नेपाल भारत मित्रता मे सवाल पर सवाल

मित्रता पुरान लेकिन व्यवहार असमान – प्रसंग नेपाल भारत मैत्री
 
नेपाल-भारत केर जन-जन बीच सम्बन्ध केँ सम्मान देबाक कय गोट महत्वपूर्ण कार्य भारत द्वारा कयल जाइत छैक। १९५० केर शान्ति आ मैत्री समझौता अनुसार दुनू देशक नागरिक एक-दोसराक देश मे जमीन कीनि सकैत अछि, नौकरी कय सकैत अछि, बिना कोनो विभेदक एक-दोसरक देश मे निवास करैत जीविकोपार्जन संग जीवन जीबि सकैत अछि। लेकिन एहि मामिला मे नेपाल अपन देशक सामर्थ्य भारत जेकाँ विशाल नहि रहबाक कारण किछुए वर्षक बाद जवाहरलाल नेहरू सँ भारतीय नागरिक केँ नेपाल मे नेपाली नागरिक जेकाँ सारा अधिकार नहि देल जा सकैत छैक एहि लेल राजी करा लेलक, एहि तरहक बात कहल जाइत छैक। ई कार्य नेपालक तत्कालीन राजतंत्र अन्तर्गतक प्रजातंत्र केर प्रमुख द्वारा लगभग १९६० ई. मे भेल संभवतः। एकर सही सन्दर्भ व विवरण ताकिकय बाद मे राखब।
 
भारत मे लेकिन लाखों नेपाली लेल समान अवसर देल गेलैक। सरकारी नौकरी, सेना मे भर्ती, बिना कोनो बेसी तामझाम आ कागजाती औपचारिकता आदिक नेपाली नागरिक भारत मे बिल्कुल समान अधिकार प्राप्त करैत आबि रहल अछि। जनता-जनता बीच केर विशिष्ट सम्बन्ध केँ व्यवहार मे साबित करयवला एकटा अनुपम नमूना थिकैक जे भारतीय सेना मे नेपाली केर भर्ती लेल जाइत छैक। भारत मे जँ नेपाल प्रति कोनो तरहक दुविधाजनक सोच अथवा विचार रहितैक त कोनो हाल मे देशक सुरक्षाक जिम्मेदारी कोनो नेपाली नागरिक केँ कदापि नहि भेटितैक। लेकिन भारत सच मे विशाल हृदय केर सोच आ समर्पण नेपाल प्रति व्यवहार मे जियैत अछि से एहि सँ प्रमाणित होइत छैक। पहिने नेपाली नागरिक अथवा भारतीय क्षेत्रक गोरखा मूल केर लोक केँ सेना मे भर्ती लेल जाइक जेकरा गोरखा रेजिमेन्ट कहल जाइक, मुदा बाद मे नेपाली नागरिक लेल खुल्ला प्रतिस्पर्धा सँ आनो-आनो रेजिमेन्ट (सेनाक प्रशाखा) मे भर्ती लेल जाइत छैक।
 
एम्हर नेपाल केर प्रतिनिधि सभा मे भारत पर तरह-तरह केर कठोर वाणी सँ जमीन अतिक्रमण आदिक आरोप लगबैत संविधानक संशोधन बिल पर बहस करैत जारी नव नक्शा केर आधिकारिकता केँ संवैधानिक जामा पहिरायल जा रहल छलैक, ओम्हर भारत मे ३ नेपाली नागरिक केँ सैनिक पदाधिकारीक कमीशन सँ पदोन्नति दैत बहाली भऽ रहल छलैक। भेलैक न विशिष्ट नागरिक सम्बन्ध!
 
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नेपाल मे व्यवहार फर्क कियैक? खुलेआम विभेद – असमान व्यवहार कियैक?
 
भारतक तुलना मे एकदम छोट अर्थतंत्र नेपाल लेकिन अपन भावना केँ ओतबे उच्च आ समर्पित नहि राखि सकल अछि। भारतीय नागरिक केँ नेपाली नागरिक समान अधिकार देबाक ‘शान्ति-मैत्री समझौता-१९५०’ रहितो एकर बिपरीत भावना संग भारतक नागरिक संग समय-समय पर द्वेषपूर्ण गाली-गलौज खुलेआम प्रयोग होइत देखल जाइत छैक। आर त आर, नेपाल मे मधेश नाम्ना भूगोलक मूल वासिन्दा केँ सेहो भारतीय भगोड़ा केर संज्ञा देल जाइत छैक। नेपाली सेना मे आ सरकारी पद आदि मे ओकरा सभ संग घोर विभेद कयल जाइत छैक। एहि कारण नेपाल मे मधेशी द्वारा कइएक बेर बेमियादी हड़ताल तक कयल गेलैक आर सरकार सेहो समझौता कय केँ बेर-बेर मधेशी जनता केँ धोखा दैत आबि रहलैक अछि।
 
ईहो बात सच छैक जे नेपाल मे कतिपय लोक भारत सँ सेहो अदौकाल सँ आबिकय रोजी-रोटी कमाइत रहल अछि। साविकहु मे नेपालक खोज सँ लैत राज्य संचालन धरि मे भारतहि सँ आयल लोक नेपाल मे शासन तक चलेबाक तथ्य भेटैत छैक। नेपालक काठमांडू उपत्यका भीतर केर नेवार समुदायक राजा संग मैथिलीभाषी समुदायक एतबा मित्रता रहलैक जे ताहि समय राजकाजक भाषा सेहो मैथिली रहल नेपाल मे। एतेक गहींर सम्बन्ध रहितो आखिर आब नेपाली वाहेक दोसर भाषाभाषी प्रति एहेन दुर्भावनाक विकास कियैक भेलैक? कोन तरहक सोच अछि एकर पाछाँ?
 
मात्र १०० वर्ष पहिने केर अवस्था मे देखल जाइत छैक जे व्यापारी, शिक्षक, मजदूर, इंजीनियर, डाक्टर आदि भारत सँ विशेष सुविधा आ सम्मानपूर्वक नागरिकता प्रदान करैत आनल जाइत छल नेपाल मे। ताहि सँ पूर्वहु राणाकालक शासन पर्यन्त मे विद्वान् पंडित व उपयोगी लोक सब केँ ‘विर्ता’ प्रदान कय केँ बसाओल गेल नेपाल मे। तखन कोन एहेन नीति छैक जे नेपाल मे भारत विरोधी वातावरण बनेबाक प्रयास करैत-करैत आब स्थिति एतेक तक बिगैड़ गेलैक जे सीमा पर तारक बार आ एक-दोसरक देश मे प्रवेश पर सेहो अनेकों तरहक वर्जना लगेबाक बात कयल जा रहलैक अछि?
 
विगत कइएक दशक मे भारतीय प्रति नेपालक शासक वर्ग द्वारा कमजोर नजरिया, शंका, घृणा आ अपमानजनक शब्द सभक प्रयोग करबाक स्थिति देखल जाइछ। जखन कि समझौताक भावना कहि रहल छैक जे एक-दोसरक नागरिक प्रति अपनहि नागरिक समान व्यवहार करब। फेर भारत सँ आयल लोक मेहनत-मजदूरी आ जीविकोपार्जन लेल अदौकाल सँ हिमालयक कोरा मे माल-जाल चरबय सँ लैत जड़ी-बुटीक खोज, आध्यात्मिक खोज, आदि लेल अबैत रहलैक अछि। पशुपतिनाथ मन्दिरक प्राचीन गुरु लोकनि जिनकर मूर्ति लागल छैक मन्दिर परिसर मे, ताहि मे ५ गोट महंथ मैथिल छलाह, ई तथ्यक जानकारी अग्रज श्याम शेखर झा सँ भेटल छल। ओ पशुपति विकास क्षेत्र मे कार्यरत पदाधिकारी छथि।
 
जाहि राजा पृथ्वीनारायण साह केर नाम नेपालक एकीकरण लेल स्मरण कयल जाइछ, हुनकर एक पौत्र राजा रणबहादुर साह मैथिल कन्या कान्तावती देवी झा संग विवाह कय हुनकहि सँ प्राप्त पुत्र केँ राजगद्दी देबाक वचन तक निभेलनि। गीर्वाण विक्रम साह मात्र डेढ वर्ष मे गद्दी प्राप्त कय नेपालक राजा बनल छलाह। हिनकहि कार्यकाल मे सुगौली सन्धि सेहो भेल अछि। किछु त कनेक्शन छैक एहि गहींर रहस्यपूर्ण सम्बन्ध मे! लेकिन वीर गोर्खाली पर आत्मसम्मान आ बाकीक अपमान, ई आशंका सँ अपनहि नागरिक व भारतीय प्रवासी केँ देखबाक नीयत आखिर नेपाल केँ कोन गन्तव्य दिश लय जा रहल अछि? एहि सवाल केर जवाब ताकय लेल पाठक पर छोड़ि दैत छी फिलहाल, शेष दोसर लेख मे।
 
हरिः हरः!!