हमर मिथिला धाम – मिथिला वर्णन ‘एक गीति रचना’

लेख

– ममता झा

हमर मिथिला आइयो अपन भाषा, वेश-भूषा, अतिथि-सत्कार, सभ्यता-संस्कृति के लेल प्रसिद्ध अय। एतय वेद-वेदान्तक अध्ययन-अध्यापन, अनुशीलन आ शास्त्रार्थक परम्परा देखैत बनइ य। एतय जनक, याज्ञवल्क्य, उदयन, मण्डन, वाचस्पति, अयाची, शंकर, गोकुलनाथ आदि प्रखर तपस्वी आ मनीषी लोकनिक जन्मभूमि छन्हि।

सुकृत्य-कृत पावन मिथिलाधाम,

सुसंस्कृत सुन्दर श्रेष्ठ महान!

एतय अवतरीत भेली माँ सीता,

राजा जनक महान!

एतहि एला पाहुन पुरुषोत्तम,

राम सदृश भगवान्!

राम चरणरज केर प्रभाव सँ

एतहि अहिल्या धाम!

कवि चन्दा मुन्सी रघुनन्दन,

बद्री बाबू के गाम!

पाग प्रतीक एतय सम्मानक,

माथ पाग मुख पान!

पग-पग पोखरि एतय भेटत आ,

अतिथिक बड़ सम्मान!

अद्भुत सभा लगय सौराठे

एहन न दोसर ठाम!

एतहि जन्म लेल कवि कोकिल

विद्यापति विस्फी गाम!

ओतहि एला चाकर बनि शंकर

विद्यापति के दलान!

ई मिथिला शिथिला नहि होयत,

सब मैथिल गतिमान!

सम्पादकीय नोटः

भूल-सुधार
 
काल्हि प्रकाशित एक रचना जे श्रीमती ममता झा केर नाम सँ प्रकाशित भेल ताहि मे पद्य-रचनाक मूल लेखक श्री तारानन्द दास होयबाक यथार्थ पता लागल अछि। एहि सन्दर्भ मे लेखिका अपन गलती स्वीकार करैत जनतब देलनि जे मूल लेखकक नाम हमरा नहि पता छल, लेकिन वीडियो प्रस्तुति मे ई सुनने रही, नीक लागल छल त सुनिकय लिखि लेने रही। काल्हि अपन लेख केर अंशक रूप मे ओ मैथिली जिन्दाबाद केँ पठेलहुँ। निश्चित रूप सँ ई हमर मौलिक रचना नहि थिक। मूल लेखकक सम्बन्ध मे उचित जानकारी अपन लेख मे लिखि देबाक छल, ई गलती भेल जे नहि लिखल।
 
आशा करैत छी जे एहि स्पष्टीकरण सँ मूल लेखक श्रीताराकान्त बाबू केँ आ हुनक सुपुत्र ज्ञानेन्द्र भास्कर जी केँ जे ई यथार्थ सोझाँ अनलनि, तिनका पहुँचल कष्ट आ असन्तोष केँ संबोधन करतनि। हुनकर इच्छा रहनि जे फेसबुक पर बहुतो जगह प्रकाशित (पोस्टेड) लेख केँ हम मेटा दी – हम ताहि तर्क सँ असहमति जतबैत गलती केँ सुधार लेल ई पोस्ट सब ठाम पोस्ट कय रहल छी। ओहि पोस्ट पर सेहो, जतय हम पहिने पोस्ट केने छी। मैथिली जिन्दाबाद पर सेहो, भूल-सुधार कमेन्ट मे प्रकाशित कय रहल छी।
 
हरिः हरः!!