनियां के सेहो ओ धंधा मे उतारि दलाली मे बेसी पाइ कमायत। मुदा गामक बेटी आ पतिक रहैत धंधा मे… सेहो मिथिलाक बेटी… ओ तऽ कखनहु चण्डीक रूप धारण कय सकैत अछि…. ओ गुन्धुन मे लागल छल। किछु दिन बितलाक बादो जखन भूखना ओकरा दरबज्जा दिशि नहि एलैक तखन ओ भूखनेक गौंआँ डोमा जे ड्राइवरी करैत छल ओकरा मार्फत समाद देलकैक जे किछु जरुरी काज अछि, भूखना केँ बजा। भूखना केँ अपरिचित डर भेलैक जे ई आइ एना कियैक बजेलक… तथापि ओ धंधावालीक डरे ओतय गेल। आइ धंधावाली श्रृंगार किछु अलगे अन्दाज मे – कंपीटिशन जे छलैक.. कतय नवकी आ कतय एक धंधावाली… लेकिन जे अदा धंधावाली केँ पता होइत छैक ओ कतय सँ एकरा ग्रामीण साधारण पढल-लिखल लड़की केँ हेतैक… ओ अपन अदायगी सँ भूखना केँ डाउन कय अपन कोरा मे ओकर माथ राखि केस मे आंगुर फेरैत कहलकैक… तूँ ई कि केलें भूखना… हम कि तोरा भैर पेट भोजन नहि दियौक… ई हमरा छोड़ि तूँ… दोसर केँ… सौतिन आनि देलें भूखना…? भूखना ओकर कोरा मे एतेक मस्त छल जे फूलिया संग कदापि संभव नहि छलैक। ओ विचित्र हँसी हँसैत बाजल…

“चिन्ता नहि कर माया! कतय तूँ आ कतय ओ गँवार! बरु ओकरा सँ किछु कमाइ करबाक धंधा सोच।” जे रोगी केँ भावय – सयह बैदा फरमाबय। धंधावालीक आँखि मे आब भूखना सँ कैल जा रहल कमाइ सँ बहुत बेसी कमाइ – पाइ देखाय लगलैक। हाय रे पाइ! केकरो नहि छोड़ने अछि। आब दुनू मिलिकय फूलिया केँ चक्कर मे कोना फँसायत ताहि पर योजना बना लेलक।

योजनानुसार फूलियाकेँ सजा-धजा पार्टी मे जेबाक बात कहि भूखना ओहि धंधावालीक घर पर आनि लेलक… पार्टी मे कतेको जोड़ा केँ देखि फूलिया सेहो खूब खुशी भेल। पति संग शहर मे घूमबाक लिलसा आइ पूरा भऽ रहल छलैक…। पार्टी मे दारू सेहो पियैत छैक लोक से कहि भूखना ४-५ पेक चढा लेलक। एम्हर फूलिया केँ सेहो खूब जिद्द कय एक गिलास पिया देलक जाहि मे पहिने सँ नशाक आरो गोली मिलायल जा चुकल छल। परिणामस्वरूप राति कोना बीतल, कि सब भेल, के केकरा संग… ई सब बात भोरे फूलियाक आँखि खुलिते याद आबय लागल… पतिकेँ दोसर संगे नचैत सेहो ओ देख लेने छल जखन कनिक होश रहबे करैक… खैर! जेना-तेना फूलिया आ भूखना घर लौटल आ फूलिया गुम छल। भूखना कतबु किछु कहैत छलैक… फूलियाकेँ दोषभावक कारणे किछु बाजले नहि होइक। ओ जेना-तेना नहाय-सोनाय तैयार भेल आ पतिकेँ भोजन करेला उपरान्त अफिस विदा केलाक बाद बेचो आ बुधनी लग जाय खूब कानय लागल।

ओकरा ई सब वर्दाश्त नहि भेलैक। ओ सब बात अपन सखी सब केँ कहि आब कोहुना पतिक बर्बरता सँ बचेबाक गोहारि करय लागल। सखी सब सेहो सान्त्वना दैत ओकरा अचानक घटल दुर्घटना मानि धैर्य-धारण करबाक लेल कहलक। लेकिन फूलिया केँ बेर-बेर कोंढ फटैक आ ओ फफैक-फफैक कय कानय लागय। राति मे भूखना फेर खूब नशा मे झूमैत घर आयल आ फूलिया सँ कहय लागल “चल रानी! फेर पार्टी मे चले।” फूलिया केँ जे डर छलैक वैह भेलैक। ओ प्रतिकार केलक। “खबड़दार जे हमरा ओहेन पार्टी मे फेर कहियो लऽ जायब अहाँ…!” तड़ाक! तड़ाक!! झापड़ बरसाबैत भूखना फूलिया सँ कहलकैक, “चुप कर फूलिया! दोसर संग सुतबाक दृश्य मोबाइल मे खींचल छौक आ कोनो बाप नहि बचेतौक एतय। जतेक कहैत छियौक ओतबे कर।” बेचारी फूलिया… पतिक एहेन चण्डाल रूप देखि डेराइत हँ भरि देलक…! फेर वैह घटना, ओहने दृश्य..! आब ई नित्यक चर्या भऽ गेल। बेचारीक वर्दाश्त करबाक सीमा नंघा गेलैक। अवस्था एहेन छैक जे अपन संगियो सब केँ ओ कि कहय आ कि नहि कहय। पति एहेन भेटलैक – ओ अपन तकदीरकेँ मात्र दोख दैत अजनबी शहरक अजीबोगरीब माहौल मे अपन साँस कोहुना-कोहुना लय रहल छल। मुदा ओकर निर्दोष हृदय आ मन एहि सब मे नीक नहि लागि रहल छलैक। ओ अन्त मे निर्णय कय लेलक जे आत्महत्याक अलावे दोसर कोनो उपाय नहि! यैह विचार केलक जे मौका लगिते ओ शरीर त्याग कय देत। फेर ओकर भितरका मन सँ आवाज आयल जे एहेन क्रूर पतिक ओ पूजा कियैक करत? आ आब ओकर भीतर जाग्रत भेलैक चण्डी – आइ ओ फैसला कय केँ रहत!

ओ अपन सर्वोत्तम बुद्धि लगेलक आ पति नशाक अवस्था मे घर आयल कि फूलिया एकदम धंधावाली सब जेकाँ ओकरा ग्राहक बुझि स्वागत केलक। फूलिया पहिनहि सँ भूखना सँ बेसी पी लेने छल। एखनहु बोतल खुजल घर मे रखले छलैक। भूखना अबिते ओ स्वागत मे ओकरो गिलास देलक। भूखना विस्मित अछि। आइ फूलियाक श्रृंगार सेहो… विस्मयकारी वातावरण! फूलिया सीधे धंधावालीक नखड़ा सँ बेसी स्टाइल मे भूखना केँ इशारा केलक, ओकर ठोरक हँसी आइ भूखना केँ मात दय रहल छल। भूखना केँ आनन्द आबि रहल छलैक। ओकरा सहिये मे भेलैक जे ओ आइ फेर धंधेवालीक संग…! राति भरिक रंग-रभस पर ज्ञान ओकरा तखन भेलैक जखन भोरे ओकर नीन टूटल मुदा फूलिया सुतले रहि गेलैक। आब ओकरा सब असलियत पता लागि गेलैक जे ओ कतेक पैघ अपराध केलक। कोना ओ एक निर्दोष पत्नीक हत्यारा बनल। ओकरा जेलक सजाय भऽ गेलैक… मुदा ओ जेलो कि काटत, ओकरा असाध्य रोग भऽ गेलैक आ काहि काटिकय १ वर्षक भितरे फूलिया संग भेटय स्वर्ग चलि गेल। शायद आब दोसर जन्म लेत तखन ओ आ फूलिया एक नीक पति-पत्नी, गरीबिये मे अपन धर्माचरण संग मिलन करत… लेखकक यैह भावना छैक।

हरि: हर:!!