आजुक दिवस घटदान केर परम्परा अछि मिथिला में

मिथिला मे घटदानक विशेष परम्परा

13 अप्रैल 2020 । मैथिली जिन्दाबाद!!

आइ नव विक्रम संवत साल 2077 केर शुभारंभ भेल। राजा विक्रमादित्य केर समय सँ निर्धारित सालक गणना आइ 2077म वर्ष में प्रवेश पाबि गेल अछि। आजुक दिवसक आर कतेको महत्व शास्त्र पुराण में वर्णित अछि। मिथिला में आजुक दिन पाबनि रूप में सतुआ खेबाक विशेष परम्परा अछि।

दहेज मुक्त मिथिला फेसबुक समूह हो या आन, आइ नव वर्षक शुभकामना संग सतुआ सतुआनि पाबनिक शुभकामना प्रशस्त बाँटल जा रहल अछि। व्हाट्सअप व मैसेंजर सेहो शुभकामना संवाद सँ भरल भेटत। मिथिला केर लोक परम्परा में रुचि रखनिहार अजय झा घटदान केर विधान पर फोटो सहित शुभकामना देलनि।

घटदान केर विधान की? अजय झा कहैत छथि, “एकर विधि विधान हम जे जनैत छी, आइ भोरे मैथिलानी लोकनि घर-आङ्गन के गोबर सँ नीपि स्नान कऽ के एकटा नव घैल में पानि भैर उपर में सरबा सँ झाँपि सरबा में साउत, चीनी आ आमक टिकुला राइख दान करैत छथिन्ह आ तुलसी चौरा में पुरुष पैनसल्ला टाँगैत छथिन्ह आ दान कैल वस्तु पुरहीत वा कोनो भगिनमान के दऽ दैत छथिन्ह दक्षिणाक संग।”

आजुक दिवस आर कि सब विशेष होइछ? अजय झा बतेलनि, “सर्वप्रथम सब गोटे नहा कऽ साउत पीबैत वा खाइत छथि तखन दैलपूरी, कचरी, बरी आओरो जिनका जे जूड़ै छन्हि से बना कऽ दिन में खाइत छथि तखन राइत में बरी जलाओल जैत अछि आ बरी भात सब कियो खाइतो छथि आ खेबा सँ पहिने भोरका लेल राखि लैत छथि । भोर में जूड़शीतल के भोरबे सँ सब मैथिलानी अपना आङ्गनक सब बच्चा सब के माथ पर पाइन सँ जूड़बैत छथिन्ह समस्त घर, आङ्गन, रास्ता, बाड़ी, झाड़ी के पटबै छथिन्ह। फेर नहा कऽ बासि भात आ बरी मिलाकऽ सेमार के संगे पहिले चूल्हि आ सब घरक मोख के पूजै छथिन्ह फेर सबके बासि भात बरी खुआबै छथिन्ह।”

ईहो बुझले होयत जे दोसर दिन थाल पानि केर खेल पुरुष वर्ग खेलाइत छथि। एकरा जुड़ि शीतल कहल जाइत छैक। कलम गाछी में सब गाछ वृक्ष केँ पटेबाक संग पितर लोकनिक सारा पर सेहो पूरे एक मास धरि जलक शीतल बूंद खसय ताहि लेल डाबा में छोटे टा भुर कय कुशक सहारा दैत सन्तान सब नित्य जल चढाबय से व्यवस्था कयल जाइछ। पर्यावरण, पितर आ परिजनक संयुक्त पाबनि में पोखरि आदिक उराही कयल जेबाक कय गोट महत्वपूर्ण परम्परा मिथिला लोकजीवन में रहल जे एतुका समृद्ध सभ्यता केर परिचायक थिक।