ओ दिन जहिया दिल्ली मे मिथिला राज्य निर्माण सेनाक स्थापना भेल छल

१४ अप्रैल २०१३ केर सामूहिक परिचर्चा कार्यक्रम, संगनगर (बुरारी), दिल्ली मे विश्व मैथिल संघ केर अगुवाई मे राखल गेल आयोजन पर १५ अप्रैल २०१३ केर ई रिपोर्ट (जहिनाक तहिना) –

सामूहिक परिचर्चा सम्पन्न: मैथिल युवा

विश्व मैथिल संघ द्वारा आयोजित सामूहिक परिचर्चा कार्यक्रम में “मिथिला राज्यक आवश्यकता किऐक?” संग “मिथिलाक इतिहास, वर्तमान तथा भविष्य” विषय पर युवाजन द्वारा खूलिके चर्चा भेल। एहि कार्यक्रमकेर उद्घाटन सुनील मोहन ठाकुर जे बोकारो सँ आयल छलाह तिनका द्वारा कैल गेल। मिथिला विद्यागारा केर प्रतीक विद्वान् विद्यापतिक चित्रपट समक्ष ‘दीं दीपनाथाय नम:’ करैत दीप जरबैत कार्यक्रम शुरु कैल गेल। उद्घोषक दयानन्दजी द्वारा संस्थाक संछिप्त परिचय करबैत सभाक अध्यक्षता लेल विश्व मैथिल संघक अध्यक्ष हेमन्त झा संग मुख्य अतिथि सुनील मोहन ठाकुर लगायत विभिन्न संघ-संस्थाक प्रतिनिधित्व केनिहार सहभागी मैथिल स्रष्टा व युवा वक्ता लोकनिकेँ सेहो आसन ग्रहण करायल गेल। तदोपरान्त मिथिला राज्य आन्दोलनक वरिष्ठ कार्यकर्ता अनुभवी कृपानन्द झा द्वारा मिथिला राज्य किऐक चाही तेकर समर्थनमें सविस्तार तथ्यांक रखैत सहभागी जनमानसकेँ ई सोचबाक लेल प्रेरित कैल गेल जे किऐक अलग राज्य हो से सोचबाक समय आब नहि अछि, बल्कि कोना बनय ताहि दिस सभक ध्यान जेबाक चाही आ एहि लेल सभकेँ एकमत संकल्प लेबाक लेल सभा अग्रसर हो। हलाँकि बहुतो रास सहभागीजन कतेको रास विन्दुपर अलग मिथिला राज्यक सन्दर्भमें जिज्ञासू छलाह जाहि पर सभाध्यक्षक आदेश सँ उद्घोषणक जिम्मेवारी मूल रूपसँ मुख्य वक्ताक रूपमें आमन्त्रित हमरे (प्रवीण) भेटल आ वक्ताक जिज्ञासा अनुरूप यथासंभव समाधानकेर खाका सेहो प्रस्तुत कैल गेल। कतेको बेर नोंक-झोंक सेहो भेल जे सभाक सफलताक द्योतक मानि सकैत छी, कारण रजनी-सजनी-मुँहचटनीक भाषा ओ संस्कृति बनैत मैथिली-मिथिला पहिले बहुत नुकसान सहलक आ लगभग विलोपान्मुख बनि गेल, आर आजुक समयमें ई परंपरा बदलब क्रान्तिक उद्घोषक बनत से हमर विश्वास अछि। जाबत शंका-उपशंका दूर नहि होयत, संदेहक स्थिति अन्त नहि होयत, ताबत कियो कोनो आन्दोलनमें विशुद्धताक संग प्रवेश नहि पाबि सकैत छथि। एहि तरहें ई परिचर्चा बहुत सार्थक भेल, सभ कियो अपन मनक कूथ – कूढ – मूढ – शुद्ध विचार एकदम सुस्पष्टताक संग रखलाह, जखन कि समय कम पडि गेल जेकर चलते जरुर किछु महत्त्वपूर्ण बात आ वक्ता दुनू छूटि गेलाह। जाहि लेल आगामी बैठकमें पुन: चर्चा होयत आ छोट-छोट डेग लेकिन अनेको टा सार्थक कार्य होयत से विश्वास मानि सकैत छी।

सभाक सफलता में राज्यक माँग कदापि नहि बुझनिहार लोक आह्वानक बावजूद जे संगठन सांस्कृतिक मर्यादा सहित राज्यक माँग लेल हो तेकरा सर्वसम्मति सँ नकारि केवल राज्यक माँग लेल मात्र हम सभ एक संगठन निर्माण करी ताहिपर सहमति जतौलनि। काल्हिक परिचर्चाक सभ सँ बेसी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यैह रहल आ आपसी घंथन-मंथन सँ तुरन्त एक तत्काल-प्रभावी समिति बनायल गेल जे ११ सदस्यीय अछि। आगामी बैठक २८ तारीख लेल तय भेल। ताबत धरि आवश्यक विधान, अनुशासन पद्धति, कार्यकर्ता निर्देशन सिद्धान्त, सदस्यताक प्रकार, आदि लेल उपरोक्त कार्यकारिणी तत्परता संग कार्य करता आ समितिक विस्तार ऐगला बैठक सँ कैल जायत। परिचर्चामें कार्यकारिणी समिति निर्माणक मूल उद्देश्य युवा-पीढी व अन्य द्वारा कैल जा रहल राज्यक माँग प्रति संपूर्ण कार्यभार वहन करबाक लेल सहमति बनल। आगू अभियानी कियो रहैथ लेकिन समितिक सलाह – सुझाव – सहयोग – संग – समर्थन सँ समस्त अभियान चलत यैह एहि समितिक एकमात्र लक्ष्य रहत। आब नेता बनबाक लेल खुलेआम प्रतिस्पर्धा होयत, जिनका अपन मातृभूमि प्रति जेना आन्दोलन करबाक हो ताहि लेल समितिमें आवेदन दैत कार्यक्रम आगू बढा सकैत छथि। आशा करी जे विगत में भेल कमजोर आन्दोलन केर पुनरावृत्ति एहि कार्यकारिणीक निर्माण उपरान्त एकदम नहि होयत आ प्रभावशाली तरीका सँ मिथिला राज्यक आन्दोलन २०१४ के संसदीय चुनाव पूर्व जमीन पकडि लेत।

आगामी समय लेल अन्तर्राष्ट्रीय मैथिलक महासम्मेलन, मिथिलामें रोजगार व अर्थ-व्यवस्थाक सुदृढीकरण लेल सहकारी संस्थानक स्थापना, मैथिली-मिथिलाक मुखपत्र मिडिया व्यवस्थापन, जनचेतना व सदस्यता प्रसार लेल प्रतिनिधिमंडल निर्माण, मैथिल करपोरेट केर सिनेट, आदि विन्दु पर सेहो सक्रियता संग उपरोक्त कार्यकारिणी निरन्तर कार्य करत। संगहि भारतीय गणतंत्रमें समस्त राजनीतिक दल सँ मिथिला राज्यक समर्थन वा विरोध प्रति सोचकेँ सार्वजनिक करेबाक मूल कार्य करत। भारतीय रेलवे, संचार विभाग संग मैथिलीक प्रश्रय लेल आवश्यक अनुरोध-आन्दोलन करत। मिथिलाक भूमि पर संचालित प्रतिष्ठान सभ सँ मैथिली भाषामें बोर्ड लगेबाक आन्दोलन सेहो करत। एकर अतिरिक्त कोनो व्यक्ति वा संस्था द्वारा मिथिलाक हितमें चलायल जायवाला अभियानकेँ आवश्यक सहयोग लेल प्रतिबद्ध बनत।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

आइये एक गोट काव्य रचना मार्फत सेहो अपन किछु दृष्टिकोण राखने रही – 

आब कोना चली?

हे मैथिलजन मिथिलावासी
जागृति लेल संगठित बनी!

जे मातृभूमि के मान बनय
सत कर्म-धर्म के बाट चली!

बस दौडि चली कि साँसो ली
ई सोची तद निज कर्म करी!

नहि ब्यर्थ बात नहि ब्यर्थ साथ
लेकिन जनपथ जनपदहि लेल,
करू आत्मासात जीवन के लाथ
नि:स्पृह भाव निज धर्म करी!

हे मैथिलजन मिथिलावासी
जागृति लेल संगठित बनी!

अहिना नहि तप भूमि छी,
त्यागि दंभ-मद, लोभमुक्त,
द्वंद्वहीन ममताविहीन,
निज तुष्टि सदा ऊऋण बनी!

हे मैथिलजन मिथिलावासी
जागृति लेल संगठित बनी!

ई मिथिला शासित विदेहसँ,
नहि क्रोधी-अहंके खेल चलल,
पानि मिलल बेइमानी धन,
सिद्धान्त सदा एकरंग चली!

हे मैथिलजन मिथिलावासी
जागृति लेल संगठित बनी!

बस एक काज मिथिलाक राज
अपन खातामें भरू मैथिल,
मातु-पिता-गुर संग-संग,
देवो-दानव संग मिलिये चली!

हे मैथिलजन मिथिलावासी
जागृति लेल संगठित बनी!