एक बात कही

– प्रवीण नारायण चौधरी

एगो बात कही!!

कत्ते केँ थोबड़ा देखू जे टैग करय छी घड़ी-घड़ी
देखल सबटा रंग झूठे जपैत रहै छी हरि-हरि!!

काज बेर लुकान लेब आर घड़ी कते फोटो टांगी
कहलो पर अन्ठेने भला बखानी कि-कि करी-भरी!!

छोड़ू लटका-झटका आ तेल चुएनाय चुलबुली
पेट खड़ नै रहत तँ सींग चमक कि जरी-मरी!!

करियौ एगो काज देखाबू हेतै कोना जय मैथिली
दूसि आन मुह चमकाबी मिथिला ब्यथा धरी-पड़ी!!

टुना-मुना सबो मैथिल देखबै छी केकरा टुनकी
घर धरू सड़ू-मरू जे काज करत ओ हरी-भरी!!

हरि: हर:!!