गर्व

लघुकथा प्रतियोगिता मे ईशनाथ झाक कथा पुरस्कृत

विचार

– ईशनाथ झा

मिथिलामे बास कयनिहार समस्त मैथिल मध्य दू टा नैसर्गिक गुण हमरा अत्यंत रोमांचकारी लगैत अछि। पहिल तँ ककरो मृत्यु पर श्रद्धांजलि देबाक हड़बड़ी आ दोसर बात-बातमे गर्व करबाक सुदीर्घ परंपराक पालन। ई गर्व करबाक पुनीत कार्य सभकें एकताक सूत्रमे बन्हबाक अभूतपूर्व काज करैत अछि। एक आदमी कोनो काज केलक वा किछु करबामे सफल भेल कि पाछाँ सँ दर्जनक दर्जन नाकारा-कोढ़ियाठ सब गर्व करबामे व्यस्त भ’ जाएत। एना लागत जे सब होली-जुड़िशीतल जकाँ सामूहिक रूपसँ भाँगक सेवन कए मस्त भ’ गेल हो !

आब बाबूबरहीक कोनो युवक यूपीएससी पास केलनि आ इम्हर झंझारपुरमे मैट्रिक फेल भाइ साहेब शिखर-पराग थुकड़ि गर्व कs रहल छथि। ओ पास केनहार वीर ने हिनका जनैत छनि ने ई ओकरा जनै छथिन तैयो ओ हिनकर नाम रौशन कs रहल छनि। भाइ साहेब गौरवान्वित छथि, आनंदविभोर छथि। दुआरि पर बैसल छथि, गहूम पिसेबाक लेल चक्की पर जेबाक छनि तैं कने विषादमे छथि कि व्हाट्सऐप पर संदेश अभरै छनि भगवान परशुरामक फोटो संग, ‘गर्व से कहो हम ब्राह्मण हैं’, आकि गहूमक मसकल झोरा देखैत-देखैत भाइ साहेबक छाती चाकर भ’ जाइ छनि, ठोर पर मुस्की पसरि जाइत छनि, आँखिमे दर्पक लालिमा देखार भ’ जाइत छनि, गर्वक परिधि विस्तृत भ’ जाइत छनि, परशुराम सँ लs के चाणक्य तककें मनक अंतरदृष्टि सँ देखय लगैत छथि आ गर्वातिरेक सँ भाव-विभोर भ’ जाइत छथि।

केबाड़ लग ठाढ़ि घरनी एहि मुखारविन्दक दर्शन करैत संशय मे पड़ल छथि कि एहि मनसाक मुँह देखियौ ! चारि मास सँ गाम पर बैसल छै निठल्ला, बच्चाक स्कूल सँ आॅनलाईन पढ़ाइक फीसक तगेदा भोर-साँझ अबै छै, बुचिया कहिया सँ घिनेने छै जे नबका जीन्स-टॉप किनबे करतै ! एक हफ्ता सs तरकारी वाली नै अबै छै तते ने उधारी लs लेने छियै ! कोनो टा जोगाड़ नै छै एहि सभक चुकता करबाक आ ई आदमी प्रसन्नचित्त मोबाइल नेहारि रहल छै ! ई सोचिते छली बेचारी कि हुनकहु मोबाइलमे टुनटुन बजलनि। चेक केलनि तs देखलनि जे एकटा वीडियो आयल छलनि। ओकर गोलकी चकरी घुमिये रहल छल कि बाहरमे भाइ साहेब चिचियेला — सुनै छी, आइ समस्त भारतवासीक लेल महान गौरवशाली समय आबि गेल। ‘रामलला विराजमान’ —- वीडियो मे कहि रहल छल जे गर्व करू जे अहाँ एहेन ऐतिहासिक क्षणक साक्षी बनि रहल छी …..! आब दुनू प्राणी समवेत गर्व करय लगलाह। अहा, ब्रह्मानंद सहोदर परमानंद, आनंदे-आनंद ! तत्काल ओहो बिसरि गेलीह अपन पीठक दर्द, बुढ़हीक उकासी आ बच्चाक फीस। गर्व करबाक अपन पुरातन परंपरा पर हुनका गर्व हुअए लगलनि।

हम कखनहुँ काल सोचैत छी जे ई त्वरित प्रसन्नताक अनुभूतिक सुख मनुष्ये टा कें भेटैत छैक शायद ! यदि आनो जीव-जंतु मे ईश्वर गर्व करबाक क्षमता देने रहितथि तँ रंग-बिरंगक नारा-पोस्टर देखबा-सुनबामे अबितै —— ‘गर्व से कहो हम नाली के पिल्लू हैं’, ‘अखिल भारतीय झिंगुर महासभा’, ‘अखिल ब्रह्माण्ड गिरगिट युवा वाहिनी’, ‘जमात-ए-जू’, ‘लश्कर-ए-लीख’ आदि आदि। सबसँ बेसी गौरवान्वित तँ कोरोना वायरस समाज रहितै एखनुका समयमे ! आनो वायरस एकर अपार सफलता देखि गौरवान्वित रहितै ! मुदा भगवान ई गर्व करबाक विपुल बुद्धि मात्र मनुक्ख कें दए अपन समदर्शी हेबाक गुण पर प्रश्नचिह्न लगा लेलनि !

खैर, ‘आइ गर्व करबाक ऐतिहासिक क्षण आबि गेल अछि’, ई एहि भूभाग पर अधिकांश मनुक्खक हृदयमे उथल-पुथल मचौने अछि। एक दोसर सँ सब ई सूचना आदान-प्रदान कs रहल अछि। ओ गामक चौक पर पान गलोठने गर्व कs रहल छथि। मास्क गरदनिमे लटकल छनि। लेकिन भोरेसँ निरंतर गर्व कs रहल छथि आ सब सँ गर्व करबाक आह्वान कs रहल छथि। किछु गोटै बिछौने पर पड़ल-पड़ल गर्व कs रहल छथि। सिलेटिया मोबाइलमे चेक कए रहल छथि जे के सब कतय गर्व नहि कs रहल अछि। एहन निर्बुद्धि सभक लेल ओ गारि-कथाक चुनावमे निमग्न छथि। बगलमे पड़ल बच्चा कानब शुरू करैए, बहुत कनैए ! ओ ओकरा थोपड़ा दैत छथि आ पुनः गर्व करय लगैत छथि। एहन शुभ कार्यमे जे कियो विघ्न-बाधा उत्पन्न करत से लतियाओल जैत, ई सोचैत ओ गर्व करैत रहैत छथि। तामे वीडियोमे कोनो विदेशी कहि रहल अछि, “हमरा लग धन-संपत्ति अछि, विलासिताक वस्तु-जात अछि, गाड़ी-बंगला-गजट अछि, उत्तम स्वास्थ्य व्यवस्था अछि, अत्याधुनिक शिक्षा प्रणाली अछि, तोरा लग की छौ एते जे गौरवे आन्हर भ’ रहल छें ?” ई पड़ले-पड़ल चिचियै छथि, “हमरा लग गर्व करबाक एक सौ कारण अछि, एहि लेल जिगर चाही ! छौ तोरा लग ई कलेजा, बुड़िबक् नहि तन ! हम सब मृत्युक तांडवमध्य गर्व कs सकैत छी, निर्धनता आ भुखमरीक क्रूर अट्टहासक बीच गर्व कs सकैत छी, हम अशिक्षा एवं असमानताक खत्तामे गर्वक नृत्य कs सकैत छी, छौ तौरा लग ई सुविधा आ सौभाग्य ? हम स्थितिप्रज्ञ छी, गर्व करबाक लेल जन्म भेल अछि, सात जन्म तक करैत रहब ! तैं हम सदैव गर्व सँ कहैत छियै जे हम गर्व कs रहल छी !