रेप विरुद्ध कठोर कानून – २ महीनाक भीतर फैसला आ आजीवन काराबास संग मृत्युदंडक सजाय

९ जून २०१९. मैथिली जिन्दाबाद!!

भारत मे राष्ट्रपति द्वारा रेप (बलात्कार) संग अन्य यौन्यजन्य घटना आ हत्या-हिन्साक बढैत घटना देखैत सरकार द्वारा जारी अध्यादेश केँ कानून रूप मे परिणति देबाक स्वीकृति देल जेबाक समाचार पढल। हालहि एक अढाई वर्षक बच्ची केर वीभत्स हत्या आ बलात्कारक आशंका सँ पूरे देश व दुनिया मे एहेन अपराधी प्रति आक्रोश देखल जा रहल अछि।

सम्बन्धित समाचारः https://www.livehindustan.com/national/story-president-ramnath-kovind-promulgates-the-ordinance-to-amend-pocso-act-1917882.html?fbclid=IwAR1-D-lUyirhQjGEi1_5otBZTGQ-40GNcq0JXnTQQMOfPRHmWF6XruPcdEg

अध्यादेश केर अहम प्रावधान 
– बच्ची सँ दुष्कर्म केर मामिलाक सुनवाई लेल विशेष फास्ट ट्रैक अदालत गठित कयल जायत
–  मामिला मे पीड़ितक पक्ष रखबाक लेल राज्य मे विशेष लोक अभियोजक केर नव पद सृजित होयत
– वैज्ञानिक जांच केर लेल सब पुलिस थाना और अस्पताल मे विशेष फॉरेंसिक किट मुहैया करायल जायत
– रेप केर जांच लेल समर्पित पुलिस बल होयत, जे समय सीमा मे जांच कय आरोप पत्र अदालत मे पेश करत
– क्राइम रिकार्ड ब्यूरो यौन अपराधीक डेटा तैयार करत, एकरा राज्य सँ साझा कयल जायत
– पीड़ित केर सहायताक लेल देशक सब जिला मे एकल खिड़की बनाय‍ल जायत।

अपराधी केर कोन धर्म? अपराधी लेल सिर्फ कठोर सजाय आवश्यक

 
यदा-कदा समाज मे एहेन घटना घटि जाइत छैक जे पूरे परिवेश – पूरा माहौल केँ बदतर ढंग सँ प्रभावित कय दैत छैक। एखन जे भारतक अलीगढ मे घटल घटना अछि, एक अढाइ वर्षक बच्चीक वीभत्स हत्या, एहेन वीभत्स जे ओकर स्वरूपक कल्पना मात्र कयला सँ जियैत मनुष्य सिहैर उठैत अछि। आर, हत्यारा रहैत छैक कोनो विशेष धर्म व समुदाय केर त ओकर धर्म-समुदाय पर सेहो सवाल ठाढ होयबाक एकटा नव परिपाटी चलि पड़ल छैक एखन भारत मे। बहुत गम्भीरतापूर्वक विचार करब त देखब जे अपराधी वा आतंकवादी केर कोनो धर्म नहि – लेकिन ओ जखन धर्महि केर आड़ मे अपराध करैत अछि तखन धर्म केर बदनीयत आ बदनामी हेब्बे टा करैत छैक।
 
अपराध मे धर्म केर चर्चा हेबाक एकटा आरो कारण छैक। देशक संविधान रहत धर्मनिरपेक्ष आ व्यवहार मे सब किछु कयल जायत धर्महि केर आड़ मे – सरकार चलेनिहार राजनीतिक दल धर्मक मामिला मे चुप रहत, लेकिन समान नागरिक संहिता केँ लागू करबाक बेर एकटा खास धर्मक अपन सरिया कानून केँ लागू करय बेर मे लचकता देखा देत। देशक ८०% लोकक धर्म प्रति निरपेक्ष रहि धर्म सँ जुड़ल कोनो निर्णय मे सरकार मौनता धारण करत, लेकिन वैह धर्मक मन्दिर-मठ केर लाभ पर सरकार राखत अपन नियंत्रण। देशक निर्माण जाहि बुनियाद (संविधान) पर भेल ताहि मे नीति, सिद्धान्त आ नियति केँ व्यवहार मे उतारबाक समय फर्क देखेनाय हमरा बुझने बड पैघ गलती भेलैक। एक त स्वतंत्रता सँ पहिनहि धर्महि केर नाम पर देशक टुकड़ा करब, पुनः शेष राष्ट्र केँ ‘सर्वधर्म-समभाव’ केर आधार पर आगू बढबाक पैघ संकल्प लेब, तदापि व्यवहार मे ८०% लोकक धार्मिक भावना केँ ठेस पहुँचाबय वला कतेको निर्णय करैत जायब… एहि सँ ओ बुनियाद आ धर्मनिरपेक्षताक सिद्धान्त दुनू अपन महत्व गमा देलक।
 
एक त जरल, ताहि पर सँ नून छींटल! ई कहावत हमर मिथिला मे काफी प्रचलित अछि। एक दिश बुनियाद आ सिद्धान्त दुनू अपन कमजोरी देखा देलक, ८०% लोकक भावना केँ कतहु न कतहु भड़का देलक, ताहि पर सँ किछु लोक आरो वीरता आ मानवता केर पराकाष्ठा पर पहुँचि स्थिति नियंत्रण करबाक बदला आर किछु नम्हर त्याग आ बलिदान वला चेहरा चमकबैत ‘अवार्ड वापसी’ देश मे पसैर रहल ‘असहिष्णुता’ लेल कय रहल छी, संगहि अल्पसंख्यक केर हक-हितक रक्षा लेल कय गोट देखावटी नौटंकी कय रहल छी, कतहु कनीटा घटना घटल ओकरा धर्म संग जोड़िकय अल्पसंख्यक केर अस्तित्व खतरा मे देखि रहबाक स्वांग रचा रहल छी – ओह! ई सब तितम्भा सँ ओहि ८०% लोकक जरला सँ बनल घाव पर नून छींटाइत छैक। एकर प्रतिक्रिया दिन-ब-दिन आर घातक भेल जा रहल अछि। कोनो दिन एकर भयानक विस्फोट होयत आ मानवता रक्तरंजित भऽ जायत, ई तय अछि।
 
कठुआ केर आशिफा संग भेल दुर्व्यवहार होइ, अलीगढ केर ट्विंकल संग भेल दुर्व्यवहार होइ, मिथिलाक नैन्सी संग भेल दुर्व्यवहार होइ, आर अनगिनत एहेन घटना दिनहुं घटि रहल ताहि मे पीडित-पीडिता संग भेल दुर्व्यवहार होइ – ई सबटा अपराधक श्रेणी मे अबैत अछि। आइये हिन्दुस्तान मे पढलहुँ जे भारत सरकार द्वारा एहि लेल कानून केँ आर कड़ा कयल गेल अछि। २ मासक भीतर सजा तय करबाक बात कहल गेल अछि। आजीवन काराबास व मृत्युदंड केर सजा देबाक प्रावधान देल गेल अछि। एहि तरहें दंडक भय सँ कहीं अपराध कम हुअय! एम्हर बाकी लोक मे जे आक्रोश पसारय वला बिना लगामक कपोलकल्पित आ तथ्यहीन व बनावटी समाचार सम्प्रेषित होइत अछि, हमरा बुझने तेकरो सभक लेल सजाक प्रावधान जरूर हो। नहि त अपराधक मात्रा प्रतिशोधात्मक भावनाक विकास संग आर बढि जायत। एहि दिशा मे विधान निर्माता सब केँ सोचनाय बहुत जरूरी अछि। ई अवार्ड वापसी गैंग आ असहिष्णुताक नाटक मे जबरदस्ती हिरोगिरी करनिहार पर सेहो लगाम लगेनाय जरूरी अछि। अपराध मतलब अपराधी, ओकरा लेल दंडक प्रावधान। धर्म केँ जोड़नाय आ राजनीति चमकेनाय, ई बन्द हो।
 
हरिः हरः!!