दिल्ली विश्वविद्यालय मे मैथिलीक पढौनी – मैथिली आन्दोलनक प्रखरता सँ सफलताक दिशा मे यात्रा

#दिविविमे_मैथिलीक_पढौनी
 
हैश टैग दिल्ली विश्वविद्यालय मे मैथिलीक पढौनी – हैश टैग आन्दोलनक नव वर्सन मे मैथिली लेल आवाज बुलन्द कयलनि अछि मैथिली-मिथिलाक लेल समर्पित अभियानी संजीव मिथिलाकिङ्कर अर्थात् संजीव सिन्हा जी। पिछला प्रयास मे १८ सितम्बर ओ दिल्ली विश्वविद्यालय मे भाषाक पढौनी लेल विद्यमान व्यवस्थाक फोटो-शौट संग अपन अपन प्रथम आह्वान निम्न रूप मे कएने छथिः
 
#दिविविमे_मैथिलीकपढ़ौनी – 1
 
दिल्लीमे 25 लाख मैथिल रहैत छथि, मुदा दिल्ली विश्वविद्यालयमे जाहि 14टा भारतीय भाषाक पढ़ाइ भए रहल छैक, ओहिमे मैथिली शामिल नहि अछि। दिल्लीमे प्रत्येक मास 10टा मिथिला-मैथिलीसं संबंधित कार्यक्रम होइछ, मुदा दिल्ली विश्वविद्यालयमे मैथिली पढ़ौनीक लेल प्रयास नहि भए रहल अछि। एहि दिशामे सभ संगठनकें सक्रियतासं अभियान चलेबाक चाही।
 
पहिल बेर जखन दिल्ली सँ कोनो घोषणा कयल जाइत अछि त हमरो एना लगैत अछि जे जरूर फेर कोनो नवका ‘श्रेय-लूटबाक-उपक्रम’ केर रचना भेल अछि। हलांकि, संजीव जी एक गम्भीर प्रकृतिक अभियन्ता रहबाक संग-संग अपन वैचारिक प्रतिबद्धताक लेल जानल जायवला व्यक्ति द्वारा ई पोस्ट निश्चित महत्वपूर्ण अछि से बुझितो हम हल्लूक प्रतिक्रिया मजाकिया मूड देलः
 
हमः बहुत बड़का बात कहलियैक….! एहि अभियान चलेला सँ खरखाँही लूटय लेल मौका भेटतैक त हम आबि रहल छी नवम्बर मे!!
 
संजीव मिथिलाकिङ्करः प्रवीण जी, आउ, आउ। श्रीगणेश तं अहीं सं होइ छै।
 
हमः संजीव जी! हाहाहा, ईश्वर करथि, कम सँ कम ओतबो त हो! श्रीगणेश भेलाक बाद हमर काजे कोन! ओतय २५ गो अछिये, २ गो आरो बनि जायत।
 
संजीव मिथिलाकिङ्करः प्रवीण जी, श्रेय केओ लूटय, काज हएबाक चाही।
 
हमः संजीव मिथिलाकिङ्कर जी, निश्चित। एहि लेल काल्हिये सऽ काज आरम्भ कय दैत छी। नीक ध्यानाकर्षण लेल आभार।
 
संजीव मिथिलाकिङ्करः प्रवीण जी, दिविवि मे आसानी सं मैथिलीक पढ़ाइ भए सकैत अछि। दिल्ली मे बहुत रास गैर मैथिल छात्र सेहो मैथिली सं यूपीएससीक परीक्षा दैत छथि। दिल्ली मे मैथिल छात्रक संख्या सेहो लाखो मे अछि।
 
रामकुमार सिंहः साधुवाद संजीव जी। दिल्ली में रहनिहार जिनका मैथिलीक प्रति लगाव छन्हि, एकजूट भ’ प्रयास करथि त’ सफलता भेटवे करतन्हि।
 
हमः बिल्कुल संजीव जी। २-३ दिनक भीतरे मे बतबैत छी।
 
अखिल भारतीय मिथिला संघः प्रिय संजीव जी, अपनेक बात बिल्कुल सही अछि जे सब गोटय सब संस्था मिल कय प्रयास करबाक चाही हमरा खयाल सं एहि लेल अहाँ अकेले काफी छी। कारण अहाँ के सरकार अछि आ सब मंत्री सं अहाँ के निकट समबन्ध अछि। अपने ई काज करबाक चेष्टा करी आ यश के भागी बनी। आशा अछि एहि बिषय पर गम्भीरता सं बिचार करबैक। ओना अखिल भारतीय मिथिला संघ अहाँ संग कंधा सं कंधा मिला क एहि बिषय पर ठाढ रहत। जय मिथिला जय मैथिली, विजय चन्द्र झा
 
संजीव मिथिलाकिङ्करः अखिल भारतीय मिथिला संघ जी, विजयजी, प्रणाम!
 
आर, तदोपरान्त ई चर्चा मे सहभागी बनि गेलाह पूरे भारतवर्षक समस्त मैथिली भाषाप्रेमीक संग मिथिलाप्रेमी सज्जन लोकनि। कियो-कियो मेक्चोबाज सब सेहो एलाह। मेक्चोबाजी वला तर्क संग हमरा ढुइस लड़य के खराब आदति अछि, किछु लड़बो कयल। काफी रोचक बनि गेल छल ई थ्रेड। ततबा मे सोचल जे मेक्चोबाज सब केँ पहिने कर्मठ काज सँ परिचय करायल जाय। ताहि दिन, तखनहि एकटा ईमेल पठायल आर तेकर एकटा प्रति संजीव जीक वाल पर कमेन्ट मे दय देल जे ई सब जिरह त होइते रहत अपना सब केँ आपसे मे, लिखलहबा भाग मुताबिक, मुदा एहि बीच सब कियो व्यक्तिगत, संस्थागत – जेना संभव हुअय, दिल्ली विश्वविद्यालयक वाइस चांसलर केँ पत्र सेहो लिखू। हम एना लिखलः
 
To:
Professor Yogesh K. Tyagi
Vice Chancellor,
Delhi University.
 
Sir,
 
Maithili is a recognized language included in 8th Schedule of the Indian Constitution. Thousands of Maithili speaking students reach to different colleges under DU for their UG, PG and other courses. Also locally Maithili speaking peoples reside in Delhi in very large number crossing 3 Million in 2011. This is an ancient and rich language equipped with syllabus for higher studies as an optional language. Due to migration of millions of Maithili people both from Bihar and that of Nepal to Delhi and suburbs, this is being an endangered language today. In such situation, if DU provides the option for studying Maithili as Indian Language, it would really give benefit to students and also help in protecting an ancient language of India. Please consider this request and do the needful to start education of Maithili in DU.
 
Regards,
 
Pravin Narayan Choudhary
Language Activist for Maithili
Camp: Biratnagar, Nepal.
 
उपरोक्त पत्र अनुसार अपनहुँ लोकनि दिल्ली विश्वविद्यालयक वाईस चांसलर, प्रो-वाईस चांसलर एवं अन्य सम्बन्धित सरोकार रखनिहार केँ लिखि सकैत छी। हिनका लोकनिक आईडी छन्हिः [email protected] & [email protected].
 
श्री संजीव जी केँ उत्साहवर्धन भेलनि। जतय अपन उत्साह आ ऊर्जा सही लगैत अछि, ओतय ईश्वर आ प्रकृति सेहो सब किछु सहयोग मे स्थापित कय दैत अछि। ओ ऐगला दिन एहि सम्बन्ध मे पुनः दोसर अपडेट देलनि जे कतेक उत्साहवर्धक अछि से देखूः
 
१९ सितम्बर २०१९ – संजीव मिथिलाकिङ्कर जी अपन वाल परः
 
#दिविविमे_मैथिलीकपढ़ौनी – 2
 
संयोग जे आइ भोरे-भोर एकटा महत्वपूर्ण कार्यक्रममे दिल्ली विश्वविद्यालयक भारतीय भाषा विभागक प्रफेसर @ravi tekchandani जीसँ भेंट भए गेल। हुनका हम दिविविमे मैथिलीक पढ़ौनी संबंधमे कहलौं।
 
रविजी कहलाह, “कतेक बेर हम मैथिलीक बुद्धिजीवीसँ आग्रह कए चुकल छी। अहाँ सभ मिथिला-मैथिलीक किछु प्रमुख संस्था तरफसँ दिल्ली विश्वविद्यालयक उपकुलपति आ यूजीसीक चेयरमैनकेँ ज्ञापन सौंपू।”
 
सिंध (आब पाकिस्तान)क मूल निवासी रविजी आगू कहलाह, “एहि काज लेल हम तत्पर अहू लेल रहब जे हमर माँ मिथिलानी छथि।” ओ कहलाह जे जखन हम सिंधी संस्थानक निदेशक छलहुँ तँ “मैथिली आ सिंधी” विषयपर दू बेर कार्यक्रम सेहो आयोजित कएलहुँ।
 
टेकचंदानीजी अपन मातृक मधुबनीक दृश्यकेँ मोन पाड़ैत मैथिलीमे कहलाह, “अहाँ आगू बढ़ू, हम सहयोग करब।”
 
एहि तरहें हैश-टैग मूवमेन्ट आब पूरा रंग पकड़ि लेलक। एतेक बेसी जे दिल्ली, पटना, मधुबनी, दरभंगा, आदि सँ संस्था आ व्यक्ति सब दिल्ली विश्वविद्यालय केँ पत्राचार आ ज्ञापन मैथिलीक पढौनी लेल शुरू कय देने छल। मेक्चोबाज सब एखनहुँ ‘जाबत-ताबत’ मे अपन तर्क-वितर्क सब दैत मजा लूटि रहल छलाह। कियो-कियो अपन टिटकारी देबाक प्रवृत्ति सेहो देखा रहल छलाह, “अहाँ आगू बढू, हम संग छी।” – ढुइसबाजी सेहो जोर पर छल। मुदा आन्दोलन अपन गति पकड़ि लेलक।
 
#दिविविमे_मैथिलीकपढौनी केर तेसर श्रृंखला मे संजीव सिन्हा जी मैथिली साहित्य संस्थान पटना द्वारा पठायल गेल पत्रक जनतब सार्वजनिक कयलनि, पेपर मे समाचार प्रकाशित जे भेल तेकर कटिंग सेहो शेयर कयलनि।
 
तहिना #दिविविमे_मैथिलीकपढौनी केर चारिम श्रृंखला मे प्रो. राजीव वर्मा जे स्वयं दिल्ली विश्वविद्यालय मे अध्यापक छथि हुनकर लिखल पत्र जाहि मे मैथिलीक पढाई लेल बहुत रास दृष्टिकोण संग विकसित सिलेबस आदिक विवरण सहित देल गेल छल, ईहो एकटा विलक्षण माहौल तैयार केलक। एहि सभक प्रभाव हैश टैग मूवमेन्ट केँ आरो प्रखरता दय रहल छल। फेर पाँचम अपडेट मेअन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद् आ धनाकर ठाकुर जीक हस्ताक्षरित पत्र पठेबाक पत्रक उतार सहित शेयर कयल गेल। तदनोपरान्त राजीव वर्मा जी केर पत्राचार पर आधारित हिन्दुस्तान अखबार मे छपल समाचारक कटिंग – अंग्रेजी आ हिन्दी दुनू मे जे छपल सेहो छठम् अपडेट मे शेयर कयल गेल। तहिना सातम मे चेतना समिति पटनाक ज्ञापन पठेबाक समाचार देल गेल। आठम मे मैथिली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति मधुबनीक ज्ञापन सम्बन्ध मे अपडेट लगायल गेल। ९म अपडेट मे नवारम्भ प्रकाशन – अजित आजाद जी द्वारा पठायल गेल चिट्ठीक अपडेट आयल। १०म अखिल भारतीय मिथिला संघ दिल्लीक ज्ञापन पत्रक चर्चा भेल। ११म मे संस्कृति मिथिला सहरसाक ज्ञापनक चर्चा भेल।
 
आर १२म मे डा. सी. पी. ठाकुर संग मैथिली लेखक संघक महासचिव विनोद कुमार झा सहित मैथिली साहित्य सम्मेलनक अध्यक्ष ओ पदाधिकारी त्रय संजीव जी स्वयं, रामबाबू सिंह एवं शरत झा सब कागज-पत्र-ज्ञापनक प्रति सहित भेंट केलनि। ओत्तहि डा. सी. पी. ठाकुर केर आग्रह पर दिल्ली विश्वविद्यालयक कुलपति प्रो. योगेश के त्यागी संग सेहो ई प्रतिनिधिमंडल भेंट कयलनि। ओ आश्वासन देलखिन सहयोगक, संगहि कहलखिन जे प्राध्यापक लोकनि सँ परामर्श करैत संभाव्य प्रतिवेदन सहित फेरो भेंट करू। पुनः १३म ज्ञापन मैथिली लेखक संघ पटना द्वारा पठेबाक जनतब भेटल। १४म मे मिथिलांगन दिल्लीक ज्ञापनक जिकिर अछि। १५म मे मैथिली साहित्य सम्मेलनक ज्ञापनक चर्चा अछि। माहौल सकारात्मक अछि।
 
एहि बीच एकटा रहस्योद्घाटन ईहो भेल जे मैथिली भोजपुरी अकादमी द्वारा सेहो मैथिलीक पढौनीक सम्बन्ध मे पत्राचार पिछला साल कयल गेल छल दिल्ली विश्वविद्यालय संग। साभार आनन्दजी झा हम ई विवरण देखि पेलहुँ। २६ मार्च आ ५ जून २०१८ केर पत्र बाकायदा दिल्ली विश्वविद्यालयक एकनाउलेजमेन्ट रिसिप्टक मोहर सहित देखल आ पत्रक मजमून पढल जाहि मे मैथिलीक पढौनी लेल अकादमी सेहो अपना स्तर सँ जोरदार अनुरोध कएने अछि विश्वविद्यालय सँ। खाली रजनी-सजनी आ उत्सव-महोत्सवहि टा नहि, बौद्धिक प्रगति लेल सेहो मैथिली-भोजपुरी अकादमीक गम्भीरता तथा एहि मे सक्रिय परामर्शदाता संगहि अगुआ लोकनिक सदाशयता कतेक गहींर आ गम्भीर अछि से ज्ञात भेल।
 
लेकिन सब सँ दुःखक बात एतय एकटा ईहो उठैत अछि जे ‘खरखाँही’ लूटय लेल फोटोबाजी करयवला कय गोट संस्था एखन धरि चुप अछि। आर त आर, जाहि मंच सँ २०१६ मे ई पहिल बेर घोषणा भेल, कौफी होम पर जे मीटिंग कयल गेल आ तदोपरान्त फेसबुक फुकास्टिंग कयल गेल, तेकरा आइ धरि पूरा नहि करयवला किछु तथाकथित अभियानी आखिर चुप्पी कियैक लादि देने छथि? बात खोधला पर पता चलल जे संजीव जी हाल आगू भागि गेलाह, पहिनहुँ ई मुद्दा हुनके द्वारा देल मुद्दा थिकैक, आर आब ओहि संस्था मे ओ पिछला २ बेर सँ अध्यक्ष पदक दावेदारी लोकतांत्रिक मूल्य मुताबिक दैत छथि, तेकरा विजेता अध्यक्ष ‘दुश्मनी’ बुझिकय जानि-बुझिकय अपन पैनल द्वारा रोक लगा देल गेल अछि। पैनल केर एक सिपाही सँ संजीव जी मैथिली लेल आपसी चुनावी प्रतिस्पर्धा छोड़ि आगू काज करबाक आग्रहो कयलखिन, लेकिन तैयो कोनो फर्क नहि पड़ल। ओहि संस्था (जेकर नाम लेब उचित नहि बुझैत छी) द्वारा एखन धरि कोनो तरहक ज्ञापन वा पत्राचार नहि कयल जा सकल अछि। आशा करैत छी जे आइ-न-काल्हि हुनको लोकनि मे ई विचार औतनि जे सिर्फ नाम लेल कार्यक्रम कय फोटो खींचिकय फेसबुक पर चमकेला सँ आगुओ गम्भीर कार्यक लेल प्रयास करय पड़तनि।
 
हरिः हरः!!