मैथिल डिप्लोमैसी आ ब्युरोक्रेसी – एक अध्ययन

लेख

– प्रवीण नारायण चौधरी

मैथिल डिप्लोमैसी आ ब्युरोक्रेसी

 
(मिथिलाक लोक केर स्वाभाविक कूटनीति और नौकरशाही गुण-धर्म)
 
हम मिथिला सँ छी। गाम हमर मूल निवास, मौलिक संस्कार आ प्रथम राष्ट्रीयता थिक। नगर सभ्यता सेहो गामे सँ प्रभावित अछि। एहेन कतेको आख्यान भेटैत अछि जे शिक्षा, व्यवसाय, उद्योग, आदिक विकसित केन्द्र मे गामहि केर लोक द्वारा नगर बसायल जाइत अछि। चाहे राजाक राजधानीक बात हो या राज्य द्वारा विकासक सूची मे शामिल कयल कोनो औद्योगिक नगर केर बात – हम मैथिल अपन उपस्थिति नहि केवल मिथिला मे, बल्कि मिथिला सँ दूर-दूर कइएको अन्य संस्कृति-सभ्यताक नगर-महानगर धरि अपन पहुँच उच्चस्तर केर बनौने छी। विद्या, बुद्धि, विवेक, चतुराई, हाजिरजवाबी, शीघ्रनिर्णय शक्ति, सहज समाधान तकबाक सामर्थ्य – एहेन कइएक गुण आ क्षमता शिक्षित-सुसंस्कृत मैथिल समुदाय मे प्रचूर मात्रा मे भेटैत अछि। संभवतः एहि कुशाग्रता आ तीक्ष्ण-बौद्धिकता केर बल पर मैथिल अपन पैठ कतहु स्थापित तुरन्त कय लैत अछि। हँ, तखन यैह शक्ति आपस मे घोर-प्रतिस्पर्धा केर कारक होइत सेहो अछि जेकर परिणाम आपसी एकजुटता विरले भेटैछ। तखन आपसी प्रतिस्पर्धा ‘गला-कटाई’ धरि नहि पहुँचैछ, सेहो सत्य छैक कहि सकैत छी।
 
महाकवि विद्यापति, हुनक पिता, पितामह, प्रपितामह आदिक उदाहरण राज-परिवारक मंत्रीक रूप मे देल जाइछ। बौद्धिक सामग्रीक निर्माण – प्रशासनिक व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, शासनक विभिन्न विधा मे एहि परिवारक इतिहास भेटैत अछि। पूर्वकालिक इतिहास मे याज्ञवल्क्य आ गौतम संग अष्टावक्र आदिक नाम अबैत अछि जे मिथिलाक जनक-राजवंश संग कूटनीति-राजनीति केर सम्पूर्ण सूत्र परिभाषित करैत प्रजाहित लेल राजाक संग कार्य कयलनि। आधुनिक काल मे सेहो दरभंगा राज अथवा बेतिया राज, गढबनैली राज, सोनबरसा राज, आदि विभिन्न छोट-छोट राज मे मैथिल कूटनीतिज्ञ आ रणनीतिकार लोकनि अपन-अपन क्षेत्राधिपतिक लेल क्षेत्ररक्षण कयलनि। चूँकि ई सब इतिहास व्यवस्थित ढंग सँ कोनो विद्यालयक पाठ्यक्रम मे हमरा लोकनि केँ पढाई नहि करायल जाइछ, तेँ गौरवान्वित करयवला बहुत रास सकारात्मक आधार हमरा सभ लग नहि अछि। हम सब केवल दोसर-दोसर सभ्यता-संस्कृतिक इतिहास पढिकय पहिनहि सँ ‘दोसर-दर्जा’ केर बनि जाइत छी। ….
 
ब्युरोक्रेट्स मे फेर हम केवल सरकारी पदधारी केर गिनती नहि कय ओहि बाबा केँ सेहो गानय चाहब जे अकबाली छलाह। जिनका मे रुआब झाड़बाक योग्यता, दक्षता, निपुणता ओ औचित्यपूर्णता (legitimacy) देखैत रहियनि। मिथिलाक इतिहास सँ ‘अधिपति’ केर अनेक रूपक ज्ञान भेटैत अछि, जेना आइ मुखिया होइछ पंचायत राज व्यवस्था मे – तहिना पहिने ग्रामाधिपति होइत छल। जेना आइ प्रखण्ड प्रमुख होइछ, तहिना पहिने क्षेत्राधिपतिक जिकिर भेटैत अछि। कहबाक अर्थ जे शासन व्यवस्था मे सब दिन समान पैटर्न चलल – जतय-कतहु लोकक निवास स्थल बनल, ओहि ठामक सारा व्यवस्था एकटा निश्चित शासन पद्धति मे चलैत अछि, सब काज करबाक आ करेबाक एक नियंत्रित मानवीय व्यवस्थापन रहले पर ओहि निवासस्थानक ग्राम वा क्षेत्रक राजकाज ठीक सँ चलैत अछि। आर एहि लेल ब्युरोक्रेट्स (नौकरशाह) केर जरूरत होइत छैक। भले ओहि बाबा केँ ब्युरोक्रेट कहू जे रुआब सँ खेत-खरिहानक काज करबैत कृषि व्यवस्था आ उपज केँ रेखदेख करैत छलाह, वा आजुक सरकारी पदाधिकारी जिनका ऊपर सरकारक विध-विधान आ व्यवस्था केँ सुचारू ढंग सँ चलेबाक भार रहैत छन्हि – काज सभक लेल विभाजित रहैत छैक आर सब केँ चाही जे अपन कर्तव्य ईमानदारी सँ निभाबी।
 
आजुक प्रसंग अछि ‘सरकारी विभाग मे मैथिल डिप्लोमैट्स आ ब्युरोक्रेट्स’। एहि सन्दर्भ मे हमर किछु जिज्ञासा अछि जे क्रमिक रूप सँ राखय चाहब। ई लेख एकटा निश्चित अनुसन्धान विषयक होयबाक कारण हम जानकारी संकलन लेल लिखि रहल छी। पाठकक सक्रिय भूमिका सँ शायद किछु उपयोगी बात भेटि जाय। ओना, जँ कियो कतहु कोनो किताब आदि लिखने होइथ जे विषयसम्बन्धित जानकारी उपलब्ध करबैत हो तँ सेहो अहीं सब सँ ज्ञात होयत। हमर जिज्ञासा एना अछि –
 
१. अहाँक नजरि मे कय गोट मैथिल डिप्लोमैट वा ब्युरोक्रेट छथि?
 
२. हुनकर पढाई-लिखाई आ पद पर पहुँचबाक कथा-गाथा बुझल अछि? जँ हँ त संछेप मे जानकारी लिखू।
 
३. सरकारी पद पर रहिकय ओ कतेक लोकप्रिय-अलोकप्रिय, ईमानदार-भ्रष्टाचार, राष्ट्र हित वा अहित, स्वच्छ छवि अथवा विवादित छवि रहला – ताहि पर निश्चित किछु लिखू।
 
देखल गेलैक अछि जे अत्यन्त उच्चपद पर पहुँचल मैथिल हाकिम सब गैर-मैथिल ऊपर बड़ा दबंगइ देखेलखिन – कारण हिनका सब मे उच्च प्रतिभा आ अकूत क्षमता रहलनि, संगहि ई लोकनि स्वयं बेस ईमानदार आ सत्यनिष्ठ सेहो होइत रहलाह तेँ दोसर पर कनेक बेसिये हावी रहलखिन आर एहि तरहें ई सब नहि तँ अपन विभागक मंत्री केँ प्रसन्न राखि पेलाह, नहिये कर्मचारीतंत्र जे ऊपर सँ नीचाँ धरि भ्रष्टाचार मे लिप्त रहैत अछि तेकरा खुश राखि पेलनि। आर, एहि तरहें एक दबंग पदाधिकारी बनिकय सभक आँखि मे गड़य लगलाह – कने दिन मे ट्रैप मे फँसाओल गेलाह, फेर विभागीय कार्रवाई आदि मे फँसिकय आखिरकार ‘बैक टु पेवेलियन’ भेलाह।
 
हम एकटा नजदीकक उदाहरण मोन पाड़ैत छी। वन विभाग, बिहार केर डीएफओ छलाह पीएन चौधरी। बड़ा कर्मठ आ ईमानदार लोक। अपन तीक्ष्ण ज्ञान आ खानदानी रुआबी शैली सँ सम्पूर्ण डिविजन (चतरा, बिहार… आब झारखंड) पर मजबूत पकड़ छलन्हि। कतहु एक पाइ केर भ्रष्टाचार वा कदाचार हिनका रहैत कियो नहि कय सकैत छल। मुदा वन विभाग मे दू-नम्बर के पाइ कमेबाक बड पैघ गिरोह तहियो होइत छलैक, आइयो धरि छैक से कहि सकैत छी। वनरोपण केर नाम पर एक लाख गाछ रोपा जाइक, फेर ९९००० हजार गाछ बकरी चरि जाइक… मतलब बुझू न! किछु एहि तरहें कागज आ फिल्ड वर्क मे काफी अन्तर देखल जाय। सरकारी खजाना सँ जतेक माल निकलैत छलैक ताहि मे सँ चारि-आना केर काज होइत होइक…. एम्हर बारह-आना पाइ बन्दर बाँट मे ऊपर सँ नीचाँ धरि बँटा जाइक।
 
एक कर्मठ आ ईमानदार मैथिल पदाधिकारी केँ झेलब बहुतो लेल कठिन भऽ गेलैक। बात ताहि समय केर ओहि क्षेत्रक मंत्री धरि पहुँचि गेलैक जे ‘बाबा के रहते कोई कुछ नहीं कर पा रहा है’। मतलब जे मैथिल ब्राह्मण केँ अक्सर विभागक कर्मचारी तंत्र मे ‘बाबा’ शब्द सँ संबोधन कयल जाइक। मंत्रीजी (नाम जानियेकय नहि लिखि रहल छी, आब सब कियो स्वर्गीय भऽ गेलाह)… एहि तरहक बात सुनिकय बड़ा विचलित भेलाह। कमिशन फेस कय केँ पदाधिकारी बनल कोनो ईमानदार लोक पर सीधे कार्रवाई सेहो नहि कय सकैत छलाह… जेना आइ-काल्हि तुरन्त ट्रान्सफर कय देल जाइत छैक किछु तेना… तेँ बड़ी जबरदस्त प्लानिंग कय केँ ‘बाबा’ केँ फँसाओल गेलनि आ तखन बाबा केँ फोर्स्ड रिटायरमेन्ट केर आप्शन लेबय लेल मजबूर कय देल गेलनि। एहि तरहें डिपार्टमेन्ट मे पुनः सिस्टम (करप्शन) अपन गति पकड़लक।
 
एहेन-एहेन कय टा उदाहरण हमरा नजरि मे अछि। बिहारक डिजीपी जेहेन पद पर पहुँचल मैथिल विद्वान् आ कर्मठ हाकिम सभक नाम अछि, बिहार सरकार, भारत सरकार अथवा नेपाल सरकार – जतय कतहु एहेन ईमानदार आ कर्मठ मैथिल पदाधिकारी भेलाह, एहि तरहक ट्रैपिंग स्टोरी आ हुनकर आन-मान-शान केँ घटेबाक कय गोट प्रकरण आँखिक सोझाँ अछि। किछु दिन पूर्वहु मे एक गोट उच्च पदाधिकारी ऊपर एहने ट्रैपिंग स्टोरी सोझाँ आयल। हम सम्पूर्ण विवरण संग कोनो आर लेख मे आयब, एखन मोट गप मात्र करी। प्राइवेट मे सेहो एहेन कतेको उच्चाधिकारीक नाम सोझाँ मे नाचि उठैत अछि जिनका ऊपर डायरेक्टर साहब अपन मनमर्जीक हुकुमत चलेबाक प्रयास कयलनि त अधिकारी पेपर वेट उठाकय उसाहैत कहलखिन जे जस्ट गेट आउट अफ माई चेम्बर अदरवाइज….! माने जे हमर अधिकारक क्षेत्र मे दोसर माथा घोंसियायत से हमरा मंजूर नहि अछि, भले हमरा नौकरी रहय वा जाय! एहेन स्वाभिमान हमर मिथिलाक कूटनीतिज्ञ आ नौकरशाह टा भऽ सकैत छथि। एहि लेख मे अपने सभक किछु योगदान भेटय त एकर किछु धारावाहिक (श्रृंखलावद्ध रूप) आनय चाहब। अस्तु! लेख पर अपन सुझाव-सलाह-टिप्पणी जरूर राखब।
 
हरिः हरः!!