साहित्यिकी सरिसव पाही केर २५८मा गोष्ठी संपन्न

साहित्यिकी सरिसब पाही द्वारा लगातार २१ वर्ष सँ हरेक मास साहित्य गोष्ठीक आयोजन, हालहि २५८वाँ गोष्ठीक समापन भेल।

अमरनाथ झा, महरैल, झंझारपुर। जुन ७, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

saahityiki sarisab paaheeग्रामीण क्षेत्र सँ निरंतर साहित्यक सेवा करयवला प्रतिष्ठित गाम सरिसब पाही केर नामी संस्था ‘साहित्यिकी’ आइ अपन २५८मा बैसारक आयोजन कएलक। “साहित्यिकी” संस्था, सरिसब-पाही गत २१ बरख सँ लगातार प्रतिमास बैसार करैत आबि रहल अछि जाहि मे साहित्यिक गतिविधि आ हस्तलिखित फोल्डर पत्रिकाक वितरण सेहो कैल जाइत छैक। एखन धरि लगभग ७० गोट पोथीक प्रकाशन कऽ चुकल ई संस्था आइ २५८मा बैसार कएलक अछि। औझका बैसारक आयोजन प्रो0 भैरवश्वर झा केर निवास – मिथिलाक दलान समान मंच लालगंजकेर आवास पर सुसंपन्न भेल। आनंदक गप ई जे सरिसब-पाही परिसरक अतिरिक्तो ठामक सुधीजनक ऐहि कार्यक्रम मे सहभागिता रहल। जाहिमे वैज्ञानिक सह साहित्यकार डा. योगेन्द्रपाठक ‘वियोगी’ केर मुख्य आतिथ्य मे विशिष्ट अतिथि मे नामी कवि व साहित्यकार लोकनिक नीक उपस्थिति छल। डा0 देवकांत मिश्र, हास्यकवि सम्राट डा0 जयप्रकाश चौधरी ‘जनक’, श्याम बिहारी राय “सरस” केर नाम उल्लेखनीय अछि।

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आजुक बैसार मे मिथिलाक प्रतिष्ठित विद्वान् श्रद्धेय गोविंद झा अपन पुत्र आ स्वयं साहित्यसेवाक संग अनेको प्रतिभाक धनी डा. अरविंद “अक्कू”क उपस्थिति बैसार केँ आरो मनोरम बना देलक। शैलेन्द्र आनंदक उपस्थिति सेहो आजुक बैसारक एकटा विशेष खासियत रहल। गर्मीक कारण बहुत रास आमंत्रित व्यक्तित्व सब सहभागिता सँ वंचित रहि गेलाह, मुदा हालहि एहि मंच केँ फेसबुक पर स्थापित कएनिहार युवातुरक अमल जी द्वारा हरेक दृश्यक फोटो आ समाचार सब अपडेट कैल जाइत रहल ताहि सँ लोक दूरो रहैत नजदीके रहलहुँ से प्रतिक्रिया देलनि। साहित्यिकीक संयोजक प्रो0 जगदीश मिश्र आ आजुक बैसारक आयोजक प्रो0 भैरवेश्वर झा जी कें धन्यवाद ज्ञापन करैत ऐगला बैसारक तारीख जुलाई केर ५ तारीख निर्धारित कैल गेल।

 

sahityiki2भगवतीक गीत सँ प्रारंभ भेल एहि कार्यक्रम मे मैथिली संग-संग हिन्दी कविताक सेहो पाठ विभिन्न कवि व विद्वान् लोकनि केलनि। करीब २ दर्जन स्रष्टा आ लगभग ४ दर्जन सुधी श्रोताक उपस्थिति मे भव्यतापूर्वक साहित्यिक समागम केँ समापन कैल गेल। ऐगला बैसार लक्ष्मीवती संस्कृत महाविद्यालयक सभागार मे राखबाक निर्णय कैल गेल अछि जाहि मे श्रीमती लिली रे केर रचना-संसार पर परिचर्चा सेहो कैल जायत।

 

विदित हो जे एहि कार्यक्रमक अपन एकटा विशिष्ट अनुशासन छैक, सृजनशीलताक अभिवृद्धि लेल साहित्य सुधा रस पान करबाक एहि सँ नीक दोसर कोनो उपाय नहि भऽ सकैत छैक, एकरा जीवन्त बनेबाक कार्य एहि प्रतिष्ठित गाम मे संभव भऽ रहल अछि। महापुरुष डा. सर गंगानाथ झा आ हुनकहि पुत्र लोकनि जे संपूर्ण भारत मे एक सँ बढिकय एक पद केँ सुशोभित केलनि आ तहिना जतय अयाची समान अलौकिक पुरुष केर जन्म भेल अछि ताहि गाम मे आइयो एहि तरहक विलक्षण कार्यक्रमक आयोजन अन्य मिथिलाक्षेत्र लेल तऽ अनुकरणीय अछिये, देशहु आ मानव समाजहु लेल एहि तरहक संस्कार केँ पल्लवित-पुष्पित करबाक आवश्यकता अछि।