कवि प्रणव नार्मदेय केँ श्रद्धांजलि अर्पित करबाक लेल दरभंगा में सभा

नहि रहलाह मैथिलीक चर्चित युवा कवि प्रणव नार्मदेय - विनम्र श्रद्धाञ्जलि

19 जनवरी 2021, मैथिली जिन्दाबाद!!

कवि प्रणव नार्मदेय केर काल्हि भेल असामयिक निधन सँ आहत मैथिलीप्रेमी व साहित्य जगत द्वारा लगातार शोक संवेदना प्रकट कयल जा रहल अछि। एहि क्रम में लेखक रमेश द्वारा फेसबुक सँ देल गेल जानकारी निम्न अछि।

*मैथिली सृजन, दरभंगा*

आइ दिनांक 19 जनवरी 2021 केँ मैथिली सृजन, दरभंगा द्वारा मैथिलीक लेखक,कवि आ समीक्षक स्वर्गीय प्रणव नार्मदेयक असामयिक निधन (18 जनवरी,2021)क कारणे एकटा आकस्मिक शोक-सभा -सह- श्रद्धांजलि गोष्ठी बैंकर्स कॉलोनी स्थित लेखक रमेशक आवासपर आहूत कएल गेल, जाहिमे निम्नलिखित व्यक्ति भौतिक रूपे आ अपन वर्चुअल उपस्थितिसँ भाग लेलनि।

1.रमेश
2.संतोषी कुमार
3.सुमित गुंजन
4.माला झा
5.अखिलेश कुमार झा
-:वर्चुअल उपस्थिति:-
6.डॉ. भीमनाथ झा
7.डॉ. फूलचंद्र मिश्र ‘रमण’
8.राजेश सिंह ठाकुर
9.श्याम दरिहरे
10.लक्ष्मी सिंह ठाकुर
11.स्वर्णिम किरण झा
12.अमित मिश्र
13.प्रियरंजन झा

सुमित गुंजन श्रद्धांजलि अर्पित करैत बजलाह जे मैथिली कविताक नवीन स्वरमे मुख्य- स्थानीय एकटा कवि हमरा सभकेँ असमय छोड़िक’ चलि गेलाह अछि।हार्दिक शोक व्यक्त करैत नवोदित कथाकार आ मैथिली नाटकक अनुसंधित्सु श्री संतोषी कुमार कहलनि जे प्रणव जीक साहित्यिक आयोजन आ साहित्यिक कार्यक्रम सभमे भागीदारीक सक्रियता अनुपम छल। ‘शब्दार्थ’ आ ‘जिज्ञासा’ बैनरमे मधुबनीमे कएल गेल हुनक आयोजन सभ मैथिली साहित्यमे चिरस्मरणीय रहत। ओ कथालेखन सेहो आरंभ केने छलाह। शोकांजलि अर्पित करैत श्रीमती माला झा बजलीह जे पाकशास्त्र मे निपुण कवि प्रणव जी व्यवहार-कुशल सेहो छलाह।अखिलेश झा द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित केलाक बाद लेखक रमेश बजलाह जे मैथिली-कविताक भविष्णु पैघ हस्ताक्षरक तिरोधान भ’ गेल अछि। जाहि स्वरकेँ व्यंजनक संगम क’ क’ एकटा अपना तरहक दुनिया रचबाक छल से असमय विसर्ग भ’ गेल। प्रतिबद्ध चेतनाक ‘विसर्ग होइत स्वर’क संक्षिप्त जीवन यात्रा रहल, जे मैथिली साहित्य लेल अत्यंत दुखद अछि।

आभासी माध्यमसँ डॉ. भीमनाथ झा, डॉ. फूलचन्द्र मिश्र रमण, राजेश सिंह ठाकुर, श्याम दरिहरे, लक्ष्मी सिंह ठाकुर, स्वर्णिम किरण झा, अमित मिश्र आ प्रियरंजन झा अपन-अपन शोक संवेदना व्यक्त करैत प्रणव नार्मदेयकेँ नवोदित पीढ़ीक एकटा महत्वपूर्ण नाम मानलनि जिनकर जीवन आ साहित्यिक यात्रा संक्षिप्त रहल। मैथिली साहित्यक अपूर्णीय क्षतिपर सभ एक मत आ मर्माहत छलाह।

तदुपरांत सुमित गुंजन प्रणव नार्मदेयक ‘पिरथी आ सुरूज’ कविताक पाठ करैत आ संतोषी कुमार हुनकर ‘विसर्ग होइत स्वर’ कविताक पाठ करैत अपन भावांजलि अर्पित केलैथ।

अंतमे तिरोहित आत्माक शांति आ शोक-संतप्त परिवारकेँ धैर्य धारण करबाक सांत्वना देबाक लेल एक मिनटक मौन धारण कएल गेल।