बिहार चुनाव २०२० – पटना सँ शासनक बागडोर केकर हाथ
बिहार चुनाव २०२० – पटना सँ शासनक बागडोर केकर हाथ

प्लुरल्स – बिहार केर उभरैत एक नव वैकल्पिक राजनीति
बंग भंग भेलाक बाद प्रान्तीय संरचना मे बनल बिहार – १९१२ ई. मे, पुनः १९३६ ई. मे उड़ीसा अलग भेल आर फेर २००० ई. मे झारखंड अलग भेल – आर आब जे बचल अछि से बिहार भारतक प्रान्तक रूप मे मात्र नहि राजनीतिक स्वरूप केँ संघीय स्तर पर परिभाषित करयवला ताकत एखनहुँ धरि रखैत अछि; मुदा से बिहार स्वयं अपन घर मे कतेको तरहक विपन्नता आ आन्तरिक कमजोरी सँ क्षयरोग जेकाँ ग्रसित अछि। एहि बिहार केँ २००५ मे नीतीश कुमार केर मुख्यमंत्रित्व सँ सुशासन आर विकासक संग अनेकों तरहक सामाजिक रूढिवादिता केँ खत्म करैत कूरीति आ शराबबन्दी जेहेन क्रान्तिकारी बदलाव सेहो देखय लेल भेटल, जेकर चर्चा एखन धरि कतेक कयल जाइछ समूचा देश आ विदेश मे ताहि सँ बहुत बेसी चर्चा आबयवला समय मे होयत। नीतीश कुमार केर छवि आ नेतृत्व केर सोच – विशुद्ध समाजवादी रहितो बिहार मे विद्यमान जातीय समीकरण, अगड़ा-पिछड़ा राजनीति, आरक्षण, दलित-महादलित आधारित सामाजिक न्याय, आर्थिक विपन्न परिवार केँ आरक्षण आ अनेकों चर्चित-स्थापित राजनीति केर सैद्धान्तिक आधार पर राजनीति करबाक नीयति-नीयत संग १५ वर्ष धरि शासन चलेबाक लेल इतिहास बेर-बेर मोन पाड़त। हालांकि एहि क्रम मे नीतीश कुमार सँ भेल एक महाभूल जे ओ अपन प्राकृतिक आ सफल गठबन्धन सूत्र केर परित्याग कय एनडीए छोड़ि यूपीए मे गेलाह तेकर राजनीतिक लाभ अर्थात् तेसर बेरुक सत्तारोहण त प्राप्त भेलनि, मुदा हुनक सुशासन मे दुशासन केर अप्राकृतिक हस्तक्षेप केर कारण पुनः ओ घर-वापसी करैत राजग मे आबि अपन मजबूत आ परिपक्व राजनीतिक खेलाड़ी होयबाक सूझ पटरी पर अनलनि से कहल जा सकैत अछि। लेकिन आलोचकक दृष्टि मे ओ पलटीमार आ धोखेबाज आदि सेहो बनलाह। आब चारिम पारी लेल पुनः अपन कइएक नव सूत्र – हालहि घोषित ७ संकल्प आदिक संग नीतीश कुमार विपक्षी गठबन्धन विरूद्ध जनादेश लेबाक तैयारी मे छथि। भारतीय चुनाव आयोग द्वारा ३ चरण मे चुनाव केर घोषणा सेहो कय देल गेल अछि। आगामी १० नवम्बर बिहार केर सत्ता संचालकक घोषणा कय जनादेशक आधार पर कय देल जायत।
निरन्तर ३ पारीक नेतृत्व कयनिहार सुशासन व विकास संग समाजिक क्रान्ति केर वयार बहेनिहार नीतीश कुमार केर सरकार विरूद्ध ‘सरकार-विरोधी’ (एन्टी इनकम्बेन्सी) हावी रहितो हुनक मजबूत गठबन्धन ‘एनडीए’ केर दावेदारी प्रबल देखा रहल अछि। लेकिन बिहार मे सत्ता परिवर्तनक हवा सेहो अत्यन्त प्रबलता सँ बहि रहल देखाइत अछि। एहि मे यूपीए – भारतीय कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, भाकपा, माकपा, रालोसपा, आदि अनेकों दल केँ बिहार मे परिवर्तनक गुंजाईश देखा रहलैक अछि। मुदा स्थापित सूत्र यानि ‘जातीय समीकरण’ मे नीतीश कुमारक जदयू आ केन्द्रीय सत्ता संचालक सब सँ पैघ दल भारतीय जनता पार्टी संग राम विलास पासवान केर लोजपा एवं किछु अन्य एनडीए घटक दल केर वोट बैंक यूपीए पर हावी रहत सेहो लगभग तय बुझाइत अछि। बिहार केर राजनीति मे जातीय समीकरण केर आधार पर सत्तारोहणक दुर्भाग्यपूर्ण अवस्था केँ सर्वथा नीतीश कुमार समान विकास आ सुशासनक पैघ छवि मात्र बदलि देबाक कुब्बत रखैत छल, लगभग बदलियो देने छलैक, मुदा पिछला चुनाव मे ‘महागठबंधन’ केर एकटा सूत्र आ प्रयोग एहि सब बदलाव पर पानि फेरि देने छलैक आर केन्द्र मे नरेन्द्र मोदी व भाजपा केँ प्रचण्ड बहुमत देलाक बादो आखिरकार जातीय आधारित वोटबैंक पोलिटिक्स मात्र पटना सँ शासनक बागडोर दैत छैक से सिद्ध कएने छल। हमरा हिसाबे फाइट एहि दुइ मे होयत, एनडीए वर्सेज यूपीए!
Sep 30, 2020 - 4:41 am
Bahut Bahut Mangalkamna aa Badhai. Ummid karai chhi je pushpam apan prayas bina aadhunik day pencek ke hisab se safal hoyatih.