विमलाक विवाहक बेर

लघुकथा

– रूबी झा

प्रतीकात्मक फोटो – मिथिला परम्परा मे विवाहित महिला द्वारा मधुश्रावणी कथा-श्रवण (फोटोः फाइल)

कहल गेल छै गरीब जन्म लेनाय अभिशाप नहिं परन्तु गरीब भ क मैर गेनाय बहुत बड़ा अभिशाप होइछ। विमला देखैत बहुत सुंदर छलीह, और सातवीं पास सेहो, पढय के आगु मोन बड होइन परंतु आर्थिक स्थिति बहुत खराब रहैन परिवार के, ताहि कारण पढाई बीचे में छोड़य पड़लैन। पिताजी केर थोड़-बहुत खेत-पथार रहैन, एकटा बरद और एकटा गाय रखने रहैथि एवम् प्रकारे गुजारा चलैत रहैन परिवार के। एक दिन विमलाक माय बजली विमलाक बाप सँ, जिनकर घर में बेटी जवान रहत ओ बाप कतौ एना निश्चिंत भ रहत। पत्नि के बात सुनि बजलाह विमला के बाप, जेबी में फूटल कौड़ी नै अछि, वर के दाम मिथिला में आकाश लागल छै, कि करू। अहाँ के होयये ने जे हम निश्चिंत भ सुतल छी। भांग खाय लेल लखन काका के दलान पर जाय छी त एक बेर सब दिन चर्चा करै छी। कैल्हो गेल रहि त गौरी बाबु के कहलयैन ओ एकटा वर देखेबो केला। लेकिन ओकर मांग छै ५० हजार और तहन साइकिल घड़ी सेहो। हम कतय सँ एते आनब, अगर खेत बेच दीयै त और बाल-बच्चा सब के आ अपना सब के पेट कोना चलत। विमला के माय बजली, अपन बेटी पढलो अछि और देखितो साक्षात् दुर्गा माँ के अवतार, जाव न, कहीं बिना दहेजे भ जाय कथा। प्रात भेने गौरी बाबु के संग क विमला के बाप चलला वरक गाम दिश। वरक बाप कहलखिन हमर बेटा देखितो सुंदर अछि और १२पास सेहो अछि, माथ पर २ बीघा जमीन सेहो पड़तै, आगु-पाछु कुनू झंझट नैह। हम कर-कन्यादान क क चेन छी। नै ५० त ४५ हजार दिय तखने कुनू बात आगु बढत। अहाँ के बेटी सुंदर और शिक्षित छैथि तहि द्वारे कमें पाय में क रहल छी। ओत स विमला के बाप आमक चोकर जेना मुंह केने विदा भ गेला। रस्ता में दुनू गोटे बहुत तरह के बात करैति आबैत रहैथि। गौरी बाबु बजलाह – हौ बौआ, कने अहि पीपर तर सुसता लेब। विमला के बाप कहलखिन हाँ गौरी बाबु, रुकि जाउ कने देर, रौद सेहो बहुत तेज छै। दुनु गोटे गमछा बिछा ओतहि पैड़ रहला। ताबैत ओहि गाम के एकटा व्यक्ति एलखिन और परिचय-पात पुछैत कहलखिन कतय गेल छलहुँ अपने सभ? कि कुनु काज स की? सब बात दुनु गोटे बतौलखिन । ओ व्यक्ति बजला हमरा गाम में एकटा वर छैथि उमर बेसि नै ६५ साल छैन ४ टा बेटी छलैन, सबके विवाह-दान भ गेल छैन। ३ मास भ गेलैन पत्नी के निधन भेला। विचार हुए त चलु, गौरी बाबु कहलखिन बौआ चल न देखने आबै छी। विमला के बाप बहुत किछु सोचैत चलि देला वर के दलान दिश,और विमला के विवाह ठीक केने आबि गेला। घर आबि पत्नी के सब बात बतेला। विमला के माय माथ-कपार पीटय लगलीह, कहली एक बेर पूछि त लैतौं। विमला के बाप बजला कर-कन्यादान में मौगी-मुरैर के पूछय के कुन काज। विमला निरीह प्राणी जेकाँ चुप-चाप सबटा सुनैत रहली, और किछु नै बजली, कियैक त पैहने के जबाना में बेटी मुंह नै बाजै छलैया। रैत में माय विमला के भोजन में जहर और अपनों जहर खा सूति रहली। जहिना गरीब जनमलि तहिना गरीब भ मरि गेली।