“गामक दलान”

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“साहित्य”

– बेबी झा।                           

” गामक दलान ”
गामक दलान शुरुआत भोरका दतमैन स लय रात्रि सुतबा तक रहैत अछि |बीच में जे कोनो काजक शुरुआत से दलाने स फूल तोरबा स तीमन तरकारी तोरबाक तक |भोर होईते एकटा कोना मे खुटा में गाय बन्हा जाईत अछि, पहील रोटी दलान पर गाय के |कुक्कुर सेहो भोरे -भोरे दलान पर आबि ठाड बसीया रोटक लेल | फूल पत्ती लागल गामक दलान अति शोभयमान देखना जाईछ एकटा क्यारी में हरियर -हरियल धनिया आ मेंथी देखते बनैत अछि |शिक्षक लोकनि वा अन्य कोनो काज में कार्यरत मोटरसाइकिल लय दलान स विदा होईत छथि |कोनो बिक्री करय बल ओ चाहे तरकारी बला होथि वा कबाड़ बला , भिखारी होथि वा दान लेबय बल सब त दलाने स आवाज लगबैत छथि ?
कोनो घरक संस्कार दलाने स बुझा जाईत अछि ओतुका बर – बिछौना, लोक -वेद, खान – पान, व्यक्ति के स्वभाव सबहक दलान आईना अछि |कोनो कन्यागत होथि दलान पर जरुर पहुँचै छथि आ गेला पर बहुत गौर स सब चीजक मुआयना करैत छथि आ घर पहुँचला पर ओकर बखान करैत छथि – हे दलानक शोभा बहुत छल, बर बिछौना स लय खान-पानक बखान करैत कहैत छथि – हे बेर्हि सेहो छल, कल छल दलान पर आ पानि जे शीतल छल, चाय-पानक बहुत पुछारी |कोनो नीक घरक स्री हरसट्ठे दलान पर नहि जाईत छथि |कोनो भिक्षुक दलाने पर आबि तृप्त होईत छथि? दलान परहक भोज -भात, गरुरपुराण सब शोभा बढबैत अछि |एकटा कहबी अछि -दलान पर आबि पानि हरबियौ |
मुदा, किछु बात में हमसब दलानक दुरूपयोग सेहो कय दैत छी, दलान पर ताश फेटैत अछि भांग घोरेत अछि |जहिना दलानक शोभा – संकारक प्रशंसा होईत अछि तहिना खराबक भर्तसना सेहो |
हमरा सबके अपना दलानक गरिमा बाप – पुर्षा के वसूल सब के बचा कय राखबाक चाही |एकटा दलान स घरक हर गतिविधि के अनुमान लगेल जा सकैत अछि |मनुष्य जीवन में दलानक उपयोगिता जीवन स ल कय मरणोपरांत तक अछि |दलान हमर सबहक सभ्यता – संस्कृति के धरोहर अछि |ते एकरा संस्कार के कायम रखैत ओकर त्रुटि के दूर करैत बढेबाक प्रयास करबाक चाही |
जय मिथिला जय जानकी 🙏🙏