पुरस्कृत मैथिली लघुकथा – दरेग

विहनि कथाः दरेग

– झा सृष्टि

कारक पट्टा खुजिते चिलका के ओकर दादीमाँ आह्लादित होयत कोरा मे लेलनि। आहा! देखियौ त, कतेक फकसियारि काटि रहल अछि नेना। एकदम स लहालोट भ गेल अछि।

– ऐँ ये कनियाँ, बौआकेँ दूध लगा लेबै से नै?

– माँ, दूध कहाँ होय छै, ओ त कहिया ने सुखा गेलै।

– त डाँक्टर स नै पुछलियै दूध होवाक उपाय?

– ओ त बतौलक, मुदा…..! जखन बजरूआ दूध स पलाईये जायत त चिंता कोन!

– ऐँ यै, कतेक निसोख छी अहाँ, कहुँ त अपन दूध केना छोड़ा देलियै?

– माँ, ई नै बुझथिन ने, दूध पियेला स फिगर खराब भ जायत छै।

– हाँ यै, हम अंग्रेजीया शब्द त ठीके नय बुझबै। मुदा एतेक जरूर बुझबामे अबैया जे दूध नै सुखेलै यै, ओ तँ कोनो ने कोनो रुप में भेटिये जाय छै।….. जँ सुखा गेलै त मायक ममता।

लेखिकाक परिचयः 

झा सृष्टि एखन उच्च अध्ययन कय रहल एक छात्रा छथि। लेखनी मे काफी रुचि छन्हि। दहेज मुक्त मिथिला समूह पर अक्सर अपन लेख-रचना सब प्रकाशित करैत रहैत छथि। ग्रामः चतरिया, पोस्टः शुभंकरपुर, जिलाः दरभंगा, बिहार सँ छथि।

सम्बन्धित जानकारीः

दहेज मुक्त मिथिला समूह पर आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता लेल अपन ‘विहनिकथाः दरेग’ पठौलनि जेकरा प्रथम पुरस्कार केर श्रेणी मे पुरस्कृत करबाक निर्णय समूह संचालक लोकनि लेलनि।