दिल्ली मे दंगा – पूर्ण मीमांसा भाग १

दिल्ली मे दंगाक जड़ि की?
 
स्पष्टे अछि जे महीनों सँ भारत मे पास कयल गेल एक नया कानून “नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए)” केर विरोध मे एकटा धर्म विशेष केर समुदाय सहित आरो किछु निश्चित दायराक लोक-समुदाय द्वारा विरोध कयल जा रहल अछि। समूचा भारत मे एहि कानून केर विरोध या समर्थन मे कानून केर समझ कम, बल्कि शंका-आशंका आ धार्मिक उन्मादी समझ बेसी काज कय रहल देखाइत अछि।
 
४ दिसम्बर २०१९ केँ नवगठित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार केर कैबिनेट द्वारा सीटिजनशिप (अमेन्डमेन्ट) बिल, २०१९ केर अनुमोदन करैत ९ दिसम्बर २०१९ केँ भारतक संसद मे गृहमंत्री अमित शाह द्वारा सीएबी – प्रस्तुत भेल, १० दिसम्बर २०१९ केँ समर्थन मे ३११ आ विरोध मे ८० मत मात्र भेलाक कारण बहुमत सँ पास भेल। तहिना १० दिसम्बर २०१९ केँ राज्यसभा मे उपरोक्त बिल प्रस्तुत भेल आर ११ दिसम्बर २०१९ केँ १२५ मत समर्थन व १०५ मत विपक्ष मे पड़ल, ओतहु बहुमत सँ ई बिल पास भेल। राजनीतिक दल केर हिसाब सँ देखल जाय त समर्थन मे भारतीय जनता पार्टी, जनता दल युनाइटेड, एआईएडीएमके, बीजू जनता दल, टीडीपी, तथा वाईएसआर कांग्रेस पार्टी छल।
 
संछेप मे ई कानून (सीएए) छी की?
 
पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश सँ मुसलमान वाहेक अन्य अल्पसंख्यक जे ३१ दिसम्बर २०१४ तक भारतीय क्षेत्र मे आबि चुकल अछि तेकरा भारतक नागरिकता प्रदान करयवला बात मूल नागरिकता कानून मे ‘संशोधन’ थिक।
 
एकर दूरगामी प्रभाव कि छैक?
 
ईस्लामक नाम पर बनल पड़ोसी मुलुक पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश मे हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई व पारसी – एहि ६ धर्मक लोक केँ बेर-बेर धर्मान्तरण, जबरदस्ती अन्तर्धार्मिक विवाह व अन्य प्रताड़णा देल जेबाक कारण भारत मे ई बहस १९४७ ई. (स्वतंत्रता वर्ष) सँ चलैत आबि रहल अछि जे ओहि अल्पसंख्यक केँ भारत मे स्थान-सम्मान आ इज्जत सँ जीवन जीबाक अधिकार देल जाय।
 
संगहि भारतीय जनता पार्टी जे हिन्दू धर्मक संग भारतक मौलिक राष्ट्रवादक नाम पर सत्तारोहण कयलक अछि, ओकर नीति अनुसार भारत सँ घुसपैठिया बांग्लादेशी नागरिक वा अन्य गैर हिन्दू धर्मक लोक केँ बाहर निकालबाक रहलैक अछि। भारत मे एहेन लाखों घुसपैठियाक चिह्नित कयल गेल छैक। एहि कानून केर कारण गैर-मुस्लिम घुसपैठिया भारतक नागरिक बनि सकत, जखन कि मुस्लिम घुसपैठिया केँ भारत सँ बाहर कयल जेबाक रस्ता खुजि जायत।
 
झगड़ाक मूल कारण
 
कानून मे गैर-मुस्लिम लेल मात्र सहुलियत देल जेबाक प्रावधानक कारण भारतक करोड़ों मुसलमान केँ अपना संग ‘विभेद’ भेल अनुभव भऽ रहल छैक। हालांकि एहि सँ भारत मे रहनिहार मूल भारतीय मुसलमान केँ कोनो प्रभाव नहि पड़तैक, लेकिन घुसपैठिया मुसलमान पर पड़यवला प्रभाव सँ विचलित भऽ एहि कानून केँ विभेदकारी कहिकय विरोध कय रहलैक अछि।
 
संगहि ओ घुसपैठिया मुसलमान जाहि राजनीतिक दलक वोट बैंक बनिकय सत्तारोहण मे सहयोगी सिद्ध भऽ रहल छैक, ताहि दल द्वारा जानि-बुझिकय वर्तमान भारत सरकार आ एकर नीति केर विरोध मे राजनीतिक माहौल ठाढ कयल गेलैक अछि।
 
तहिना असम आ पूर्वोत्तर राज्य मे घुसपैठिया मध्य हिन्दू व गैर-मुसलमान धर्मक करीब १२ लाख लोक एनआरसी प्रक्रिया द्वारा चिह्नित भेल स्थिति मे ओकरा सब केँ भारतीयता सहजहि प्रदान कयल जेबाक विन्दु पर सेहो भारतक मुसलमान व मुस्लिम तुष्टिकरण करैत आबि रहल राजनीतिक दल केर विरोध छैक। एहि कानून केर विरोध पूर्वोत्तर राज्य मे एहि तरहक आशंकाक कारण देखल जा रहलैक अछि जे आसाम सहित पूर्वोत्तर राज्यक मूलवासी आ मौलिकता पर एहि कानून केर खराब असर पड़तैक।
 
कानूनक अनिवार्यताक पृष्ठभूमि
 
१९४७ ई. मे भारतक स्वतंत्रता प्राप्तिक समय विभाजनक दंश झेलय पड़ल। धर्मक आधार पर पाकिस्तान भारत केँ तोड़िकय बनायल गेल। पाकिस्तान ताहि समय पश्चिमी आ पूर्वी पाकिस्तानक (आजुक बांग्लादेश) केर रूप मे ‘ईस्लाम धर्म’ केर नाम पर बनल छल। एहि कारण भारतक कतेको मुसलमान पाकिस्तान गेल, आर पाकिस्तानक भूगोल मे रहनिहार कतेको हिन्दू व अन्य धर्मक लोक भारत आबि गेल। संगहि कतेको गैर-मुस्लिम ओहि क्षेत्र सँ विस्थापित नहि भऽ सकल, ओ सब अपन मूल स्थानहि मे छूटि गेल जे कालान्तर मे प्रताड़ित होइत विस्थापित होयबाक लेल बाध्य सेहो भेल अछि।
 
एम्हर मूल भारत मे एतुका प्रभावशाली राजनीतिक दल – शासनक जिम्मेवार राजनीतिक समूह भारतीय कांग्रेस द्वारा भारत केँ हरेक धर्म लेल समान कहि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र केर रूप मे संघीय संविधान निर्माण कयल गेल। एहि कारण भारत मे छुटल ईस्लाम धर्मावलम्बी केँ कोनो तरहक दिक्कत नहि हो, संगहि धर्मक नाम पर राजनीति सँ बचैत मानवता आ विकास लेल देश आगू बढत ई सपना देखल गेल। परञ्च ताहि समय मे सेहो आ तदोपरान्त विभाजनक घाव कएक बेर ताजा होइत चलि गेल आर एकर जहर हिन्दू-मुस्लिम रायट केर रूप मे लाखों निर्दोषक जान पर आफद बनिकय घातक सिद्ध भऽ चुकल अछि।
 
भारतीय राजनीति मे धर्मक नाम पर विभाजन लेल कयल गेल आन्दोलन – जेकरा ‘जिन्ना वाली आजादी’ केर संज्ञा देल जाइत छैक, तेकर विरोध मे १९२५ ई. सँ भारतीय कांग्रेसक नीतिक विरुद्ध ठाढ भेल भारतीय राष्ट्रवादक झंडा उठेनिहार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राजनीतिक तौर पर पूर्व मे ठाढ जनसंघ जे वर्तमान मे भारतीय जनता पार्टी बनि शासनक डोर सम्हारि रहल अछि, एकर नीति मे रहलैक अछि जे छद्म धर्मनिरपेक्षता केर चोला सँ भारत केँ स्वतंत्रता दियेनाय आवश्यक छैक। ओ सब ‘हिन्दूत्व’ केर एजेन्डा एतय लागू करय चाहैत अछि। आर निश्चित धर्महि केर नाम पर विभाजित भूगोल सँ हिन्दू सहित अन्य गैर-ईस्लामिक जनता केँ पर्यन्त संरक्षण देबय लेल उद्यत अछि। अतः ओकर संवैधानिक सरकार द्वारा संवैधानिक तौर-तरीका सँ सीएए लागू कयल गेल अछि।
 
विरोध मे शाहीनबाग मोडेल केर राजनीति
 
क्रमशः….
 
हरिः हरः!!