आउ भेटैत छी अपन भाषा-साहित्यक युवा सर्जक मिथिलेश राय संग

विशिष्ट व्यक्तित्व परिचयः युवा कवि गीतकार मिथिलेश राय

कोनो भाषाभाषी समुदाय लेल ओकर समृद्धिक मूल परिचायक होइत छैक साहित्य आर साहित्यक शक्ति होइत छैक साहित्यिक रचना। मिथिला अत्यन्त प्राचीनकाल सँ भाषा-साहित्य ओ सृजनकर्म मे प्रगतिशील देखाइत अछि। युग-युगान्तर सँ जीवित एहि मिथिला सभ्यता मे विद्या-वैभव केँ मूल सम्पत्ति मानल जाइत रहल अछि, तथा विद्वान् सृजनकर्मी केर नाम बड़ा आदर सँ लेल जाइत अछि। हालांकि मैथिली भाषा कोनो राज्यक भाषाक रूप मे लम्बा अवधि सँ वंचित रहि गेल अछि, लेकिन स्वतःस्फुर्त भाव सँ कइएक सृजनकर्मी अपन मातृभाषा मे शब्द-शिल्पी बनिकय अपना संग-संग अपन भाषाक संवर्धन-प्रवर्धन करैत आबि रहल छथि। एहि क्रम मे एक गोट युवा कवि आ गीतकार केर नाम सोझाँ आयल अछि, ओ थिकाह मिथिलेश राय।

नाम मिथिलेश राय, शिक्षा स्नातक, पिता स्व. रामेश्वर राय, ग्राम पोस्ट धमौरा, थाना बाबू बरही, जिला मधुबनी, बिहार-८४७२२४ । मिथिलाक केन्द्रीय स्थल – मधुबनी जिला अनतर्गत बाबू बरही प्रखण्ड केर धमौरा गाम केर एक टा मध्यम वर्गीय परिवार मे हिनक जन्म भेलनि। पिताजी कोलकाता मे हिन्दुस्तान लिवर लिमिटेड मे कार्यरत छलखिन। पाँच भाई बहिन मे जेठ तीन बहिन आर ताहि सँ छोट दुइ भाइ मे जेठ भाइ ई छथि। सम्प्रति नोएडा मे एकटा निर्माण व्यवसायक कंपनी मे स्टोर इन्चार्ज केर पद पर कार्यरत छथि। अपन खाली समय केँ सदैव साहित्यिक सेवा मे उपयोग करैत छथि। अपन मातृभूमि सँ दूर रहितो मिथिलाक मिठास आ स्वच्छ जीवनचर्या केँ बेसी मोन पाड़ैत एकर महिमामंडन करैत शब्द सब नोटबूक मे उकेरैत रहैत छथि। कविता आ गीत लेखन हिनकर रचनाधर्मिताक प्रथम रुचि छन्हि। हाल धरि हिनकर लिखल पाँच गोट गीत रेकर्डिंग आ रिलीज़  सेहो भेल छन्हि।

हिनकर रचना जेकर रेकर्डिंग भेल अछि ताहि मे १• खोलू नें माँ केवाड़ी ( भगवती गीत), २• उग उग हो सुरज देव ( छठ गीत), ३• रूप अछि बेजोड़ ( श्रृंगार गीत), ४• आजु बेटी हेती आन सिन्दूर लए के (विवाह गीत), ५• कन्यादान बेटी बिदाई (विवाह गीत), ६• अम्बे गहै छी शरण तोहर ( भगवती गीत) आर ७• हे गजानन गौरी के नन्दन ( गणेश वन्दना) प्रमुख छन्हि।

बहुत रास कविता मैथिली आ हिन्दी मे सेहो लिखने छथि मुदा एखन धरि कतहु सँ प्रकाशित नहि हेबाक बात कहैत छथि। मिथिलेश राय। ई पुछला पर कि अहाँक रुचि साहित्यक सेवा मे कोना आ कहिया सँ भेल ताहि पर कहला जे मोनक इच्छा त छलए डाक्टर आ नहि त इंजीनियर बनी, मुदा घरक जेठ बेटा होयबाक कारण पारिवारिक जिम्मेदारी बड्ड जल्दी हमर माथ पर आबि गेल आर किछु आर्थिक दिक्कत सेहो भ’ गेल छल ताहि सँ बेसी पढ़ि नहि सकलहुँ, कष्ट सेहो बड्ड कटने छी – आर जीवनक इच्छा आ परिस्थिति बीच अपन मोनक अन्तर्संघर्ष केँ सान्त्वना देबाक क्रम मे साहित्य सुधा रसपान करबाक एक गोट कृपा भेटि गेल सैह बुझू…….। अपन मोनक भाव केँ कविता-गीतक साँचा मे शब्द सजेनाय एहि तरहें शुरू भेल। आगाँ अपन रचना सब केँ समेटिकय पोथीक रूप मे प्रकाशित करेबाक सदिच्छा संग हिनका समान युवा सर्जक केँ मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ बहुत रास शुभकामना अछि।

आउ, हिनकर किछु रचना पर नजरि दीः

१. !! मरणोपरांत !!

मरणोपरांतोँ हम ओहिना इ मुस्की छोरी जायब,
जाधरि जियब किछु काज एहन कय जायब !
अंहाँ सभहक ठोड़ पर,
हम अपन गीत,कविता,ग़ज़ल छोरी जायब !

शब्दें-शब्द में किछु बात एहन कहि जायब,
अंहाँ सभहक बिच विश्वास छोरी जायब !
िमथिलेश’क नाम सँ धमौरा’क पहिचान होय,
बच्चा-बच्चा के ठोड़ पर इ नाम छोरी जायब !

गाम होय या शहर होय,
कतौ नहि कतौ तँ इ पहिचान छोरी जायब !
अंहाँ सभहक नयन में,
हम अपन हँसैत इ छाप छोरी जायब !

अंहाँ सभहक बिच सिनेह’क गाँठ बान्हि जायब,
संगी तुरिया’क बिच प्रेम अगाद्ध छोरी जायब !
हम जनैत छी जे हम अमर नही,
मुदा मिथिलेश नाम अमर छोरी जायब !

© ✍..मिथिलेश राय
धमौरा:-२९-०३-२०१९

२. जो रै जिनगी !!

जो रै जिनगी,
तोँ बड्ड किछु सिखौलएँ ”
किछु आन सँ त’
किछु अपन सँ पहिचान करौलएँ !
बिना किछु लेने किछु नहि देलएँ,
अज्ञानी छलौँ मुदा ज्ञान तोँही देलएँ

किनक्हो जिनगी में रंग तोँ भरलएँ,
आ किनक्हो जिनगी बेरंग केलएँ !
किनक्हो पग में काँट बिछौलएँ,
आ किनक्हो पग तोँ पुष्प सजौलएँ !

किछु बेजए तँ”
किछु एहन नीक काज केलएँ,
नहि जानि तोँ
किया एहन रास रचौलएँ !
जीनगी में कहियो अन्हार त”
कहियो ईँजोर केलएँ,
निराश भ गेल छलौँ
मुदा”आश तोँही जगौलएँ !

नहि जनलौँ ”
तोँ कुन नाच नचौलएँ,
भाँति भाँति तोँ पाठ सिखौलएँ !
कुन निक आ कुन बेजए,
इ निर्नय तुँही त केलएँ,
मुदा अपना माथ”
तु कहियो अबजस नहीं लेलएँ !
जो रै जिनगी’
तोँ बड्ड किछु सिखौलएँ !!

© ✍..मिथिलेश राय
धमौरा:-१९-१०-२०१८