मिथिला मालाक मोती अछि बिखड़ल – आवश्यकता चुनबाक आ माला बनेबाक छैक

विशिष्ट व्यक्तित्व “श्री सुधीर कुमार ठाकुर” संग वर्चुअल भेंट-परिचय

 
मिथिलाक अनेकों पुरुषार्थसम्पन्न सपूत संग सोशल मीडिया मे भेंट होइत रहैत अछि। ई सौभाग्य केवल अपन मातृभाषा ‘मैथिली’ केर सेवा आ लेखन केर कारण नसीब होइत अछि, ई स्वीकार करय मे कनिकबो हर्ज नहि। निज भाषाक चुम्बकत्व मात्र एहेन होइत छैक जे अपन लोक संग भेंट करबैत रहैत अछि। एकर अलावे जीवन मे भगवद्भक्ति एवं आध्यात्मिक रुचि सँ सेहो एक सँ बढिकय एक विलक्षण पुरुषार्थसम्पन्न व्यक्तित्व सभक संग भेंट होइत रहल अछि। एहने एक आकर्षक आ प्रतिभा-पुरुषार्थसम्पन्न व्यक्तित्व श्री सुधीर कुमार ठाकुर जी संग सोशल मीडिया पर भेंट भेल। करीब ५ वर्ष सँ एक-दोसर संग जुड़ल छी। आइ संयोग सँ बातचीत सेहो भेल। बड नीक लागल। विनम्रता पैघ लोकक लक्षण होइत छैक। सुधीर बाबू मे अनेकों गुण भरल बुझायल, इच्छा भेल जे एहि तरहक महान सपूत सभक परिचय आम जनमानस धरि रखनाय बहुत जरूरी अछि। २०१४ केर सितम्बर सँ आरम्भ कयल अपन एक अभियान “मैथिली-महायात्रा” केर लक्ष्य सेहो छल कि मिथिलाक लाखों बिखड़ल मोती केँ चुनि-चुनिकय एकटा माला बनायब। तखन त सोचल सब बात सहजहि पूरा नहि भऽ पबैत छैक, कनेक घर-गृहस्थी मे ओझरा गेल छी, धियापुता पैघ भेल आ ओकरा सब केँ उच्च शिक्षा दिएबाक लेल जीवनक कय टा यात्रा केँ स्थगित करय पड़ल… शायद ई आगुओ किछु वर्ष एहिना ठमकले रहय, लेकिन धन्यवाद सोशल मीडिया…. ओ यात्रा एखनहुँ जारी राखय मे सहायक भऽ रहल अछि।
 
आउ परिचित होइ श्री सुधीर कुमार ठाकुर संग
 
मूल निवासी मधुबनी जिला केर, वर्तमान समय कोलकाता मे रहैत छथि। आदित्य बिड़ला ग्रुप केर सीनियर वाइस प्रेसीडेन्ट केर पद पर कार्यरत छथि। २ पुत्री १ पुत्रक पिता सुधीर बाबू सक्षम, सुदृढ, सुझबुझ सँ भरल व्यवस्थापकक रूप मे भारतक प्रसिद्ध औद्योगिक समूह मे अपन अलग पहिचान स्थापित कएने छथि। प्रतिष्ठानक जिम्मेदारी मे बेस व्यस्त आ बान्हल अनुशासित सज्जन बाल-बच्चाक शिक्षा आ भविष्य निर्माण लेल सेहो काफी सजग, उदार आ समर्पित व्यक्तित्व छथि। सामाजिक कार्य लेल समयाभाव मे बड खास त नहि लेकिन जखन, जतय, जतेक संभव भऽ पबैत अछि, ततेक योगदान देबाक लेल अग्रसर रहैत छथि।
 
आध्यात्मिक स्वाध्याय आ परिवारक संग भक्ति-भावपूर्ण जीवनचर्या केँ प्राथमिकता दैत छथिन। धियापुता मे उच्च संस्कार केर विकास पर हिनकर जोर रहैत छन्हि। सामाजिक संजालक सदुपयोग सेहो नीक-नीक विचार केँ आत्मसात करैत ओकर प्रचार-प्रसार लेल करैत छथि।
 
हिनकर स्टेटस कहैत अछि –
 
‘षड् दोषा: पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता l
निंद्रा तन्द्रा भयं क्रोध: आलस्यं दीर्घसूत्रता ll’
 
भावार्थ – कोनो व्यक्ति केँ बर्बाद होबक ६ लक्षण होइत छैक, नींद, तामस, भय, तन्द्रा, आलस्य और काज केँ टालब या विलम्ब करबाक आदतिl
 
संगहि ई सकारात्मक ऊर्जा मानव जीवन मे भरैत रहबाक प्रबल पक्षधर सेहो छथि –
 
‘मानव टा एहेन प्राणी अछि जे हँसनाय वा मुस्कुरेनाय दुनू जनैत अछि। तेँ हमेशा मुस्कुराइत रहू आर जहिना मौका भेटय दिल खोलिकय हंसू।’
 
चर्चा-चर्चा मे परिचय करैत ‘सी एम आर्ट्स ब्लौक’ (महाविद्यालय) सँ दुनू गोटे पढाई कयल तेकर बात अबैत अछि। किछु महत्वपूर्ण शिक्षक लोकनिक नाम मोन पाड़ैत छथि। चूँकि हम त नाममात्रे के एडमिशन करौने रही, पढाई त प्राइवेट सँ मात्र कय सकल छलहुँ… तेँ स्मृति मे आयल शिक्षक लोकनिक नामक सम्बन्ध अपन परिचयक असमर्थता जताओल। छात्र जीवन मे संघर्षक बात कहलियनि। सुधीर बाबू सेहो कहलाह जे हुनकहु जीवन कठोर संघर्ष सँ आगू बढि सकलनि। बहुतो वर्ष धरि मनोनुकूल क्षेत्र मे सफलता नहि भेटबाक पीड़ा सुनौलनि।
 
ओ आईएएस बनय लेल ठानि लेने छलाह। दिल्ली गेलाह। ओतहु संघर्षपूर्ण ढंग सँ अपनहि आयार्जनक बलपर अध्ययन केँ जारी रखलनि। २-२ बेर लिखित परीक्षा मे उत्तीर्ण होइतो मौखिक मे छँटा जाइथ। ‘अपन लिखल नोट्स आ टिप्स देल छात्र सफलता हासिल कय लेलक, लेकिन स्वयं नहि निकैल पेलहुँ…. काफी हतोत्साहित भऽ गेल रही।’ अतृप्त सुधीर बाबू मोन पाड़ैत शेयर करैत छथि। हिनका सँ बिना पुछने विवाह सेहो ठीक कय देल गेल छलन्हि, लेकिन पिता-परिजन सँ विद्रोह कयलनि, घर सँ निकालल गेलाह, तथापि करियर बनेने बिना विवाह करबाक अनुचित भार नहि स्वीकार कयलनि।
 
अन्ततोगत्वा चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट बनबाक लक्ष्य संग कोलकाता पहुँचैत छथि। अपन एक सहयोगी सँ मदति लैत कोलकाता पहुँचैत छथि। जेबी मे ओतबे पाय छलन्हि जे भाड़ा मे खर्च भऽ गेल छलन्हि। लेकिन कोलकाता युनिवर्सिटी केर ओ प्रसिद्ध प्रोफेसर साहेब हुनका लेल भगवान् बनलाह। हिनकर रहनाय, खेनाय, पढनाय सभ बात केर शुरुआती व्यवस्था मिलौलनि। तदनुकूल फेर सुधीर बाबू अपन परिश्रम सँ अन्य छात्र लोकनि केँ पढबैत अपन नव करियर बनबय मे सफल होइत छथि। बिड़ला ग्रुप मे नौकरी सेहो लागि जाइत छन्हि आर तखन वैह लड़की जिनका संग पिता कुटमैती तय कएने छलखिन, हुनकहि सँ विवाह करैत गृहस्थी आगू बढबैत छथि।
 
हिनकर जीवन-गाथा सुनिकय बिल्कुल हम-अहाँ अपन जीवन-गाथाक फ्लैश बैक मे चलि गेल होयब।
 
आइ वरिष्ठ व्यवस्थापकीय पदाधिकारी – सम्मानित नीति निर्धारक – सेहो भारतक प्रतिष्ठित औद्योगिक घराना ‘आदित्य बिड़ला ग्रुप’ मे – आर हिनकर सफलताक सूत्र छन्हिः
 
“Hard work in right direction by timely application of common sense & technology with full integrity is my success mantra.”
 
सही दिशा मे कठिन परिश्रम आ समय सँ सही सोच व तकनीक केँ एकबद्ध रूप मे प्रयोग हिनकर सफलताक मंत्र थिकन्हि।
 
आगाँ ‘ग्लोबल मैथिल’ समूह मे अपने सभ समान कर्मठ, अनुभवी आ सही सुझबुझक लोक केँ जुड़बाक चाही, हमर एहि अनुरोध पर समयक अभाव मात्र बाधक कहितो यथोचित योगदान लेल सदिखन आगाँ रहबाक बात गछैत छथि।
 
यथार्थतः अपन मिथिलाक पुनर्स्थापना एहने-एहने विलक्षण सपूत सँ होयत। एहि तरहक परिचयक प्रकाशन बेसी सँ बेसी हम सब कियो करैत रही। गाम-गाम मे एहेन कतेको विभूति सब छथि जे आइ विश्वक विभिन्न भाग मे बिखड़ल मोती समान अदृश्य छथि। जरूरत छैक जे हम सब मोती केँ चुनि-चुनिकय माला बनाबी। मिथिला केँ सजाबी। सभक जय हो!
 
हरिः हरः!!
 

संलग्न २ तस्वीरः पहिल मे चेक टी-शर्ट मे दमकैत चेहरा थिकाह सुधीर बाबू, दोसर मे सपरिवार सपत्नीक एवं बाल-बच्चाक संग मे देखा रहला अछि सुधीर बाबू। हमरा सभ गोटाक शुभकामना सहित, आजुक ई लेख हुनके समर्पित!!