काठमांडू मे मैथिली नाटक – बेस्ट थियेटरिकल तकनीक संग प्रदर्शन आरम्भ भेल काल्हि सँ

काठमांडू मे १५ दिन धरि लेल चलि रहल अछि 'मिता आब कोना चलब' मैथिली नाटक

विराटनगर, ४ मई २०१९. मैथिली जिन्दाबाद!!

मिता आब कोना चलब – मैथिलीक चर्चित नाटक केर प्रदर्शन काठमान्डूक मण्डला नाटकघर अनामनगर मे भेल आरम्भ, प्रतिदिन संध्या ५ बजे सँ एकर प्रदर्शन लगातार १५ दिन धरि चलत
 
काल्हि २० गते वैसाख सँ काठमान्डूक मण्डला नाटक घर मे मैथिली नाटक “मिता आब कोना चलब” केर प्रदर्शनक शुभारम्भ भऽ गेल। एहि नाटकक प्रदर्शन लगातार १५ दिन धरि कयल जायत। आइ शनि दिन २१ गते ई नाटक केर २ शो १ बजे व ५ बजे सँ देखायल जायत। ओना प्रत्येक दिन ५ बजे संध्या सँ एकर प्रदर्शन कयल जेबाक जनतब विराटनगर केर रंगकर्मी समूह विराट मैथिल नाट्यकला परिषद् केर निर्देशक तथा एहि नाटकक लेखक राम भजन कामत करौलनि अछि।
 
काल्हिक प्रथम शो मे विज्ञ दर्शक लोकनिक उपस्थिति बेसी रहल। नेपाल संगीत तथा नाट्य प्रज्ञा प्रतिष्ठानक पूर्व प्रमुख प्राज्ञ रमेश रंजन झा एहि नाटकक प्रस्तुति देखबाक जनतब अपन फेसबुक स्टेटस सँ करबैत कहलनि अछि जे “मिता आब काेना चलब” नाटकक पहिल प्रदर्शन आइ देखलहुँ । नेपाल आ मिथिला-मधेशक राजनीतिक सामाजिक यथार्थक अत्यन्त मार्मिक, भावनात्मक आ संवेदनशील प्रस्तुति छल। काठमांडू मे मैथिली संग नेपाली भाषा मे रहल संवाद सहितक एहि नाटक मे बेसी सँ बेसी दर्शक द्वारा थियेटर केर असल आनन्द उठेबाक एवं नाटक द्वारा देल जा रहल सारगर्भित सन्देश ग्रहण करबाक उद्देश्य संग प्राज्ञ झा आह्वान कयलनि अछि जे अहाँ लोकनि सेहाे ई नाटक जरूर देखु, युवा तथा प्रतिभावान रङ्गकर्मी रामभजन कामत केर सिर्जना केँ प्राेत्साहन करू।
स्थानः मण्डला थिएटर, अनामनगर, काठमांडू।
 

फिल्म सँ बहुत बेसी उच्च महत्व नाटकक कियैक?

 
निश्चिते नाटक केर महत्व कोनो सिल्वर स्क्रीन पर प्रदर्शित फिल्म सँ बहुत उच्च आ महत्वपूर्ण होइत छैक, कारण सब पात्र कोनो विशेष सन्देश केँ नाटकीय अदा सँ सजीव (लाइव) प्रस्तुत करैत छथि। फिल्म मे कयल गेल अभिनय डायरेक्टर केर मनोनुकूल नहि भेला पर काट-छाँट “कट-कट” कय केँ “रिटेक” आप्शन प्रयोग करैत ओकरा दर्शक लेल मनचाहा-मनोनुकूल बनाकय परसैत छथि, ओ बनावटी कला आ अभिनय केर प्रस्तुति होइत अछि। परञ्च नाटक मे हरेक कलाकार अपन अभिनय दर्शकक आँखिक सोझाँ सजीव पात्र बनिकय करैत छथि जेकर सन्देश सीधा अन्तर्मन केँ छुबि दैत अछि। फिल्म मे कथाक प्रस्तुति मे तकनीक सभक प्रयोग कय केँ अलग-अलग दृश्य केँ जोड़िकय जतेक बात प्रस्तुत होइत अछि तेकरा नाटक मार्फत बहुत कम समय मे सन्देशमूलक प्रस्तुति सँ दर्शकक मोन-मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ल जाइछ। यैह किछु महत्वपूर्ण कारण सँ फिल्म सँ बहुत उच्च मूल्यांकन कोनो थियेटरीकल प्रेजेन्टेशन केर मानल जाइछ। आर मैथिली भाषा मे नाटकक हजारों वर्ष पुरान परम्परा केँ अपन नव-नव थियेटरीकल टेकनीक सँ सुसज्जित कय केँ २१म शताब्दी मे लोकप्रिय बना रहल छथि प्रसिद्ध रंगकर्मी राम भजन कामत।
 

“मिता आब कोना चलब” केर कथानक की?

 
विदित हो जे २०६९ वि.सं. मे तैयार विराट मैथिल नाट्यकला परिषद् केर ई नाटक पहिने “आब कोना चलब” शीर्षक सँ १०० सँ अधिक बेर देशक विभिन्न मंच पर प्रस्तुत कयल गेल अछि। नेपाल मे राजनीतिक परिवर्तन लेल चलल दशकों केर संघर्ष मे अनेकों राजनीतिक उपलब्धि हासिल कयल गेल अछि। लेकिन नाटककार रामभजन कामत केर व्यग्रता कतहु न कतहु सवाल ठाढ करैत अछि कि आब आगाँ कोना चलब जाहि सँ देशक समस्त जनता बीच सौहार्द्रता आ सुमधुर सम्बन्ध, भाईचार, मित्रता आ आपसी मेलजोल सँ राष्ट्रक समृद्धि सुनिश्चित होयत। लेखक अपन नाटक मे राजनीतिक उपलब्धि लेल देशक जनताक बीच खोधल गेल खधारि केँ भरय लेल व्यग्र देखाइत छथि। हुनका चिन्ता होइत छन्हि जे एतेक बलिदानीक उपरान्त प्राप्त लोकतंत्र आ गणतंत्र आखिर विभाजित समाज आ विभाजित जनताक मानसिकता सँ कोना सबल बनत। एक दिश मधेशी-आदिवासी-जनजाति-दलित-मुस्लिम आदिक उत्पीड़ण दूर करबाक बात, दोसर दिश शासकवर्ग केर एक खास जाति-समूह तथा ओकरा प्रति शासनक एकतर्फी झुकाव पर राजनीतिक खींचातानी, दोसर दिश युगों-युगों सँ मैत्री आ सौहार्द्रता सँ रहि रहल नेपालक आम जनताक आपसी सम्बन्ध, पारस्परिक सहयोग आ वगैर कोनो राजनीतिक कारण निश्छल मित्रता – एहि दुइ स्थिति-परिस्थितिक बीच लेखक खींचैत छथि एक नाटकीय प्रस्तुति आ नव नाम दैत छथि “मिता आब कोना चलब”।
 

काठमांडू मे मोरंग समाज सहित विभिन्न संस्थागत सहयोग लेल आगाँ आबि रहल छथि जानल-मानल सहयोगी हाथ

 
विराट मैथिल नाट्यकला परिषद् केर स्थापना २०६८ विसं साल मे भेल छल। विराटनगर मे मैथिली भाषा-साहित्य प्रति सामाजिक जनचेतनाक जागृतिक इतिहास काफी पुरान रहितो आम जनसमुदाय संग जुड़ाव आरम्भ हेबाक संगहि राम भजन कामत केर अगुवाई मे दर्जनों मैथिली एवं नेपाली भाषाभाषी रंगकर्मी समूह द्वारा एकर स्थापना कयल गेल छल। ताहि समय सँ एहि नाटक समूह द्वारा अनेकानेक प्रस्तुति मुख्यरूप सँ विराटनगर केर आरोहण-गुरुकुल मे तथा देशक राजधानी काठमांडू, जनकपुर, पोखरा, परवाहा, आदि विभिन्न स्थान पर एक सँ बढिकय एक प्रस्तुति सब कयल गेल अछि। वर्तमान नाटक “मिता आब कोना चलब” मे लेखकक चिन्ता-व्यग्रता केँ मैथिली भाषाभाषी संग नेपाली भाषाभाषी समाज सेहो ओतबे गम्भीरता सँ लैत छथि। एकर सुन्दर उदाहरण काल्हि पहिल प्रदर्शन उपरान्त ‘मोरंग समाज नेपाल’ द्वारा आगाँ बढिकय नाटकक प्रदर्शन केँ पूर्ण समर्थन दैत कलाकार सभ केँ सहयोग लेल हाथ बढेबाक जनतब भेटल अछि।
 
तहिना मैथिली भाषाभाषी विभिन्न समूह एहि नाटक केर प्रदर्शन मे अपन सहयोग देबाक लेल खुल्ला हृदय सँ आगू आबि रहल देखाइत अछि। फिल्म निर्देशक पूर्णेन्दु झा, मैथिली संस्कृतिविद् धीरेन्द्र प्रेमर्षि, युवा अभियन्ता बिट्टू मिश्र, दीपक देव, निराजन मेहता, कमल मंडल, निराजन झा, ध्रुव झा, गुञ्जन आदि सेहो अपन तरफ सँ अधिकतम प्रयास करबाक जनतब भेटल अछि। निश्चित रूप सँ ई एक तरहक स्वाभिमान जगेबाक अवसर थिक जेकरा लेल अपन-अपन प्रयास सब कय रहल देखाइत छथि। नाटकक कलाकार लोकनिक आजीविका एहि तरहक प्रदर्शन सँ प्राप्त थोड़-बहुत कैञ्चा सँ होइत अछि, तथा हुनका लोकनिक मर्यादा आ उच्च विचारक रक्षा लेल ई हमरा सभक कर्तव्य छी जे रंगकर्म केँ जीवित राखय वास्ते अपन सर्वोत्तम योगदान दी। मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ सेहो आम आह्वान करैत छी जे अपने लोकनि बेसी सँ बेसी संख्या मे समूह बना-बनाकय एहि नाटक केँ देखय लेल जरूर पहुँची।