कन्यादान आ मिथिलाः शोधमूलक लेख-संग्रह केर चारिम कड़ी

मिथिला मे विवाह पद्धतिक आध्यात्मिक एवं लौकिक महत्ता
कन्यादान आ मिथिला
 
Photo: File (Courtesy Google Images)

आशा करैत छी राखी नीक सँ मनेलहुँ, भाइ-बहिन बीच स्नेहबन्ध केर रक्षासूत्र बन्हबाक ई परम्परा सच मे मिथिलाक प्राचीन परम्परा सँ इतर हिन्दी सिनेमा द्वारा ‘भाइ-बहिनक प्रेम आ रक्षाबन्धन’ केर महिमामंडन केर असर मानल जाइत अछि – लेकिन भावना उच्च छैक, मानवीय सम्बन्ध मे प्रेम केर महत्व केँ बढेबाक कोनो भी रीति-रिबाज जल्दी लोकप्रिय बनि जाइत अछि, यैह बात राखी त्योहार संग भेल छैक। एकर आध्यात्मिक स्वरूप मे सेहो एहि तरहक किछु चर्चा कतहु पढबाक लेल भेटल, लेकिन व्यवहार मे केवल पुरोहितजन द्वारा ‘येनबद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः…’ केर मंत्रोपयोग करैत रक्षासूत्र बान्हि यजमानक कल्याण लेल प्रार्थना कयल जाइछ, यैह बात बेसी भेटैत अछि। खैर… हम एखन एहि विन्दु पर केन्द्रित नहि छी। दहेज मुक्त मिथिला पर कन्यादान यज्ञ ऊपर केन्द्रित रहिकय मिथिला मे व्यवहृत लोकरीति, कर्मकांड व वैवाहिक सम्बन्धक पवित्रता आ दीर्घायुपन पर शोध-विमर्श मे लागल छी। अहुँ सभक विचार एहि मे आबि रहल अछि, आर एक अत्यन्त उपयोगी लेख-संग्रह तैयार भऽ रहल अछि – एक एहेन साहित्य जे आगामी पीढी लेल काफी उपयोगी होयबाक अपेक्षा करैत अछि।

 
कनेक दिन पहिने मधुश्रावणी बीतल। सामाजिक संजाल मे एहि पाबनिक एक व्यवहार ‘टेमी दागब’ ऊपर खूब जमिकय गन्थन-मन्थन होइत आबि रहल अछि। एकर गवाह हम स्वयं पिछला १० वर्ष सँ फेसबुक पर रहलहुँ। एकटा टेमी दगबाक विषय एतेक पैघ विमर्शक विषय बनि सकैत छैक लेकिन विवाह जेहेन गम्भीर आ पूरे जीवन केँ प्रभावित करयवला विषय पर लोक अत्यल्प विमर्श करैत देखायल अछि। एहि विमर्शक अभाव मे विवाह केँ लोक सिर्फ देखाबटी, आडम्बरी आ भौतिकतावादी व्यवहार मे परिणति दय देलक अछि। दहेज जेहेन कुप्रथाक जन्म लेल सेहो यैह अनुपयोगी पक्ष केर आध्यात्मिक पक्ष पर हावी भेला सँ भेल, ई हमर सोचब आ सिद्ध शोध केर तथ्य अछि। दहेजक व्यवहार वैह व्यक्ति, परिवार, समाज आदि करैत अछि जेकरा विवाहक भौतिकतावादी पक्ष मन-मस्तिष्क मे हावी रहैत छैक। विवाहक आध्यात्मिक पक्षक विभिन्न स्वरूप पर मिथिलाक लोकरीति हमरा सब केँ बड पैघ शिक्षा दैत अछि।
 
विवाह जेना दू प्राणी केँ एकठाम अनैत अछि, जेना सहवास आ सन्तानोत्पत्तिक वैधानिक अधिकार प्रदान करैत अछि, स्त्री संग एक पुरुष केर जोड़ बनेलाक बादे प्रकृति आ सृष्टिक नियम अनुसार जीवमंडल चलैत अछि तेकर सर्वोत्कृष्ट स्वरूप मनुष्य मे सेहो देखबैत अछि विवाह – तखन ई सब कार्य केँ कोना सबल आ सुदृढ बुनियाद (आधार) भेटत तेकर विलक्षण आध्यात्म मिथिलाक विवाह पद्धति मे भेटैत अछि – हमर शोधक एकमात्र लक्ष्य ई थिक। एहेन पवित्र आध्यात्म मे ई तुच्छ (अनावश्यक) दहेज कतय सँ अबैत अछि, ई चिन्तन केर विषय थिक। एहि सँ पूर्व तीन भाग मे कन्यादान व विध-विधान पर चर्चा भऽ चुकल अछि। काल्हि ओठंगर केर आध्यात्मि स्वरूप जाहि मे जमाय केँ भगवान् विष्णु रूप मे मानिकय पुरुषसुक्त केर ३ बेर पाठ करैत सृष्टिक सृजन लेल अधिकार देबाक प्रतीक – उखड़ि मे ललका धान केँ समाजक ८ गवाह सहित नौआक देल गेल बन्धन भीतर ३ बेर समाँठ सँ चोट दय धान कूटब आ ताहि धानक उपयोग आगाँक विध सब मे करब, एहि पर चर्चा कएने रही।
 
आब कनेक चर्चा ‘कन्यादान मे प्रयुक्त परिधान’ संग ‘भौतिक स्वरूप मे वांछित विधक पूर्णता लेल प्रयुक्त चीज-वस्तु’ पर चर्चा केन्द्रित करय चाहि रहल छी। ओना त श्रीमती किरण झा विवाह मे आवश्यक सब विधक समान केर सूची जारी कय देने छलीह, लेकिन हमर जे सोचबाक दृष्टिकोण अछि, से कनेक इतर – कनी गौर करूः
 
१. मिथिलाक विवाह मे डोमक चंगेरा-कोनिया आ बाँसक काइम सँ बनल बर्तनक उपयोगिता महत्वपूर्ण अछि।
 
२. धोबिनक सोहाग सर्वप्रथम अछि।
 
३. कुम्हारक अहिबात-पुरहर, सर्वा, ढकना, छाँछी, मटकुरी, कस्तारा, कोहा, आदि अनेकों माटिक वर्तन जाहि मे दीप सेहो प्रधान अछि – एकर प्रयोग महत्वपूर्ण अछि।
 
४. कमारक बनायल वेदी जतय वैदिक समस्त मंत्र व अग्नि प्रज्वलित कय वर द्वारा संकल्प लैत वैवाहिक धर्म एवं कर्तव्य पूरा करबाक प्रण लेल जायत से महत्वपूर्ण अछि।
 
५. नौआ द्वारा संग्रह कयल समस्त वैदिक कर्म केर सामग्री एवं अग्निकुन्ड मे हवन केर विशिष्ट हविष्य लकड़ी (विभिन्न गाछ आदिक टहनी) से बड पैघ महत्वक अछि।
 
६. सोनार द्वारा तैयार कयल सोना जाहि सँ सिन्दुरदान होयत, बिन सोन सिन्दुरदान नहि कयल जेबाक विधान अछि।
 
७. पटवारीक गुहा-माला, मालीक मौउर आ भगवतीक सीर सजेबाक विभिन्न सामग्री……
 
लगैत अछि जे हमर भाव अपने लोकनि स्पष्ट बुझि गेल होयब। भोजनहु केर तैयारी मे बर-बरी-तरुआ-तरकारी-तिमन केर विशेष परिकार आ विशेष रूप सँ विशेष व्यक्ति सभक द्वारा तैयार करबाक विधान अछि। विवाह मे जतेक चीज-वस्तुक प्रयोग-उपयोग कयल जाइछ ताहि मे समाजक सब वर्ग, स्त्री, पुरुष, खबासनी, विधकरी, गीतगाइन, आदिक समग्र सहभागिता केर विशेषता अछि।
 
एहि सब वस्तु-सामग्री-सहभागिता केँ जुटेबाक लेल ‘दहेज प्रथा’ कतय आवश्यक अछि? कनी सोचू, बुझू आ तखन अपन विचार राखू।
 
लेख सब जल्दी-जल्दी पठाउ। अहाँक योगदान ऐतिहासिक होबय जा रहल अछि।
 
हरिः हरः!!
 
Photo Courtesy: Google Images
 
Note: एहि मे अहाँ सब कियो अपन लेख-रचना पठा सकैत छी। विवाह विशेष एहि शोधमूलक लेख-संग्रह मे अहाँक योगदान ऐतिहासिक होयत।