हिन्दू देवी-देवता पर कुतर्कपूर्ण टीका-टिप्पणीक ई केहेन राजनीति?

प्रसंग – कन्हैया कुमार द्वारा हिन्दू देवी-देवता पर कुतर्कपूर्ण टिप्पणी
 
किछुए दिन पहिने कोनो जनसभा केँ संबोधित करैत कन्हैया कुमार द्वारा हनुमान जी आ श्रीरामचन्द्र पर किछु आस्था केँ चोटिल करयवला बयान देबाक वीडियो वायरल भेल छल। एक समय ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे आ हमें चाहिये आजादी, मनुवाद से आजादी, ब्राह्मणवाद से आजादी’ वला नारा लगबैत जेएनयू मे देशद्रोहक मामिला मे हिनका पर कानूनी ढिबरी सेहो टाइट होयबाक समाचार भेटल छल, ओहो केस कोर्ट मे चलिये रहल छैक… लेकिन एखन प्रसंग अछि हिन्दू देवी-देवताक विभिन्न लीलामयी चरित्र पर अलग-अलग साहित्यकार आ तर्क प्रस्तोताक विचार पर अपन विचार रखबाक बात। एखनहि मित्र संजीव झा हुनक वीडियो कोनो अन्य पोस्ट पर रखने छलाह। हुनका स्पष्ट कयल अछिः
 
एहेन आइडियोलोजी हिन्दू जनमानस केँ विखंडित रखबाक लेल कुतर्की विद्वान् बहुत पहिनहि सँ साहित्यक मार्फत बाँटैत आबि रहला अछि। अहाँ डा. भीमराव अम्बेदकर द्वारा श्रीरामचन्द्र केर मर्यादा पुरुषोत्तम वला बात पर सेहो एहने कुतर्क सब पढि सकैत छी। एहि संसार मे अपन सोच केँ उच्च प्रमाणित करबाक लेल दैत्य आ दावन केर कन्सेप्ट पुराण सेहो वर्णन करैत छैक। शिशुपाल श्रीकृष्ण केँ १०० बेर कुतर्कपूर्ण अपशब्द कहलकनि। शुम्भ-निशुम्भ चाहि रहल छल जे दुर्गा सँ ओकरा लोकनिक विवाह होइक। रावण सेहो सीता द्वारा सिर्फ एक बेर अपना दिश ताकि देबाल लालसा संगहि मरि गेल।
 
रामचन्द्र जी द्वारा बालि केँ मृत्युदंड जरूर ओकरा सोझाँ जा कय वार कय केँ नहि कयल गेल, तेकरो पाछाँ कय गोट रहस्य छैक आ ओकर न्यायोचित ठहरेबाक तर्क सब सेहो छैक, लेकिन ई कुकाठी विद्वान् लोकनिक अपन अलग दृष्टिकोण आ विचारधारा रहबाक कारण अहाँक ओ तर्क बेकाजक होयत। अन्त मे धर्म अपन-अपन आस्थाक विषय बनिकय राजनीति सँ दूर रखबाक लेल धर्मनिरपेक्षताक एकटा सूत्र निकलैत अछि। मुदा देखबे केलहुँ जे ओहि सूत्र पर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण लेल फेर वैह धर्मक सहारा लय ओ कथित धर्मनिरपेक्ष केर सूत्रधार सत्ता भोग मे कोन तरहें लिप्त भेलाह आ आइ हुनकहि सत्ताक भूख मे बहुल्य हिन्दू समाज विखंडित अवस्था केँ भोगि रहल अछि, ओ लोकनि सत्ताक मलाई खा रहला अछि। हम-अहाँ जनता एहि राजनेता लोकनिक बात मे भटैक जा रहल छी।
 
हरिः हरः!!