एक कर्मठ सुपुत्री द्वारा कर्मठ पिता प्रति कर्मठ संस्मरणः पठनीय आ मननीय लेख

लेख

– स्नेहा प्रकाश ठाकुर

हमर पिता : एक प्रेरणा

पिता त हर बच्चा लेल बरगदक छाहरि समान होइत छथि, लेकिन हमर पिता त सब सँ खास छथि । कियाक त ओ सम्पूर्ण समाज लेल बरगदक छाहरि समान अपना केँ सिद्ध कयलनि आर हुनका प्रति लोक-आस्था सेहो एहि तरहक स्थापित भेल अछि । ओ अपन पूरा जीवन समाजक हरेक वर्ग केँ शिक्षित करय मे लगा देलथि । और वर्तमान मे स्वयं बीमार रहितो हमरा सभक अथक आग्रह और जिद्द केर बादो आराम करय लेल तैयार नहि छथि, अनवरत अपन समय सक्रिय रूप सँ अपन पेशा केँ दैत आबि रहला अछि ।

हमर पिता श्री अनिल कुमार ठाकुर – ग्रामः अकौर, मधुबनी सँ एकटा एहेन मशाल छथि जे अपन सम्पूर्ण जीवन दोसरक जीवन केँ ईजोत करय लेल प्रदीप्त रहलाह । हुनकर प्रारम्भिक शिक्षा बनारस मे भेलनि । स्नातक और उत्तर-स्नातक पटना विश्वविद्यालय सँ कयलाक बाद राँची विश्वविद्यालय सँ शोधकार्य (पीएचडी) पूरा कय ए एन सिन्हा इंस्टीच्युट मे सेवादान आरम्भ कयलनि। ताहि समय विधाता हुनक जीवन संग बहुत पैघ क्रूरता कयलनि जे हुनक माथ सँ पिताक छत्रछाया छीनि लेलनि । नव-नव विवाह भेले छलन्हि से अपन नव कनियाँ, दुःखी माता और छोट दू टा भाइ, ओ केनाहू कय केँ नौकरी और गाम केर बीच सामंजस्य बनेबाक प्रयास कयलनि । मुदा एक बेटाक पिता बनलाक बाद हुनकर जिम्मेदारी आरो बढ़ि गेलनि ।

एक दिन ओ दृढ आ मजबूत संकल्प लैत नौकरी सँ त्याग पत्र दय अपन गाम वापस आबि गेलाह । फेर शुरु भेल हुनकर जीवनक असीम संघर्ष केर कठोर कालक्रम । खेती करबाक बिना कोनो अनुभव ओ जहिना-तहिना पिताक छोड़ल समस्त जिम्मेवारी केँ बखूबी सम्हारबाक कार्य करय लगलाह । गामहि मे व्यवसाय जमेबाक कोशीस केलनि मुदा कम पूँजीक कारण असफल रहलाह । हमर माय (मम्मी) हर परिस्थिति मे हुनका सम्हारबाक हिसाब सँ संग देलखिन । जखन कि मम्मीक जीवन सेहो शहरी परिवेश मे बीतल रहनि, लेकिन गामहु केर जीवन परिस्थिति अनुसार ओ अपनेलीह – उद्देश्य एकमात्र ई रहय जे परिवार सम्हारबाक अछि ।

हमर मम्मी आ पिताजी दुनू केँ एक्के टा चिन्ता काफी परेशान कएने रहनि जे बच्चा सब पढत कतय ? ता धरि हमर बहिन केर जन्म सेहो भऽ गेल रहनि । दुनू भाइ और बहिन बगलक गाम मे जाय लगली पढ़बाक लेल । मुदा बहुत ज्यादा परेशानी होइत छलन्हि । हमर और हमर पितियौतक जन्म भेलाक बाद ओ निश्चय केला जे आब अपनहि गाम मे विद्यालय खोलब । गामक लोक सब सेहो आग्रह केलखिन और ओ स्कूल खोलि लेलखिन । बहुतो तरहक आर्थिक, मानसिक और शारीरिक मेहनत केर बाद स्कूल चलि पड़लनि । ताहि दिन सँ आइ धरि ओ स्कूल चला रहल छथि । हुनकर स्कूल केर पढायल स्टूडेंट आइ देश-विदेश मे प्रतिष्ठित पद पर आसीन अछि । डॉक्टर, इंजीनियर, और हर तरह केर प्रोफेशन मे लागल अछि । लेकिन एखनहुँ पुछला पर ईहे कहत जे सर नहि रहितथि त हम आइ किछु नहि रहितहुँ ।

एक निजी विद्यालयक संचालक रहितो हमर पिता मे सभक लेल शिक्षा केर सोच अनुरूप दया-दान केर भाव सेहो भरल छलन्हि । कतेको स्टूडेंट केर फ़ी माफ केने हेता तेकर एत्ता नहि । जे आबि ई कहि देलक जे हमरा पढ़बाक मोन अछि मुदा पाइ नहि अछि, बस तेकर फीस माफ कय देल करथि । मिथिलाक दलित समुदाय आर ताहू मे विशेष रूप सँ मुशहर जातिक लोक सँ हुनका बहुत विशेष लगाव रहनि । छात्र जीवन मे हुनकर शोध केर विषय सेहो मुशहर समुदाय केर जीवन रहनि । शिक्षा त हेबाके चाही सब केँ, अपन विशाल हृदय सँ ओ कतेको पिछड़ा आ विपन्न वर्ग-समुदायक बेटीक विवाह सेहो करौने करेने हेता तेकर एत्ता नहि, कतेको केँ पढ़ेने हेता से त अपनो हिसाब नहि हेतनि ।

बाद मे हमर पिता एकटा कालेज मे समाजशास्त्र केर प्रोफेसर सेहो नियुक्त कयल गेलाह । हमरा सभक पढ़ाई लेल कहियो कनिको कोनो तरहक कमी नहि रखलाह । हुनकर संघर्ष हमरा सबकेँ सतत प्रेरणा दैत अछि । कोनो परिस्थिति मे हारि नहि मानबाक ताकत हुनकहि सँ भेटल अछि ।

अपन गाम और आसपास केर अनेकों गाम केर लोकक वास्ते अनौपचारिक पंचायत छन्हि हुनकर ऑफ़िस । सब केँ हरेक समस्याक समाधान अछि हुनका लग । गरीबक बच्चाक पढाई लेल लड़का आ लड़की मे बिना कोनो भेदभाव के, गरीबक लड़कीक बिना दहेज केर बियाह करबेनाय, समाजसेवाक तौर पर ई सब हिनकर मुख्य काज थिकन्हि । अपन स्कूल द्वारा हजारों केँ साक्षर बनेलनि और कतेको केँ रोजगार सेहो देने छथि । गर्व अछि हमरा एहन पिता केर पुत्री होबय पर ।